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MP BJP Difficulties: दो दिन में बीजेपी को 2 बड़े झटके, चुनाव में बढ़ सकती है मुश्किलें, पढ़ें पूरी खबर... - एमपी पॉलिटिकल न्यूज

चुनाव से ठीक पहले टिकट बंटवारे के बाद उठे अंतर्कलह से कांग्रेस बीजेपी दोनों की नाक में दम हो रहा है. पार्टियों के पुराने खिलाड़ी अब अपने ही दलों के विरुद्ध चुनाव मैदान में दिखाई दे रहे हैं. खासकर चंबल-अंचल के भिंड जिले में एक के बाद एक दो पूर्व विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है.

bjp congress
बीजेपी और कांग्रेस
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 17, 2023, 8:14 PM IST

Updated : Oct 17, 2023, 8:23 PM IST

भिंड। नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की लहार विधानसभा में मुख्यमंत्री के दौरे से ठीक पहले बीजेपी से इस्तीफा देने वाले पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता रसाल सिंह ने दोनों ही राजनीतिक दलों के लिये मुसीबत बढ़ा दी है. रसाल सिंह बीजेपी का त्याग कर बहुजन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये और अब बसपा ने उन्हें लहार से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. वहीं बीजेपी नेता व अटेर क्षेत्र में अपना रसूख़ रखने वाले पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया ने भी अपना इस्तीफा बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष को भेज दिया है. वे जल्द अटेर से चुनाव लड़ सकते हैं.

बसपा ने दिया लहार से टिकट: बीजेपी छोड़ बसपा से टिकट ले आये बीजेपी के पूर्व विधायक लहार क्षेत्र में वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का चेहरा रहे. पूर्व विधायक रसाल सिंह ने 15 अक्टूबर को सीएम के दौरे से ठीक पहले अपना त्यागपत्र भेज दिया. रसाल सिंह पिछले दो चुनाव में डॉ गोविंद सिंह के खिलाफ बीजेपी के प्रत्याशी थे, लेकिन इस बार प्रत्याशी बदल जाने से उनका टिकट कट गया. जिसके चलते कुछ दिन पहले उन्होंने अपने समर्थकों के साथ एक सभा कर बीजेपी को चेतावनी दी थी की अगर चुनाव में प्रत्याशी नहीं बदला गया, तो वे ऐसा कदम उठायेंगे की पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना होगा. उस बात को साबित करने के लिए सोमवार को रसाल सिंह हाथी पर सवार हो गए और बसपा ने भी लहार से बतौर विधानसभा उम्मीदवार उनका टिकट फाइनल कर दिया.

Difficult for BJP Congress in MP
रसाल सिंह ने बसपा ज्वाइन की

क्या होगा असर: रसाल सिंह के बीजेपी से जाने और बसपा में शामिल होने का घाटा बीजेपी के प्रत्याशी अम्बरीश शर्मा को उठाना पड़ेगा. ये सोचना फिलहाल जल्दबाजी होगी. राजनीतिक विशेषकों के मुताबिक लहार क्षेत्र में डॉ गोविंद सिंह पिछले 7 बार से विधायक बने हुए हैं, लेकिन उनकी जीत के पीछे के कारण हमेशा बीजेपी की अंतर्कलह बनती थी, क्योंकी अब तक बीजेपी से रसाल सिंह को टिकट मिलता था और टिकट कटने पर अन्य नाराज दावेदार उतना साध नहीं देते थे.ऐसे में फायदा कांग्रेस को मिलता था. लेकिन अब जातिगत समीकरण बीजेपी के पक्ष में हो सकते हैं. क्योंकी राजपूत समाज का कुछ वोट जो गोविंद सिंह के साथ होता था, वह वोट अब बसपा के रसाल सिंह के साथ बंट जाएगा.

हालांकि रसाल सिंह बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं, जसकी वजह से उनके समर्थक ब्राह्मण वोटर उनका साथ छोड़ सकते हैं. ऊपर से बसपा का मूल वोट भी कांग्रेस के साथ बीजेपी को डायवर्ट हो सकता है, क्योंकि अम्बरीश शर्मा पहले बसपा से चुनाव लड़ चुके हैं और आज भी उनके कई समर्थक बसपा में हैं. दूसरी ओर ब्राह्मण और जैन वोटर पहले से ही नेता प्रतिपक्ष से नाराज हैं. जो अब सीधे तौर पर बीजेपी प्रत्याशी अम्बरीश शर्मा को जिताने का प्रयास करेंगे. ऐसे में इस मोड़ पर रसाल सिंह का बीजेपी छोड़ना और बसपा से चुनाव लड़ना दोनों ही दलों को कुछ हद तक प्रभावित कर सकता है, लेकिन बीजेपी के लिए नुकसान से ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है.

MP BJP Congress Difficulties
बसपा ने रसाल सिंह को टिकट दिया

अटेर में बीजेपी को स्थापित करने वाले पूर्व विधायक भी मैदान में: वहीं बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता व अटेर से पूर्व विधायक रहे मुन्ना सिंह भदौरिया ने भी चुनाव लड़ने की चाह में बीजेपी छोड़ दी है. वर्तमान में वे टीकमगढ़ के जिला प्रभारी थे और निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं. वे जल्द ही आम आदमी पार्टी या बसपा जॉइन कर सकते है. मुन्ना सिंह भदौरिया अटेर विधानसभा क्षेत्र में 1990 और 1998 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से विधायक चुने गए थे. इस बार भी 2023 के चुनाव में उन्होंने टिकट दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी ने एक बार फिर प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया को अपना प्रत्याशी बना दिया. जिससे नाराज होकर मंगलवार को मुन्ना सिंह भदौरिया ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेज दिया है. ऐसे में अब पूर्व विधयक वर्तमान विधायक के खिलाफ जल्द किसी दल से चुनाव में आमने-सामने हो सकते हैं.

यहां पढ़ें...

Difficult for BJP Congress in MP
मुन्ना सिंह भदौरिया ने बीजेपी से इस्तीफा दिया

किसको होगा फायदा: मुन्ना सिंह भदौरिया बीजेपी के पुराने सिपहसलार रहे हैं. जिन्होंने कांग्रेस के गढ़ में पहली बार 1990 में बीजेपी को स्थापित करने के लिए चुनाव जीता था. अरविंद भदौरिया को भी अटेर में विधायक बनाने के लिए मुन्ना सिंह ने पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन इस बार क्षेत्र में सहकारिता मंत्री के विरोध के बावजूद दोबारा उम्मीदवार बनाने से पहले ही बीजेपी के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं माना जा रहा है. वहीं अब मुन्ना सिंह भदौरिया भी आप या बसपा से चुनाव लड़ते हैं, तो राजपूत वोट अब दो जगह बंट जाएगा. जिसका फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे को होने की सम्भावना है.

भिंड। नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह की लहार विधानसभा में मुख्यमंत्री के दौरे से ठीक पहले बीजेपी से इस्तीफा देने वाले पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता रसाल सिंह ने दोनों ही राजनीतिक दलों के लिये मुसीबत बढ़ा दी है. रसाल सिंह बीजेपी का त्याग कर बहुजन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये और अब बसपा ने उन्हें लहार से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. वहीं बीजेपी नेता व अटेर क्षेत्र में अपना रसूख़ रखने वाले पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया ने भी अपना इस्तीफा बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष को भेज दिया है. वे जल्द अटेर से चुनाव लड़ सकते हैं.

बसपा ने दिया लहार से टिकट: बीजेपी छोड़ बसपा से टिकट ले आये बीजेपी के पूर्व विधायक लहार क्षेत्र में वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का चेहरा रहे. पूर्व विधायक रसाल सिंह ने 15 अक्टूबर को सीएम के दौरे से ठीक पहले अपना त्यागपत्र भेज दिया. रसाल सिंह पिछले दो चुनाव में डॉ गोविंद सिंह के खिलाफ बीजेपी के प्रत्याशी थे, लेकिन इस बार प्रत्याशी बदल जाने से उनका टिकट कट गया. जिसके चलते कुछ दिन पहले उन्होंने अपने समर्थकों के साथ एक सभा कर बीजेपी को चेतावनी दी थी की अगर चुनाव में प्रत्याशी नहीं बदला गया, तो वे ऐसा कदम उठायेंगे की पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना होगा. उस बात को साबित करने के लिए सोमवार को रसाल सिंह हाथी पर सवार हो गए और बसपा ने भी लहार से बतौर विधानसभा उम्मीदवार उनका टिकट फाइनल कर दिया.

Difficult for BJP Congress in MP
रसाल सिंह ने बसपा ज्वाइन की

क्या होगा असर: रसाल सिंह के बीजेपी से जाने और बसपा में शामिल होने का घाटा बीजेपी के प्रत्याशी अम्बरीश शर्मा को उठाना पड़ेगा. ये सोचना फिलहाल जल्दबाजी होगी. राजनीतिक विशेषकों के मुताबिक लहार क्षेत्र में डॉ गोविंद सिंह पिछले 7 बार से विधायक बने हुए हैं, लेकिन उनकी जीत के पीछे के कारण हमेशा बीजेपी की अंतर्कलह बनती थी, क्योंकी अब तक बीजेपी से रसाल सिंह को टिकट मिलता था और टिकट कटने पर अन्य नाराज दावेदार उतना साध नहीं देते थे.ऐसे में फायदा कांग्रेस को मिलता था. लेकिन अब जातिगत समीकरण बीजेपी के पक्ष में हो सकते हैं. क्योंकी राजपूत समाज का कुछ वोट जो गोविंद सिंह के साथ होता था, वह वोट अब बसपा के रसाल सिंह के साथ बंट जाएगा.

हालांकि रसाल सिंह बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं, जसकी वजह से उनके समर्थक ब्राह्मण वोटर उनका साथ छोड़ सकते हैं. ऊपर से बसपा का मूल वोट भी कांग्रेस के साथ बीजेपी को डायवर्ट हो सकता है, क्योंकि अम्बरीश शर्मा पहले बसपा से चुनाव लड़ चुके हैं और आज भी उनके कई समर्थक बसपा में हैं. दूसरी ओर ब्राह्मण और जैन वोटर पहले से ही नेता प्रतिपक्ष से नाराज हैं. जो अब सीधे तौर पर बीजेपी प्रत्याशी अम्बरीश शर्मा को जिताने का प्रयास करेंगे. ऐसे में इस मोड़ पर रसाल सिंह का बीजेपी छोड़ना और बसपा से चुनाव लड़ना दोनों ही दलों को कुछ हद तक प्रभावित कर सकता है, लेकिन बीजेपी के लिए नुकसान से ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है.

MP BJP Congress Difficulties
बसपा ने रसाल सिंह को टिकट दिया

अटेर में बीजेपी को स्थापित करने वाले पूर्व विधायक भी मैदान में: वहीं बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता व अटेर से पूर्व विधायक रहे मुन्ना सिंह भदौरिया ने भी चुनाव लड़ने की चाह में बीजेपी छोड़ दी है. वर्तमान में वे टीकमगढ़ के जिला प्रभारी थे और निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं. वे जल्द ही आम आदमी पार्टी या बसपा जॉइन कर सकते है. मुन्ना सिंह भदौरिया अटेर विधानसभा क्षेत्र में 1990 और 1998 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से विधायक चुने गए थे. इस बार भी 2023 के चुनाव में उन्होंने टिकट दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी ने एक बार फिर प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया को अपना प्रत्याशी बना दिया. जिससे नाराज होकर मंगलवार को मुन्ना सिंह भदौरिया ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेज दिया है. ऐसे में अब पूर्व विधयक वर्तमान विधायक के खिलाफ जल्द किसी दल से चुनाव में आमने-सामने हो सकते हैं.

यहां पढ़ें...

Difficult for BJP Congress in MP
मुन्ना सिंह भदौरिया ने बीजेपी से इस्तीफा दिया

किसको होगा फायदा: मुन्ना सिंह भदौरिया बीजेपी के पुराने सिपहसलार रहे हैं. जिन्होंने कांग्रेस के गढ़ में पहली बार 1990 में बीजेपी को स्थापित करने के लिए चुनाव जीता था. अरविंद भदौरिया को भी अटेर में विधायक बनाने के लिए मुन्ना सिंह ने पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन इस बार क्षेत्र में सहकारिता मंत्री के विरोध के बावजूद दोबारा उम्मीदवार बनाने से पहले ही बीजेपी के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं माना जा रहा है. वहीं अब मुन्ना सिंह भदौरिया भी आप या बसपा से चुनाव लड़ते हैं, तो राजपूत वोट अब दो जगह बंट जाएगा. जिसका फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे को होने की सम्भावना है.

Last Updated : Oct 17, 2023, 8:23 PM IST
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