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MP के लाल राजीव दैपुरिया बने UPSC - IES टॉपर, जानिए सफलता का मंत्र..

UPSC IES में AIR 1 हांसिल करने वाले राजीव दैपुरिया आज भिंड के युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं जल्द ही वे देश के IES अधिकारी बनेंगे अपने घर अपनों के बीच पहुँचे राजीव दैपुरिया से ETV भारत ने ख़ास बातचीत की इस दौरान उन्होंने अपने कई अनुभव साझा किए वे सूचना मंत्रालय में काम करने की इच्छा रखते हैं. (Rajeev Depuria Ranked First In UPSC)

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Published : Jan 1, 2023, 10:16 AM IST

Updated : Jan 2, 2023, 7:44 PM IST

राजीव दैपुरिया बने UPSC-IES टॉपर

भिंड। मध्यप्रदेश वह राज्य है, जिसे हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है. इस दिल के एक कोने में बसा है भिंड जिला.. वैसे तो भिंड की पहचान दस्यु पीड़ित चम्बल की वजह से बदनाम रही.. ये बड़ी वजह है की आज भी भिंड विकास के लिए जद्दोजहद कर रहा है, मूलभूत सुविधाओं की राह ताक रहा है. यहां शिक्षा का स्तर भी कुछ खास नहीं है, बच्चे सरकारी से ज्यादा प्राइवेट स्कूल जाना बेहतर समझते हैं और जिन्हें अच्छी शिक्षा चाहिए या उच्च शिक्षा हांसिल करना हो तो वे जिले से बाहर पढ़ने चले जाते हैं. लेकिन बीते कुछ वर्षों में यहाँ के युवाओं ने अपने ज्ञान का डंका बजाना शुरू कर दिया है, पिछले साल यूपीएससी जैसी प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेकर इसी जिले के तीन युवा सिविल जज बने वहीं एक छोटे से गांव से निकले एक युवक ने अपनी पढ़ाई और लगन की दम पर मिसाल कायम कर दी है. ये युवा हैं राजीव दैपुरिया जिन्होंने UPSC IES एग्जाम को ना सिर्फ पास किया है, बल्कि मेहनत का लोहा मनवाते हुए देश में पहली रैंक हांसिल की है.

Rajeev Depuria Ranked First In UPSC
भिंड के युवाओं के लिए मिसाल हैं राजीव

नौकरी के साथ की तैयारी, मेहनत से देश में अव्वल आए: मूल रूप से भिंड ज़िले के सपाड़ गाँव के रहने वाले राजीव दैपुरिया एक मध्यम परिवार से हैं, ETV भारत से बातचीत के दौरान भिंड के एक युवा से IES अधिकारी बनने की ओर बढ़ते कदम के अपने अनुभव साझा करते हुए राजीव ने बताया कि इण्डियन इंजीनियरिंग सर्विसेज़(IES) 2022 की परीक्षाओं में ईएनटी स्ट्रीम में देश में पहला स्थान मिला है, इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी. राजीव वर्तमान में एनटीपीसी बिहार में पोस्टेड हैं उन्होंने बताया कि 'तैयारी भी जॉब के साथ साथ रही साल 2020 से सफर शुरू हुआ उसी वर्ष पहला अटेम्प्ट था लेकिन असफल रहे, कॉर्पोरेट जॉब के बारे में तो सभी जानते हैं. ऑफिस टाइम ओवर होने के बाद भी फ्री नहीं रह पाते हैं, वर्किंग डेज़ में 3 से 4 घंटे पढ़ाई के लिए निकालते थे. लेकिन ऑफिस टाइम में समय चुरा लेता था, कहा जाये तो लंच ब्रेक के समय में पढ़ाई करते थे. वीकेंड पर छुट्टी होती थी तो वो दिन पूरी तरह पढ़ाई में ही लगाते थे.

अक्षय कुमार ने बच्चों को दिया सफलता का धांसू आइडिया

ये है सफलता का मंत्र: पढ़ाई को लेकर जिले की स्थिति पर चर्चा करते हुए राजीव ने कहा कि, "यहाँ कि बच्चे भी आगे बढ़ सकते हैं, मेरी बेसिक पढ़ाई भी भिंड के निजी स्कूल से हुई है. मैं पढ़ने में भी टॉपर नहीं था, लेकिन असल बदलाव केंद्रीय विद्यालय से हुआ जब हिन्दी मीडियम से अंग्रेजी मीडियम में पहुंचा, ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष था क्यूँकि मुझे अंग्रेज़ी नहीं आती थी. मैंने एक वर्ष मेहनत की और उससे सीखा कि अगर आप किसी चीज़ पर मेहनत करते हैं तो कोई भी टास्क हो सफलता हांसिल कर सकते हैं. और मैं यही चीज़ भिंड के छात्रों को बोलना चाहता हूँ कि आप हार से मत डरिए, अगर गिरते हैं तो बार बार उठने का हुनर रखिए. मेहनत करिए दुनिया की कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसे आप पा नहीं सकते."

Rajeev Depuria Ranked First In UPSC
राजीव दैपुरिया अपने परिवार के साथ

जानिए IAS और IES कार्य क्षेत्र में अंतर: UPSC का मतलब अक्सर छात्र IAS ही समझते हैं. IES और IAS में क्या फ़र्क़ है. आज भी कई युवकों को नहीं पता है, जब इस बारे में उनसे बात की गई तो राजीव ने कहा कि UPSC परीक्षाएं करवाता है, इन्ही में एक ESE हैं जो IES सिलेक्शन के लिए परीक्षा है. हमारे मेट्रोमैन जिन्होंने देश को दिल्ली मेट्रो की सौग़ात दी श्रीधरन जी वे भी इंजीनियरिंग सर्विसेज से ही निकले हैं. IAS प्रशासनिक सेवाएँ हैं उनका कार्यक्षेत्र अलग है (IES) इंजीनियरिंग सेवाएं भी उसी दर्जे की हैं संविधान की नज़र में उनका दर्जा, पेयस्केल सभी एक बराबर हैं. सभी गैजेट-A वर्ग की पोस्ट हैं. लेकिन इनके कार्यक्षेत्र में अंतर है, वन्दे भारत ट्रेन भी इन्ही इंजीनियरिंग ऑफ़िसर्स का कार्य है योगदान है.

कई बार लगता था- नहीं हो पाएगा, लेकिन बीच में नहीं छोड़ा: अपने सफर के महत्वपूर्ण पड़ाव के बारे में चर्चा करते हुए राजीव डाइपुरिया ने बताया कि ऐसा कई बार होता है जब हम किसी लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हैं और नाकाम होते हैं मैंने 2020 में प्रीलिम्स ही नहीं निकाल पाए मुझे लगता था कि यह असंभव सा कार्य है क्यूँकि जनरल कैटेगरी के छात्र के लिए अवसर बहुत सीमित होता है लेकिन मुझे इस बात का भरोसा था कि अगर मैंने कोई चीज़ शुरू की है तो मैं उसे बीच में नहीं छोड़ सकता हूँ. कुछ लोग ऐसे थे जिन्होंने मुझे अपनी कोशिश छोड़ने और न किसी अन्य एग्ज़ाम की तैयारी करने के लिए भी कहा लेकिन मैंने अपने मन की सुनी.

वो कविता जिसने इंटरव्यू के दौरान पैनल को किया प्रभावित: अपने इंटरव्यू के अनुभव साझा करते हुए तो उन्होंने बताया कि, जब एक बार उन्हें भिंड कलेक्टर के साथ मुलाक़ात का मौक़ा मिला था, लेकिन अपनी व्यस्तता के चलते कलेक्टर उन्हें नज़र उठाकर देख भी नहीं पाए थे जो के स्वाभाविक था. लेकिन जब मैं भी अपने इंटरव्यू के लिए पहुंचा, तो मेरे सामने सचिव लेवल के अधिकारी से रिटायर्ड पूरा पैनल बैठा हुआ था और उन सबकी निगाहें मेरी ओर ही थी और मुझे पूरा एक घंटे का समय दिया गया था, मेरे लिए यही बड़ी बात थी. वहीं उन्होंने पैनल को प्रभावित करने वाले मोमेंट के बारे में बताते हुए कहा कि जब इंटरव्यू के आख़िर में मुझे अपनी ओर से कुछ बोलने का मौक़ा दिया गया तो मैंने बताया कि मैं कविताएँ लिखता हूँ मैंने उन्हें अपनी एक कविता सुनाई..
जो चाहो वो पा सकते हो,
दुनिया को हिला सकते हो!
बुलंदियों को दूर से देख सकते हो या,
बुलंदियों पर जाकर दिखा सकते हो!!
इन पंक्तियों को सुनने के बाद भी सामने बैठे पैनल के अधिकारी इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे सराहते हुए कहा कि ‘what a punch line राजीव’ मेरे लिए यह बड़ी बात थी.

इंडियन इकोनॉमिक सर्विस में गोरखपुर की अनिशा गौहर ने हासिल की देश में 11वीं रैंक

ख़ुशियाँ मना रहा परिवार, कहा- बेटे पर गर्व है: राजीव की इस उपलब्धि के बाद उनके पूरे परिवार में भी जश्न का माहौल है, इन दिनों घर में माता पिता, बहन बहनोई. दो बड़े भाई-भाभी उनके बच्चे कुल मिलाकर भरा पूरा परिवार एक साथ है और ख़ुशियाँ माना रहा है. उनके पूरे परिवार ने भी ETV भारत से उनके बचपन और संघर्ष को लेकर कई बातें कही यहाँ माँ ने बताया कि किस तरह राजीव की पढ़ाई के लिए मेहनत करता था. वह कई दिनों तक घर नहीं आता था अब बेटा IES अधिकारी बन गया है, तो इस बात की बेहद ख़ुशी है. वहीं बड़े भाई ने भी पढ़ाई के लिए हमेशा पूरा सपोर्ट किया मिताली ने तो बताया कि उन्हें तो पता ही नहीं चला कि कब उनका बेटा परीक्षा में अव्वल वाला आ गया और अब एक बड़ा अधिकारी बनने वाला है. वह हमेशा सिर्फ़ यही कहता था की तैयारी कर रहा हूं, लेकिन आज उसकी मेहनत देखकर ख़ुशी होती है.

कैसा रहा पढ़ाई का सफर: कक्षा 7वीं तक भिंड के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई की, इसके बाद कक्षा-8 से 12वीं तक केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की , साल 2012 में गोवाहाटी IIT कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में एडमिशन हुआ था इसके बाद 2016 में पासआउट हुआ उसी दौरान कैंपस सिलेक्शन हुआ और एक नामी कम्पनी में जॉब लग गई फिर जॉब स्विच की एक साल एक अन्य कंपनी में काम किया और वर्तमान में एनटीपीसी नविनगर बिहार में पोस्टेड हैं. और अब ESE में AIR 1 लाने के बाद जल्द IES अधिकारी बनेंगे.

राजीव दैपुरिया बने UPSC-IES टॉपर

भिंड। मध्यप्रदेश वह राज्य है, जिसे हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है. इस दिल के एक कोने में बसा है भिंड जिला.. वैसे तो भिंड की पहचान दस्यु पीड़ित चम्बल की वजह से बदनाम रही.. ये बड़ी वजह है की आज भी भिंड विकास के लिए जद्दोजहद कर रहा है, मूलभूत सुविधाओं की राह ताक रहा है. यहां शिक्षा का स्तर भी कुछ खास नहीं है, बच्चे सरकारी से ज्यादा प्राइवेट स्कूल जाना बेहतर समझते हैं और जिन्हें अच्छी शिक्षा चाहिए या उच्च शिक्षा हांसिल करना हो तो वे जिले से बाहर पढ़ने चले जाते हैं. लेकिन बीते कुछ वर्षों में यहाँ के युवाओं ने अपने ज्ञान का डंका बजाना शुरू कर दिया है, पिछले साल यूपीएससी जैसी प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेकर इसी जिले के तीन युवा सिविल जज बने वहीं एक छोटे से गांव से निकले एक युवक ने अपनी पढ़ाई और लगन की दम पर मिसाल कायम कर दी है. ये युवा हैं राजीव दैपुरिया जिन्होंने UPSC IES एग्जाम को ना सिर्फ पास किया है, बल्कि मेहनत का लोहा मनवाते हुए देश में पहली रैंक हांसिल की है.

Rajeev Depuria Ranked First In UPSC
भिंड के युवाओं के लिए मिसाल हैं राजीव

नौकरी के साथ की तैयारी, मेहनत से देश में अव्वल आए: मूल रूप से भिंड ज़िले के सपाड़ गाँव के रहने वाले राजीव दैपुरिया एक मध्यम परिवार से हैं, ETV भारत से बातचीत के दौरान भिंड के एक युवा से IES अधिकारी बनने की ओर बढ़ते कदम के अपने अनुभव साझा करते हुए राजीव ने बताया कि इण्डियन इंजीनियरिंग सर्विसेज़(IES) 2022 की परीक्षाओं में ईएनटी स्ट्रीम में देश में पहला स्थान मिला है, इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी. राजीव वर्तमान में एनटीपीसी बिहार में पोस्टेड हैं उन्होंने बताया कि 'तैयारी भी जॉब के साथ साथ रही साल 2020 से सफर शुरू हुआ उसी वर्ष पहला अटेम्प्ट था लेकिन असफल रहे, कॉर्पोरेट जॉब के बारे में तो सभी जानते हैं. ऑफिस टाइम ओवर होने के बाद भी फ्री नहीं रह पाते हैं, वर्किंग डेज़ में 3 से 4 घंटे पढ़ाई के लिए निकालते थे. लेकिन ऑफिस टाइम में समय चुरा लेता था, कहा जाये तो लंच ब्रेक के समय में पढ़ाई करते थे. वीकेंड पर छुट्टी होती थी तो वो दिन पूरी तरह पढ़ाई में ही लगाते थे.

अक्षय कुमार ने बच्चों को दिया सफलता का धांसू आइडिया

ये है सफलता का मंत्र: पढ़ाई को लेकर जिले की स्थिति पर चर्चा करते हुए राजीव ने कहा कि, "यहाँ कि बच्चे भी आगे बढ़ सकते हैं, मेरी बेसिक पढ़ाई भी भिंड के निजी स्कूल से हुई है. मैं पढ़ने में भी टॉपर नहीं था, लेकिन असल बदलाव केंद्रीय विद्यालय से हुआ जब हिन्दी मीडियम से अंग्रेजी मीडियम में पहुंचा, ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष था क्यूँकि मुझे अंग्रेज़ी नहीं आती थी. मैंने एक वर्ष मेहनत की और उससे सीखा कि अगर आप किसी चीज़ पर मेहनत करते हैं तो कोई भी टास्क हो सफलता हांसिल कर सकते हैं. और मैं यही चीज़ भिंड के छात्रों को बोलना चाहता हूँ कि आप हार से मत डरिए, अगर गिरते हैं तो बार बार उठने का हुनर रखिए. मेहनत करिए दुनिया की कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसे आप पा नहीं सकते."

Rajeev Depuria Ranked First In UPSC
राजीव दैपुरिया अपने परिवार के साथ

जानिए IAS और IES कार्य क्षेत्र में अंतर: UPSC का मतलब अक्सर छात्र IAS ही समझते हैं. IES और IAS में क्या फ़र्क़ है. आज भी कई युवकों को नहीं पता है, जब इस बारे में उनसे बात की गई तो राजीव ने कहा कि UPSC परीक्षाएं करवाता है, इन्ही में एक ESE हैं जो IES सिलेक्शन के लिए परीक्षा है. हमारे मेट्रोमैन जिन्होंने देश को दिल्ली मेट्रो की सौग़ात दी श्रीधरन जी वे भी इंजीनियरिंग सर्विसेज से ही निकले हैं. IAS प्रशासनिक सेवाएँ हैं उनका कार्यक्षेत्र अलग है (IES) इंजीनियरिंग सेवाएं भी उसी दर्जे की हैं संविधान की नज़र में उनका दर्जा, पेयस्केल सभी एक बराबर हैं. सभी गैजेट-A वर्ग की पोस्ट हैं. लेकिन इनके कार्यक्षेत्र में अंतर है, वन्दे भारत ट्रेन भी इन्ही इंजीनियरिंग ऑफ़िसर्स का कार्य है योगदान है.

कई बार लगता था- नहीं हो पाएगा, लेकिन बीच में नहीं छोड़ा: अपने सफर के महत्वपूर्ण पड़ाव के बारे में चर्चा करते हुए राजीव डाइपुरिया ने बताया कि ऐसा कई बार होता है जब हम किसी लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हैं और नाकाम होते हैं मैंने 2020 में प्रीलिम्स ही नहीं निकाल पाए मुझे लगता था कि यह असंभव सा कार्य है क्यूँकि जनरल कैटेगरी के छात्र के लिए अवसर बहुत सीमित होता है लेकिन मुझे इस बात का भरोसा था कि अगर मैंने कोई चीज़ शुरू की है तो मैं उसे बीच में नहीं छोड़ सकता हूँ. कुछ लोग ऐसे थे जिन्होंने मुझे अपनी कोशिश छोड़ने और न किसी अन्य एग्ज़ाम की तैयारी करने के लिए भी कहा लेकिन मैंने अपने मन की सुनी.

वो कविता जिसने इंटरव्यू के दौरान पैनल को किया प्रभावित: अपने इंटरव्यू के अनुभव साझा करते हुए तो उन्होंने बताया कि, जब एक बार उन्हें भिंड कलेक्टर के साथ मुलाक़ात का मौक़ा मिला था, लेकिन अपनी व्यस्तता के चलते कलेक्टर उन्हें नज़र उठाकर देख भी नहीं पाए थे जो के स्वाभाविक था. लेकिन जब मैं भी अपने इंटरव्यू के लिए पहुंचा, तो मेरे सामने सचिव लेवल के अधिकारी से रिटायर्ड पूरा पैनल बैठा हुआ था और उन सबकी निगाहें मेरी ओर ही थी और मुझे पूरा एक घंटे का समय दिया गया था, मेरे लिए यही बड़ी बात थी. वहीं उन्होंने पैनल को प्रभावित करने वाले मोमेंट के बारे में बताते हुए कहा कि जब इंटरव्यू के आख़िर में मुझे अपनी ओर से कुछ बोलने का मौक़ा दिया गया तो मैंने बताया कि मैं कविताएँ लिखता हूँ मैंने उन्हें अपनी एक कविता सुनाई..
जो चाहो वो पा सकते हो,
दुनिया को हिला सकते हो!
बुलंदियों को दूर से देख सकते हो या,
बुलंदियों पर जाकर दिखा सकते हो!!
इन पंक्तियों को सुनने के बाद भी सामने बैठे पैनल के अधिकारी इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे सराहते हुए कहा कि ‘what a punch line राजीव’ मेरे लिए यह बड़ी बात थी.

इंडियन इकोनॉमिक सर्विस में गोरखपुर की अनिशा गौहर ने हासिल की देश में 11वीं रैंक

ख़ुशियाँ मना रहा परिवार, कहा- बेटे पर गर्व है: राजीव की इस उपलब्धि के बाद उनके पूरे परिवार में भी जश्न का माहौल है, इन दिनों घर में माता पिता, बहन बहनोई. दो बड़े भाई-भाभी उनके बच्चे कुल मिलाकर भरा पूरा परिवार एक साथ है और ख़ुशियाँ माना रहा है. उनके पूरे परिवार ने भी ETV भारत से उनके बचपन और संघर्ष को लेकर कई बातें कही यहाँ माँ ने बताया कि किस तरह राजीव की पढ़ाई के लिए मेहनत करता था. वह कई दिनों तक घर नहीं आता था अब बेटा IES अधिकारी बन गया है, तो इस बात की बेहद ख़ुशी है. वहीं बड़े भाई ने भी पढ़ाई के लिए हमेशा पूरा सपोर्ट किया मिताली ने तो बताया कि उन्हें तो पता ही नहीं चला कि कब उनका बेटा परीक्षा में अव्वल वाला आ गया और अब एक बड़ा अधिकारी बनने वाला है. वह हमेशा सिर्फ़ यही कहता था की तैयारी कर रहा हूं, लेकिन आज उसकी मेहनत देखकर ख़ुशी होती है.

कैसा रहा पढ़ाई का सफर: कक्षा 7वीं तक भिंड के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई की, इसके बाद कक्षा-8 से 12वीं तक केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की , साल 2012 में गोवाहाटी IIT कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में एडमिशन हुआ था इसके बाद 2016 में पासआउट हुआ उसी दौरान कैंपस सिलेक्शन हुआ और एक नामी कम्पनी में जॉब लग गई फिर जॉब स्विच की एक साल एक अन्य कंपनी में काम किया और वर्तमान में एनटीपीसी नविनगर बिहार में पोस्टेड हैं. और अब ESE में AIR 1 लाने के बाद जल्द IES अधिकारी बनेंगे.

Last Updated : Jan 2, 2023, 7:44 PM IST
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