ETV Bharat / state

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी ककहरा ग्राम पंचायत, मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण

author img

By

Published : Nov 22, 2019, 12:06 AM IST

भिंड के ककहरा ग्राम पंचायत के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. गांव में न तो सड़क है और न ही शौचालय इससे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण

भिंड। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित ककहरा गांव विकास की बाट जोह रहा है. ककहरा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर है. विकास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. गांव में ना तो सड़कें हैं ना ही शौचालय. चाकों ओर सिर्फ मिट्टी और कीचड़ नजर आता है.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण
गांव की दलित बस्ती तक पहुंचने के लिए रास्ता ही खत्म हो गया क्योंकि पूरे रास्ते पर पानी और कीचड़ है. भारी वाहनों के निकलने से पांच साल पहले बनी सड़क बनने के तीन महीने बाद ही टूट गई, तब से हालात जस के तस बने हुए हैं. इस बात पर ना ही प्रशासन ध्यान दे रहा है और ना ही सरपंच कोई बात सुनने को तैयार है. ऐसे में ग्रामीण गंदगी भरे माहौल में रहने को मजबूर हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव का सरपंच अपने लोगों को फायदा पहुंचाता है. जहां प्रधानमंत्री देश भर में स्वच्छता अभियान के तहत हर घर शौचालय बनवा रहे हैं वहीं सरपंच ने गांव में शौचालयों का निर्माण भी नहीं कराया है. ग्रामीण आज भी खुले में शौच करते हैं. प्रशासन गांव के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है ना ही ग्रामीणों का समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं. भ्रष्टाचार की भेंट चढें ककहरा पंचायत के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

भिंड। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित ककहरा गांव विकास की बाट जोह रहा है. ककहरा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर है. विकास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. गांव में ना तो सड़कें हैं ना ही शौचालय. चाकों ओर सिर्फ मिट्टी और कीचड़ नजर आता है.

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे ग्रामीण
गांव की दलित बस्ती तक पहुंचने के लिए रास्ता ही खत्म हो गया क्योंकि पूरे रास्ते पर पानी और कीचड़ है. भारी वाहनों के निकलने से पांच साल पहले बनी सड़क बनने के तीन महीने बाद ही टूट गई, तब से हालात जस के तस बने हुए हैं. इस बात पर ना ही प्रशासन ध्यान दे रहा है और ना ही सरपंच कोई बात सुनने को तैयार है. ऐसे में ग्रामीण गंदगी भरे माहौल में रहने को मजबूर हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव का सरपंच अपने लोगों को फायदा पहुंचाता है. जहां प्रधानमंत्री देश भर में स्वच्छता अभियान के तहत हर घर शौचालय बनवा रहे हैं वहीं सरपंच ने गांव में शौचालयों का निर्माण भी नहीं कराया है. ग्रामीण आज भी खुले में शौच करते हैं. प्रशासन गांव के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है ना ही ग्रामीणों का समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं. भ्रष्टाचार की भेंट चढें ककहरा पंचायत के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.
Intro:शहर से गांव तक विकास की बात करने वाली प्रदेश सरकार के तमाम दावे भिंड का एक गांव झूठ साबित कर रहा है हम बात कर रहे हैं भिंड के ककहरा गांव की जहां न तो सर के हैं न शौचालय की व्यवस्था यहां तक कि लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान तक नहीं मिल रहे हद तो इस बात की है कि गांव के सरपंच पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं बात करने पर ग्रामीण सरपंच को खुलेआम गालियां तक देते हैं लोगों का मानना है कि उनसे गलती हुई है कि उन्होंने ऐसा सरपंच सुना जोक ग्रामीणों को सुविधाएं मुहैया कराने की बजाय अपनी और अपने लोगों की जेब भरने में लगा है


Body:भिंड जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ककहरा ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है इस बात का सबूत वह तस्वीरें देती हैं जिनमें कटहरा गांव के विकास कार्यों की पोल खुलती नजर आ रही है गांव में सड़क तो है लेकिन मिट्टी और कीचड़ से बनी क्योंकि पूरे गांव में हर जगह सिर्फ पानी और कीचड़ ही भरा नजर आता है गांव की दलित बस्ती पर तो हालात यह हैं कि जब ईटीवी भारत की टीम मौके पर पहुंची तो दलित बस्ती तक पहुंचने के लिए रास्ता ही खत्म हो गया क्योंकि पूरे रास्ते पर पानी और कीचड़ था किसी तरह जब ईटीवी भारत संवाददाता दलित बस्ती तक पहुंचे तो सरपंच के लिए लोगों का गुस्सा फूट पड़ा लोगों का कहना था कि गांव का सरपंच अपने लोगों को फायदा पहुंचाता है उसे लोगों के जीने या मरने से कोई फर्क नहीं लोकसभा चुनाव के बाद तो गांव का सरपंच और सचिव झांकने तक नहीं आए

गांव की एक बुजुर्ग महिला से बात करने पर उन्होंने बताया कि उनके घर के बाहर कीचड़ भरा हुआ है रेत से भरी ट्रैक्टर निकलने के चलते 5 साल पहले डाली गई सड़क में 3 महीने बाद ही खत्म हो गई थी और तब से हालात जस के तस बनी है लेकिन सरपंच कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं है इस गंदगी भरे माहौल में रहने की मजबूरी बन गई है अब तो सरपंच के लिए मुंह से बस गालियां ही निकलती हैं

जहां प्रधानमंत्री देश भर में स्वच्छता अभियान के तहत हर घर शौचालय बनवा रहे हैं वहीं ककहरा गांव में कुछ घरों को छोड़ दिया जाए तो सरपंच द्वारा शौचालयों का निर्माण भी नहीं कराया गया आज लोग वहां खुले में शौच जाने को मजबूर हैं और जो लोग इस हालत में नहीं उनके लिए परेशानी और बढ़ जाती है सरपंच के सितम से नाराज ग्रामीणों का कहना है कि गांव में महिला सरपंच है और सरपंची उसका पति करता है कई बार सरपंच पति से शौचालय की मांग की है यह किसी काम के लिए निवेदन किया है तो हर बार वह सिर्फ यह कह कर टाल देता है कि जल्द ही करवा दूंगा कहीं भागे थोड़े ना जा रहा हूं।

भ्रष्टाचार की भेंट ककहरा पंचायत के ग्रामीणों की समस्या बताते हुए जब हमने भिंड कलेक्टर से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने सिर्फ "जानकारी में आया है तो अब जांच करा दूंगा" कहकर बात टाल दी जब जनता की समस्या के लिए बैठक जिले का सर्वोच्च अधिकारी इस तरह की बात कहे तो आमजन अपनी परेशानी किसको बताए।


Conclusion:एक और जहां प्रधानमंत्री देश के विकास के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रहे हैं शहर से गांव तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं वही भिंड की ककहरा ग्राम पंचायत ने योजनाओं में भ्रष्टाचार की पोल खोल रही है जहां गांव की सड़कें दलदल में तब्दील है तो सरकारी योजनाओं से ग्रामीण पंचायत और दोषी गांव वाले सरपंच को मानते हैं जब ऐसे में गांव के लिए चुने गए मुखिया पर ही भ्रष्टाचार और भेदभाव के आरोप लगे तो विकास की बात बेमानी लगती है।

बाइट1- कैलाशी, ग्रामीण (नोट- इनकी बाइट में सरपंच को गाली दी है कृपया बीप लगाएं)
बाइट- रामधनी, ग्रामीण
बाइट- नंदा, ग्रामीण
बाइट- रामदुलारी, ग्रामीण
बाइट- सुरेंद्र सिंह राजावत, सरपंच पति, ककहरा ग्राम पंचायत
बाइट- छोटे सिंह, कलेक्टर, भिंड

पीटीसी- पीयूष श्रीवास्तव, संवाददाता

note- बाइट फाइल में ही पीटीसी भी अटैच है
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.