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13 साल से अधूरी यह जेल, जानिए पूरा मामला

भिंड जिले में एक जेल पिछले 13 साल से निर्माणधीन है लेकिन इसके पूरे होने का समय नहीं आ रहा है. अधिकारी,ठेकेदार को इसके लिए जिम्मेदार मान रहे है.तो वहीं ठेकेदार पैसें नहीं होने का हवाला दे रहा है.

13 साल से अधूरी जेल
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Published : Aug 29, 2019, 6:05 AM IST

भिंड। एक दशक से ज्यादा बीत जाने के बाद भी भिंड में नई जेल का निर्माण कार्य अधूरा है. 2006 में शुरू हुए जेल निर्माण कार्य में कभी सरकारी प्रक्रिया, तो कभी ठेकेदार की लापरवाही सामने आती रही है. 13 साल बीत जाने के बाद भी यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि जेल का निर्माण कब तक पूरा हो पाएगा.

13 साल से अधूरी है जेल

वहीं जेल का निर्माण कर रहे ठेकेदार ने बताया कि फरवरी से 65 लाख रुपये का भुगतान नहीं हुआ है. जिससे हमें कई प्रकारी की परेशानियों का सामना करना पड़ रह है. ठेकेदार ने बताया कि स्थिति यह हो गई है कि मजदूरों को देने के लिए पैसें नहीं है.

भिंड जिले के जेल अधीक्षक ओबी पांडे बताते हैं कि वर्तमान जिला जेल में 280 से ज्यादा कैदी रह रहे हैं जबकि जेल की क्षमता महज 172 कैदी की है. वहीं जेल भवन भी करीब 100 साल पुराना हो चुका है और जर्जर है. उन्होंने बताया कि इस जेल में कुछ समय पहले 350 से ज्यादा कैदी हो गए थे ऐसे में अधीक कैदियों को देखते हुए करीब 100 कैदियों को अन्य जेलों में ट्रांसफर किया गया था.

पीआईओ विभाग के ईई पंकज परिहार का कहना है कि पहले जेल का काम पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा कराया जा रहा था इस दौरान 2017 में यह काम पीआईयू विभाग के पास आया लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से उन्हें कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. साथ ही लगातार निर्माण राशि के आवंटन में मध्यप्रदेश शासन से देरी हुई जिसके चलते भुगतान नहीं हो सका और काम अभी तक अधूरा है.

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि शुरुआत में ही टेंडर प्रक्रिया के कारण निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ. वहीं वे इसके लिए ठेकेदार को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उन्होंने बताया कि केई बार ठेकेदार को नोटिस जारी किए गए थे लेकिन इन सब के बावजूद ठेकेदार ने अपना काम नहीं किया. फिलहाल ठेकेदार के खिलाफ कोर्ट में केस चल रहा है.

नई जेल में होगा स्कूल और अस्पताल

नई जिला जेल में कैदियों के लिए स्कूल खोला जाएगा जिसमें कैदियों को नेकी और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाएगा. ताकि वे सजा काटने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें. इसलिए जेल में 5 वर्ग शेड बनाए जाएंगे. जहां कैदियों को काम भी सिखाया जाएगा और वह जेल में बंद रहने के दौरान काम कर पैसे भी कमा सकेंगे. जेल में ही अस्पताल भी बनवाया जा रहा है. जहां बीमार होने पर कैदियों को तत्काल प्राथमिक उपचार मुहैया कराया जा सके.

कैसी होगी नई जिला जेल
भिंड के रतनपुरा गांव के पास निर्माणाधीन नई जिला जेल में 560 कैदियों की क्षमता की होगी. लेकिन जरूरत पड़ने पर 1हजार कैदी तक इसमें रखे जा सकेंगे

भिंड। एक दशक से ज्यादा बीत जाने के बाद भी भिंड में नई जेल का निर्माण कार्य अधूरा है. 2006 में शुरू हुए जेल निर्माण कार्य में कभी सरकारी प्रक्रिया, तो कभी ठेकेदार की लापरवाही सामने आती रही है. 13 साल बीत जाने के बाद भी यह कहना थोड़ा मुश्किल है कि जेल का निर्माण कब तक पूरा हो पाएगा.

13 साल से अधूरी है जेल

वहीं जेल का निर्माण कर रहे ठेकेदार ने बताया कि फरवरी से 65 लाख रुपये का भुगतान नहीं हुआ है. जिससे हमें कई प्रकारी की परेशानियों का सामना करना पड़ रह है. ठेकेदार ने बताया कि स्थिति यह हो गई है कि मजदूरों को देने के लिए पैसें नहीं है.

भिंड जिले के जेल अधीक्षक ओबी पांडे बताते हैं कि वर्तमान जिला जेल में 280 से ज्यादा कैदी रह रहे हैं जबकि जेल की क्षमता महज 172 कैदी की है. वहीं जेल भवन भी करीब 100 साल पुराना हो चुका है और जर्जर है. उन्होंने बताया कि इस जेल में कुछ समय पहले 350 से ज्यादा कैदी हो गए थे ऐसे में अधीक कैदियों को देखते हुए करीब 100 कैदियों को अन्य जेलों में ट्रांसफर किया गया था.

पीआईओ विभाग के ईई पंकज परिहार का कहना है कि पहले जेल का काम पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा कराया जा रहा था इस दौरान 2017 में यह काम पीआईयू विभाग के पास आया लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से उन्हें कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई. साथ ही लगातार निर्माण राशि के आवंटन में मध्यप्रदेश शासन से देरी हुई जिसके चलते भुगतान नहीं हो सका और काम अभी तक अधूरा है.

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि शुरुआत में ही टेंडर प्रक्रिया के कारण निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ. वहीं वे इसके लिए ठेकेदार को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उन्होंने बताया कि केई बार ठेकेदार को नोटिस जारी किए गए थे लेकिन इन सब के बावजूद ठेकेदार ने अपना काम नहीं किया. फिलहाल ठेकेदार के खिलाफ कोर्ट में केस चल रहा है.

नई जेल में होगा स्कूल और अस्पताल

नई जिला जेल में कैदियों के लिए स्कूल खोला जाएगा जिसमें कैदियों को नेकी और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाएगा. ताकि वे सजा काटने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें. इसलिए जेल में 5 वर्ग शेड बनाए जाएंगे. जहां कैदियों को काम भी सिखाया जाएगा और वह जेल में बंद रहने के दौरान काम कर पैसे भी कमा सकेंगे. जेल में ही अस्पताल भी बनवाया जा रहा है. जहां बीमार होने पर कैदियों को तत्काल प्राथमिक उपचार मुहैया कराया जा सके.

कैसी होगी नई जिला जेल
भिंड के रतनपुरा गांव के पास निर्माणाधीन नई जिला जेल में 560 कैदियों की क्षमता की होगी. लेकिन जरूरत पड़ने पर 1हजार कैदी तक इसमें रखे जा सकेंगे

Intro:एक दशक से ज्यादा बीतने के बाद भी मन में नई जेल का निर्माण कार्य आज तक अधूरा है साल 2006 में शुरू हुआ निर्माण कार्य कभी सरकारी प्रक्रिया तो कभी ठेकेदार की लापरवाही की भेंट चढ़ गया करीब 13 साल के लंबे इंतजार के बाद नई जेल में बनी बिल्डिंग भी जर्जर होने लगी है जेल का निर्माण कार्य अभी भी जारी है लेकिन ठेकेदार भी पैसों का आवंटन ना होने से अब मजबूरी के आंसू बहा रहे हैं वहीं नई जेल का निर्माण करवा रहा की पी आई यु विभाग काम में देरी का ठीकरा मध्यप्रदेश शासन और लोक निर्माण विभाग के मध्य मर रहा है और इन सब बातों का खामियाजा वर्तमान जिला जेल को भुगतना पड़ रहा है




Body:दरअसल भिंड के वर्तमान जिला जेल मैं बढ़ रही कैदियों की संख्या के चलते जेल प्रशासन ने भिंड में नई और बड़ी जेल बनाने का फैसला लिया था साल 2006 में टेंडर प्रक्रिया की गई और रतनपुरा में नई जेल का निर्माण कार्य शुरू हुआ लेकिन ठेकेदारों की लापरवाही और धीमी गति के कार्य करने से कई सालों बाद भी 560 कैदियों की क्षमता वाली नई जिला जेल का निर्माण अधूरा है मामले को लेकर जेल का निर्माण करा रहे पिया यू विभाग के अधिकारी सारी दिक्कतों के लिए मध्यप्रदेश शासन और लोक निर्माण विभाग को दोषी ठहरा रहे हैं पीआईओ विभाग के ईई पंकज परिहार का कहना है कि पहले जेल का काम पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा किया जा रहा था साल 2017 में यह काम पीआईयू विभाग के पास आया लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से उन्हें कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई थी साथ ही लगातार निर्माण राशि के आवंटन में मध्यप्रदेश शासन से देरी हुई जिसके चलते भुगतान न हो सके और काम अभी तक अधूरा है वहीं मामले को लेकर पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि शुरुआत में टेंडर प्रक्रिया के चलते निर्माण कार्य देर से शुरू हुआ लेकिन ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य धीमी गति से कराया गया जिसको लेकर कई बार ठेकेदारों को नोटिस भी जारी किए गए थे साथ ही हाई कोर्ट में भी ठेकेदार के खिलाफ केस चल रहा है।


वर्तमान जिला जेल के हालात
भिंड जिला जेल अधीक्षक को भी पांडे बताते हैं कि वर्तमान जिला जेल में 280 से ज्यादा कैदी रह रहे हैं जबकि जेल की क्षमता महज 172 कैदी है वहीं जेल भवन भी करीब 100 साल पुराना हो चुका है इस जेल में कुछ समय पहले 350 से ज्यादा कैदी हो गए थे ऐसे में क्षमता को देखते हुए करीब 100 कैदियों को अन्य जेलों में ट्रांसफर करना पड़ा था।

कैसी होगी नई जिला जेल
रतनपुरा गांव के पास निर्माणाधीन नई जिला जेल 560 कैदियों की क्षमता की होगी लेकिन जरूरत पड़ने पर कई 1000 कैदी तक इसमें रखे जा सकेंगे जेल में 8 ब्लॉक होंगे महिला कैदियों के लिए अलग से बैरक बनाई जाएगी इसमें एक साथ 40 महिला कैदी रह सकेंगी बच्चा बैरक भी होगी इसमें 20 बच्चों को रखने की क्षमता होगी जेल का निर्माण 492944 वर्ग फीट एरिया में किया जा रहा है जेल की 24 घंटे निगरानी के लिए एक सेंट्रल वॉच टावर भी बनाया जाएगा इसके साथ जेल के चारों कोनों पर एक एक ऑब्जर्वेशन टावर बनाए जा रहे हैं जेल स्टाफ के लिए 41 क्वार्टर बनाए जाएंगे एक क्वार्टर जेल गार्ड के लिए होगा जेल के लिए भी हाईटेक कार्यालय बनाया जाएगा

नई जेल में होगा स्कूल और अस्पताल
नई जिला जेल में कैदियों के लिए स्कूल खोला जाएगा पढ़ने के चुप कैदियों को जेल में ही नेकी और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाएगा सजा काटने के बाद कैदी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें इसलिए जेल में 5 वर्ग शेड बनाए जाएंगे जहां कैदियों को काम भी सिखाया जाएगा और वह जेल में बंद रहने के दौरान काम कर पैसे भी कमा सकेंगे जेल में ही अस्पताल भी बनवाया जा रहा है जहां बीमार होने पर कैदियों को तत्काल प्राथमिक उपचार मुहैया कराया जा सके।


Conclusion:आपको बता दें कि फरवरी 2018 में तत्कालीन जेल मंत्री अंतर सिंह आर्य के दौरे के दौरान पीआईयू विभाग के अधिकारियों ने अगस्त 2018 तक निर्माण कार्य पूरा होना बताया था लेकिन तय समय के साल भर बाद भी पीआईयू विभाग के अधिकारी मार्च 2020 तक निर्माण कार्य पूरा होने का हवाला दे रहे हैं ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पीआईयू विभाग अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहा है और लगातार अपनी लापरवाही का ठीकरा दूसरे विभागों और शासन पर फोड़ रहा है

बाइट- ओबी पांडे, जेल अधीक्षक, जिला जेल भिंड ( ब्लू शर्ट में)
बाइट- पंकज परिहार, ईई, पीआईयू ( येलो शर्ट में)
बाइट- प्रहलाद, सुपरवाइजर, ठेका कंपनी( गले में गमछा डाले)
बाइट- राम कुमार गोयल, अनुरेखक, पीडब्ल्यूडी( पिंक शर्ट में)
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