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कोरोना काल में किसानों पर दोहरी मार, नहीं मिल रहा मेहनत का उचित दाम

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Published : Aug 7, 2020, 2:26 PM IST

पहले से ही ओलावृष्टि की मार झेल चुके किसानों पर कोरोना वायरस की वजह से दोहरी मार पड़ी है. अब कोरोना वायरस ने फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की भी मेहनत पर भी पानी फेर दिया है. पिछली बार की तुलना में इस बार बंपर पैदावार हुई है, लेकिन कोरोना की वजह से किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम नहीं मिल रहा है.

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भिंड। कोरोना वायरस ने हर वर्ग को प्रभावित किया है, इससे किसान भी अछूते नहीं है. वैश्विक महामारी ने आमजन के साथ ही फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की भी मेहनत पर भी पानी फेर दिया है. पहले करीब दो महीने लॉकडाउन रहने की वजह से मजदूर नहीं मिलने से किसानों की सब्जियां खेत में ही सड़ती रही. वहीं जब अनलॉक हुआ तो किसानों को उम्मीद थी की उनको कुछ फायदा होगा, लेकिन अनलॉक में भी सब्जियों के उचित दाम किसानों को नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में किसानों को अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ा रहा है.

किसानों पर पड़ी दोहरी मार

किसानों पर पड़ी दोहरी मार

पहले से ही ओलावृष्टि की मार झेल चुके किसानों पर कोरोना वायरस की वजह से दोहरी मार पड़ी है. किसानों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार फसल काफी ज्यादा हुई है, लेकिन उस फसलों के वाजिब दाम ही नहीं मिल पा रहे हैं. लॉकडाउन के शुरूआती दौर में लगाई गई फसलें जैसे गोभी टमाटर या पत्तागोभी की सीजनल सब्जियां खेतों में खड़े-खड़े ही खराब हो गई थी. वहीं बरसात के सीजन में लगने वाली सबसे ज्यादा सब्जियों में जैसे तोरई कद्दू और लौकी की इस बार पैदावार तो बंपर है, लेकिन उसे मंडी तक पहुंचाने का भी खर्चा नहीं निकल पा रहा है.

किसानों को उठाना पड़ रहा है नुकसान

किसानों का कहना है कि उनसे व्यापारी सब्जी 7 से 8 रुपए प्रति किलो खरीद रहे हैं, लेकिन उस सब्जी को व्यापारी बाजार में 15 से 20 तो कहीं 30 रूपए प्रति किलो तक बेच रहे हैं. वहीं एक अन्य किसान ने बताया की लागत ना निकलने की वजह से उन्हें अपनी 20 बीघा खेत में लगी लौकी की फसल को नष्ट कर दिया और अब खेत खाली पड़ा है. किसानों का कहना है कि पिछले साल इस सीजन में उन्हें 40 हजार से 50 हजार तक का फायदा हुआ था, लेकिन इस बार 20 हजार की लागत लगाकर सब्जियां बोई थी, लेकिन इस बार किसानों को लागत भी नहीं मिल पाई है, ऐसे में किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

किसानों की सरकार से मांग

किसान नेता संजीव बरुआ का कहना है कि व्यापारी किसानों से सब्जी और फल कम दाम में ले रहे हैं, लेकिन बाजार में ज्यादा दाम में बेच रहे हैं. उनका कहना है कि प्रशासन की अनदेखी की वजह से व्यापारी मनमानी कर रहे हैं. ऐसे में फायदा तो हुआ नहीं उल्टा किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. किसान नेता का कहना है कि प्रशासन ने लॉकडाउन को अपनी ढाल बना रखी है. सरकार तक हमारी बात नहीं पहुंच रही. किसान नेता ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाया जाए नहीं तो वे बिना अनुमति के आंदोलन करेंगे.

किसानों के लिए क्या है उद्यानिकी विभाग का प्लान

भिंड के उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक गंभीर सिंह तोमर ने बताया कि कोविड-19 के दौर में सभी सब्जी और फल उगाने वाले किसानों के लिए अपने उत्पाद बिक्री करने के लिए ई-पास की व्यवस्था की गई है, जिसके जरिए वह मंडी में अपनी सब्जियां सीधा बेच सकते हैं.

उनका कहना है कि उद्यानिकी विभाग का प्रयास है कि भिंड जिले में उद्यानिकी रकबा बढ़ाया जाए, लेकिन इसमें कुछ समस्याएं भी आ रही हैं. गंभीर सिंह तोमर के मुताबिक अभी वर्तमान में भिंड जिले में करीब 11 हजार 187 हेक्टेयर उद्यानिकी भूमि है. जिसको 10 प्रतिशत बढ़ाने का टारगेट रखा है. इसके लिए विभाग में कई योजनाएं अपडेट करने के लिए भी विभाग के मंत्री को पहले ही पत्र लिखा गया है, वहीं जो समस्याएं आ रही हैं उनमें सबसे पहले भिंड जिले में राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन ना होना एक बड़ी परेशानी है. क्योंकि इसकी वजह से कई किसान केंद्र शासन की अच्छी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं .वहीं दूसरी बड़ी समस्या आवारा पशुओं की है, जिन से बचाव के लिए फल और सब्जी के खेतों पर फेंसिंग की योजना का प्रस्ताव भी उद्यानिकी विभाग द्वारा शासन को भेजा गया है. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा किसान उसका लाभ ले सके और अपनी फसलों को नष्ट होने से बचा सकें.

किसानों के लिए अनुदान व्यवस्था

भिंड जिले में फल और सब्जियों की कई किसानों का उत्पादन होता है. फलों में अमरूद और नींबू की खेती होती है, जबकि सब्जियां सीजनल लगभग सभी तरह की होती हैं. फल और सब्जियों के उत्पादन के लिए शासन द्वारा अनुदान की व्यवस्था भी की गई है, जिससे कि किसानों पर लागत का ज्यादा बोझ ना पड़े और वह खेती को लाभ का धंधा बना सकें. इसके लिए फल उगाने वाले किसानों को उनकी लागत का 40 फीसदी अनुदान दिया जाता है, जो कि 3 साल में 30 हाजर तक प्रति हेक्टेयर है.

आंकड़े भिंड जिले में इस साल उगाई गई सब्जियों का (मेट्रिक टन में) फसल:

  • आलू: एरिया-1540 हेक्टेयर, उत्पादन- 38880 मेट्रिक
  • प्याज: एरिया- 645 हेक्टेयर, उत्पादन- 12905 मेट्रिक
  • टमाटर: एरिया- 935 हेक्टेयर, उत्पादन- 9817 मेट्रिक टन
  • मिर्च: एरिया- 490 हेक्टेयर, उत्पादन- 3929 मेट्रिक टन
  • नीबू: एरिया- 100 हेक्टेयर, उत्पादन- 1400 मेट्रिक टन
  • अमरूद: एरिया- 170 हेक्टेयर, उत्पादन- 3825 मेट्रिक टन
  • वर्तमान में भिंड जिले की 5 नर्सरी में उपलब्ध फल पौधों की संख्या

भिंड। कोरोना वायरस ने हर वर्ग को प्रभावित किया है, इससे किसान भी अछूते नहीं है. वैश्विक महामारी ने आमजन के साथ ही फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की भी मेहनत पर भी पानी फेर दिया है. पहले करीब दो महीने लॉकडाउन रहने की वजह से मजदूर नहीं मिलने से किसानों की सब्जियां खेत में ही सड़ती रही. वहीं जब अनलॉक हुआ तो किसानों को उम्मीद थी की उनको कुछ फायदा होगा, लेकिन अनलॉक में भी सब्जियों के उचित दाम किसानों को नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में किसानों को अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ा रहा है.

किसानों पर पड़ी दोहरी मार

किसानों पर पड़ी दोहरी मार

पहले से ही ओलावृष्टि की मार झेल चुके किसानों पर कोरोना वायरस की वजह से दोहरी मार पड़ी है. किसानों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार फसल काफी ज्यादा हुई है, लेकिन उस फसलों के वाजिब दाम ही नहीं मिल पा रहे हैं. लॉकडाउन के शुरूआती दौर में लगाई गई फसलें जैसे गोभी टमाटर या पत्तागोभी की सीजनल सब्जियां खेतों में खड़े-खड़े ही खराब हो गई थी. वहीं बरसात के सीजन में लगने वाली सबसे ज्यादा सब्जियों में जैसे तोरई कद्दू और लौकी की इस बार पैदावार तो बंपर है, लेकिन उसे मंडी तक पहुंचाने का भी खर्चा नहीं निकल पा रहा है.

किसानों को उठाना पड़ रहा है नुकसान

किसानों का कहना है कि उनसे व्यापारी सब्जी 7 से 8 रुपए प्रति किलो खरीद रहे हैं, लेकिन उस सब्जी को व्यापारी बाजार में 15 से 20 तो कहीं 30 रूपए प्रति किलो तक बेच रहे हैं. वहीं एक अन्य किसान ने बताया की लागत ना निकलने की वजह से उन्हें अपनी 20 बीघा खेत में लगी लौकी की फसल को नष्ट कर दिया और अब खेत खाली पड़ा है. किसानों का कहना है कि पिछले साल इस सीजन में उन्हें 40 हजार से 50 हजार तक का फायदा हुआ था, लेकिन इस बार 20 हजार की लागत लगाकर सब्जियां बोई थी, लेकिन इस बार किसानों को लागत भी नहीं मिल पाई है, ऐसे में किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

किसानों की सरकार से मांग

किसान नेता संजीव बरुआ का कहना है कि व्यापारी किसानों से सब्जी और फल कम दाम में ले रहे हैं, लेकिन बाजार में ज्यादा दाम में बेच रहे हैं. उनका कहना है कि प्रशासन की अनदेखी की वजह से व्यापारी मनमानी कर रहे हैं. ऐसे में फायदा तो हुआ नहीं उल्टा किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. किसान नेता का कहना है कि प्रशासन ने लॉकडाउन को अपनी ढाल बना रखी है. सरकार तक हमारी बात नहीं पहुंच रही. किसान नेता ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम दिलाया जाए नहीं तो वे बिना अनुमति के आंदोलन करेंगे.

किसानों के लिए क्या है उद्यानिकी विभाग का प्लान

भिंड के उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक गंभीर सिंह तोमर ने बताया कि कोविड-19 के दौर में सभी सब्जी और फल उगाने वाले किसानों के लिए अपने उत्पाद बिक्री करने के लिए ई-पास की व्यवस्था की गई है, जिसके जरिए वह मंडी में अपनी सब्जियां सीधा बेच सकते हैं.

उनका कहना है कि उद्यानिकी विभाग का प्रयास है कि भिंड जिले में उद्यानिकी रकबा बढ़ाया जाए, लेकिन इसमें कुछ समस्याएं भी आ रही हैं. गंभीर सिंह तोमर के मुताबिक अभी वर्तमान में भिंड जिले में करीब 11 हजार 187 हेक्टेयर उद्यानिकी भूमि है. जिसको 10 प्रतिशत बढ़ाने का टारगेट रखा है. इसके लिए विभाग में कई योजनाएं अपडेट करने के लिए भी विभाग के मंत्री को पहले ही पत्र लिखा गया है, वहीं जो समस्याएं आ रही हैं उनमें सबसे पहले भिंड जिले में राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन ना होना एक बड़ी परेशानी है. क्योंकि इसकी वजह से कई किसान केंद्र शासन की अच्छी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं .वहीं दूसरी बड़ी समस्या आवारा पशुओं की है, जिन से बचाव के लिए फल और सब्जी के खेतों पर फेंसिंग की योजना का प्रस्ताव भी उद्यानिकी विभाग द्वारा शासन को भेजा गया है. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा किसान उसका लाभ ले सके और अपनी फसलों को नष्ट होने से बचा सकें.

किसानों के लिए अनुदान व्यवस्था

भिंड जिले में फल और सब्जियों की कई किसानों का उत्पादन होता है. फलों में अमरूद और नींबू की खेती होती है, जबकि सब्जियां सीजनल लगभग सभी तरह की होती हैं. फल और सब्जियों के उत्पादन के लिए शासन द्वारा अनुदान की व्यवस्था भी की गई है, जिससे कि किसानों पर लागत का ज्यादा बोझ ना पड़े और वह खेती को लाभ का धंधा बना सकें. इसके लिए फल उगाने वाले किसानों को उनकी लागत का 40 फीसदी अनुदान दिया जाता है, जो कि 3 साल में 30 हाजर तक प्रति हेक्टेयर है.

आंकड़े भिंड जिले में इस साल उगाई गई सब्जियों का (मेट्रिक टन में) फसल:

  • आलू: एरिया-1540 हेक्टेयर, उत्पादन- 38880 मेट्रिक
  • प्याज: एरिया- 645 हेक्टेयर, उत्पादन- 12905 मेट्रिक
  • टमाटर: एरिया- 935 हेक्टेयर, उत्पादन- 9817 मेट्रिक टन
  • मिर्च: एरिया- 490 हेक्टेयर, उत्पादन- 3929 मेट्रिक टन
  • नीबू: एरिया- 100 हेक्टेयर, उत्पादन- 1400 मेट्रिक टन
  • अमरूद: एरिया- 170 हेक्टेयर, उत्पादन- 3825 मेट्रिक टन
  • वर्तमान में भिंड जिले की 5 नर्सरी में उपलब्ध फल पौधों की संख्या
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