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ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में खुली ओडीएफ की पोल, खुले में शौच को मजबूर लोग - ODF in bhind

ईटीवी भारत ने भिंड की ग्राम पंचायतों में ओडीएफ का रियलिटी चेक किया. जहां कई गांवों को खुले में शौच से मुक्ती दिलाने के सरकार के दावों की हकीकत सामने आई है. यहां कई गांवों में अब भी लोग खुले में शौच के लिए मजबूर है.

ईटीवी भारत
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Published : Oct 3, 2019, 2:03 PM IST

भिंड। क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण को लेकर नेताओं और अधिकारियों के दावे दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. सरकार द्वारा शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि के रूप में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी इस योजना का लाभ गरीब लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

भिंड में ओडीएफ का रियलिटी चेक

साल 2018 में जिले के डिड़ी पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन पंचायत में आने वाले गांवों में शौचालयों की निर्माण स्थिति का जायजा लिया गया तो पता लगा कि शौचालय का 70 फीसदी काम ही पूरा हो सका है. इसको लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है, जबकि वे लोग खुले में शौच जाने को भी मजबूर हैं.

रियलिटी चेक में सामने आयी ओडीएफ की सच्चाई
डिड़ी ग्राम पंचायत के सरपंच ने 100 फीसदी शौचालय बने दिखाकर पंचायत को ओडीएफ तो घोषित करा लिया. लेकिन पंचायत के मनफूल का पुरा गांव में जब रियलिटी चेक किया तो पता चला कि इस गांव में 55 घर हैं, जहां 300 से ज्यादा लोग रहते हैं. लेकिन शौचालय वमुश्किल 25 घरों में ही बने हैं. हालात यह है कि इनमें से कुछ शौचालय घटिया निर्माण के चलते टूट भी गए हैं.

गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि साल भर पहले भी अपना शौचालय बनवा रहे थे लेकिन सरपंच ने सरकारी शौचालय बनवाने का हवाला देकर काम रुकवा दिया, लेकिन साल भर बीतने के बाद भी शौचालय नहीं बना और घर में रखा पुराना मटेरियल ही बर्बाद हो रहा है. ऐसे में यह लोग शौच के लिए बाहर खेतों में जाने को मजबूर हैं. वहां डिड़ी ग्राम पंचायत के सरपंच सोमवीर सिंह का कहना है कि हर घर में शौचालय बनवा दिए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत सरपंच का झूठ साफ उजागर कर रही हैं.

ऐसे कैसे पूरा होगा खुले में शौच मुक्त का सपना
स्वच्छता मिशन के तहत केंद्र सरकार ने गांवों को खुले में शौच मुक्त कराने का जो सपना संजोया वह महज कागजों में सिमट कर रह गया है. यूं तो साल भर पहले जिले की लगभग सभी पंचायतों को ओडीएफ करार दिया गया है, लेकिन हकीकत में ग्रामीण इलाकों में 30 फीसदी आबादी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है. यह हालत तब है जब सरकार द्वारा लगातार शौचालय निर्माण के लिए ग्राम पंचायतों को राशि मुहैया कराई जा रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण की जमीनी हकीकत कई सवाल खड़ा करती है.

भिंड। क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालयों के निर्माण को लेकर नेताओं और अधिकारियों के दावे दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. सरकार द्वारा शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि के रूप में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, फिर भी इस योजना का लाभ गरीब लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

भिंड में ओडीएफ का रियलिटी चेक

साल 2018 में जिले के डिड़ी पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन पंचायत में आने वाले गांवों में शौचालयों की निर्माण स्थिति का जायजा लिया गया तो पता लगा कि शौचालय का 70 फीसदी काम ही पूरा हो सका है. इसको लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है, जबकि वे लोग खुले में शौच जाने को भी मजबूर हैं.

रियलिटी चेक में सामने आयी ओडीएफ की सच्चाई
डिड़ी ग्राम पंचायत के सरपंच ने 100 फीसदी शौचालय बने दिखाकर पंचायत को ओडीएफ तो घोषित करा लिया. लेकिन पंचायत के मनफूल का पुरा गांव में जब रियलिटी चेक किया तो पता चला कि इस गांव में 55 घर हैं, जहां 300 से ज्यादा लोग रहते हैं. लेकिन शौचालय वमुश्किल 25 घरों में ही बने हैं. हालात यह है कि इनमें से कुछ शौचालय घटिया निर्माण के चलते टूट भी गए हैं.

गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि साल भर पहले भी अपना शौचालय बनवा रहे थे लेकिन सरपंच ने सरकारी शौचालय बनवाने का हवाला देकर काम रुकवा दिया, लेकिन साल भर बीतने के बाद भी शौचालय नहीं बना और घर में रखा पुराना मटेरियल ही बर्बाद हो रहा है. ऐसे में यह लोग शौच के लिए बाहर खेतों में जाने को मजबूर हैं. वहां डिड़ी ग्राम पंचायत के सरपंच सोमवीर सिंह का कहना है कि हर घर में शौचालय बनवा दिए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत सरपंच का झूठ साफ उजागर कर रही हैं.

ऐसे कैसे पूरा होगा खुले में शौच मुक्त का सपना
स्वच्छता मिशन के तहत केंद्र सरकार ने गांवों को खुले में शौच मुक्त कराने का जो सपना संजोया वह महज कागजों में सिमट कर रह गया है. यूं तो साल भर पहले जिले की लगभग सभी पंचायतों को ओडीएफ करार दिया गया है, लेकिन हकीकत में ग्रामीण इलाकों में 30 फीसदी आबादी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है. यह हालत तब है जब सरकार द्वारा लगातार शौचालय निर्माण के लिए ग्राम पंचायतों को राशि मुहैया कराई जा रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण की जमीनी हकीकत कई सवाल खड़ा करती है.

Intro:भिंड क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में स्वच्छता के लिए शौचालयों के निर्माण पर लोगों की नाराजगी कई सवाल खड़े कर रही है स्वच्छता अभियान को लेकर नेताओं और अधिकारियों सहित सरपंचों की बड़ी-बड़ी बातें दम तोड़ती नजर आ रही हैं सरकार द्वारा शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि के रूप में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं फिर भी इस योजना का लाभ गरीब लोगों को प्राप्त नहीं हो रहा है


Body:साल 2018 में भिंड जनपद के डिड़ी पंचायत को ऑडियो घोषित कर दिया गया है लेकिन निर्माण स्थिति का जायजा लिया गया तो मिला कि पंचायत में आने वाले गांव में शौचालय का 70 फ़ीसदी काम ही पूरा हो सका है जिससे न केवल लोगों में नाराजगी व्याप्त है बल्कि लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं

5000 से ज्यादा आबादी वाली ग्राम पंचायत घड़ी के सरपंच ने कागजों में 100 फ़ीसदी शौचालय बने दिखाकर डैडी को ओडीएफ तो घोषित करा लिया लेकिन ग्राम मनफूल का पुरा में जब ओडीएफ का रियलिटी चेक किया तो पता चला कि इस गांव में 55 घरों की आबादी है जहां 300 से ज्यादा लोग रहते हैं लेकिन शौचालय बमुश्किल 25 घरों में ही बने हैं हालात यह है कि इनमें से कुछ शौचालय घटिया निर्माण के चलते टूट भी गए हैं

मनफूल का पुरा गांव के कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उनके शौचालय सरपंच ने बनवाई नहीं है कुछ को तो शासन की इस योजना की भी जानकारी नहीं दी गई वहीं गांव के एक बुजुर्ग बताते हैं कि साल भर पहले भी अपना शौचालय बनवा रहे थे लेकिन सरपंच ने सरकारी शौचालय बनवाने का हवाला देकर काम रुकवा दिया लेकिन साल भर बीतने के बाद भी शौचालय नहीं बना और घर में रखा पुराना मटेरियल ही बर्बाद हो रहा है यह लोग अब बाहर खेतों में जाने को मजबूर हैं।

मामले को लेकर जब ग्राम पंचायत के सरपंच सोमवीर सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि गांव की आबादी मैच 15 घर की है और हर घर में शौचालय बनवा दिए गए हैं लेकिन मौके पर जाकर महीने की कैद हुईं तस्वीरें सरपंच का झूठ साफ उजागर कर रही हैं


Conclusion:देखा जाए तो स्वच्छता मिशन के तहत केंद्र सरकार ने गांव को खुले में शौच मुक्त कराने का जो सपना संजोया वह महज कागजों में सिमट कर रह गया है यूं तो साल भर पहले जिले की लगभग सभी पंचायतों को ओडीएफ करार दिया गया है लेकिन हकीकत में ग्रामीण इलाकों में 30 फ़ीसदी आबादी आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है यह हालत तब है जब सरकार द्वारा लगातार शौचालय निर्माण के लिए ग्राम पंचायतों को राशि मुहैया कराई जा रही है लेकिन ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण की हकीकत यह सवाल खड़ा करती है कि जब शौचालय बनाई गई कहां और क्या अधिकारियों ने बिना जांच के ही ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित कर दिया।

बाइट- राधा मोहन यादव, ग्रामीण
बाइट- अरविंद, ग्रामीण
बाइट- लल्लू, ग्रामीण
बाइट- बृजेंद्र यादव, ग्रामीण
बाइट- गंगा सिंह यादव, ग्रामीण
बाइट- बिस्मा, ग्रामीण
बाइट - सोमवीर सिंह, सरपंच, ग्राम पंचायत डिड़ी

ईटीवी भारत मध्य प्रदेश

नोट- बाईट फाइल में सीक्वेंस यही है बाइट का।
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