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यहां विराजते हैं डॉक्टर हनुमान, असाध्य रोगों का ऐसे करते हैं इलाज

भिंड में स्थित दंदरौआ मंदिर में डॉक्टर हनुमान लोगों के असाध्य रोगों का इलाज करते हैं. मान्यता है कि देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु रोज भगवान के दर्शन और रोगों के इलाज के लिए आते हैं.

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Published : Sep 9, 2019, 8:44 AM IST

दंदरौहा धाम मंदिर में विाजते हैं डॉक्टर हनुमान

भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड जिले के मेहगांव के पास स्थित डॉक्टर हनुमान का प्रसिद्ध दंदरौआ धाम मंदिर है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां हजारों भक्त अपनी जानलेवा बीमारियों का भी इलाज कराने आते हैं. यहां भक्तों की मानें तो यहां विराजे हनुमान जी सभी असाध्य रोगों का इलाज करते हैं. यहां तक कि लोग भगवान हनुमान को कैंसर का विशेषज्ञ मानते हैं.

दंदरौहा धाम मंदिर में विाजते हैं डॉक्टर हनुमान

ऐसे होते हैं रोग दूर
इस मंदिर में हनुमान जी की चमत्कारी भभूति से रोगों को खत्म किया जाता है. दूर-दूर से भक्त अपने रोगों के निदान के लिए हनुमान जी की चौखट पर आते हैं और श्रद्धापूर्वक शीश झुकाकर अपने रोग को मिटाने की विनती करते हैं. लोगों का मानना है कि मंदिर की परिक्रमा लगाना भी रोग मुक्ति का एक मार्ग है. मंदिर से उन्हें यह भभूति प्रसाद के रूप में दी जाती है, जिसे वह पूर्ण भक्ति भावना से ग्रहण करते हैं और शीघ्र ही रोगमुक्त हो जाते हैं.

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान स्वयं अपने एक भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर आए थे. भगवान हनुमान जिसका इलाज करने यहां आए वह एक साधु था और लंबे समय से उसे कैंसर था. उसे हनुमान जी ने मंदिर में डॉक्टर के वेश में दर्शन दिए थे, जिसके बाद साधु पूरी तरह ठीक हो गया.

श्रद्धालुओं का मानना है कि डॉक्टर हनुमान के पास सभी रोगों का कारगर इलाज है. श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को दंदरौआ कहते हैं.
नोट- ईटीवी भारत इस मान्यता की पुष्टि नहीं करता है.

भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड जिले के मेहगांव के पास स्थित डॉक्टर हनुमान का प्रसिद्ध दंदरौआ धाम मंदिर है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां हजारों भक्त अपनी जानलेवा बीमारियों का भी इलाज कराने आते हैं. यहां भक्तों की मानें तो यहां विराजे हनुमान जी सभी असाध्य रोगों का इलाज करते हैं. यहां तक कि लोग भगवान हनुमान को कैंसर का विशेषज्ञ मानते हैं.

दंदरौहा धाम मंदिर में विाजते हैं डॉक्टर हनुमान

ऐसे होते हैं रोग दूर
इस मंदिर में हनुमान जी की चमत्कारी भभूति से रोगों को खत्म किया जाता है. दूर-दूर से भक्त अपने रोगों के निदान के लिए हनुमान जी की चौखट पर आते हैं और श्रद्धापूर्वक शीश झुकाकर अपने रोग को मिटाने की विनती करते हैं. लोगों का मानना है कि मंदिर की परिक्रमा लगाना भी रोग मुक्ति का एक मार्ग है. मंदिर से उन्हें यह भभूति प्रसाद के रूप में दी जाती है, जिसे वह पूर्ण भक्ति भावना से ग्रहण करते हैं और शीघ्र ही रोगमुक्त हो जाते हैं.

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान स्वयं अपने एक भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर आए थे. भगवान हनुमान जिसका इलाज करने यहां आए वह एक साधु था और लंबे समय से उसे कैंसर था. उसे हनुमान जी ने मंदिर में डॉक्टर के वेश में दर्शन दिए थे, जिसके बाद साधु पूरी तरह ठीक हो गया.

श्रद्धालुओं का मानना है कि डॉक्टर हनुमान के पास सभी रोगों का कारगर इलाज है. श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को दंदरौआ कहते हैं.
नोट- ईटीवी भारत इस मान्यता की पुष्टि नहीं करता है.

Intro:भिंड जिले में स्थित निरहुआ सरकार डॉक्टर हनुमान के नाम से जाने जाते हैं। हनुमान जी के आगे डॉक्टर शब्द आपको चकित कर रहा होगा, पर यहां के भक्तों की मानें तो यहां विराजे हनुमान जी सभी असाध्य रोगों का इलाज करते हैं। खासकर फोड़े फुंसी, यहां हनुमानजी को कैंसर विशेषज्ञ भी माना जाता है। देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु रोज भगवान के दर्शन के लिए आते हैं और डॉक्टर हनुमान उनके सभी असाध्य रोगों का सटीक इलाज करते हैं


Body:मध्यप्रदेश के भिंड जिले के मेहगांव के पास स्थित डॉक्टर हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर है दंदरौआ धाम। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां हजारों भक्त अपनी जानलेवा बीमारियों का भी इलाज कराने आते हैं। बताते हैं कि यहां कैंसर के मरीज भी अपना इलाज कराने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान स्वयं अपने एक भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर यहां आए थे, हनुमान जिसका इलाज करने यहां आए वह एक साधु था और लंबे समय से उसको कैंसर था, उसे हनुमान जी ने मंदिर में डॉक्टर के वेश में दर्शन दिए थे वह गर्दन में आला डाले थे जिसके बाद साधु पूरी तरह स्वस्थ हो गया। श्रद्धालुओं का मानना है कि डॉक्टर हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का कारगर इलाज है। श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को पहले दर्दहरौआ कहा जाने लगा जो कि अपभ्रंश होकर दंदरौआ हो गया।

बाइट- कालीचरण रावत, कैंसर पीड़ित, मेहगांव (चश्मा लगाए हुए)
बाइट- कृष्णकांत, श्रद्धालु, झांसी उत्तर प्रदेश (गले में गमछा डाले हुए, इनके पैरों में तकलीफ है)

इस मंदिर में हनुमान जी की चमत्कारी भभूति से रोगों को खत्म किया जाता है। दूर-दूर से भक्त अपने रोगों के निदान के लिए हनुमान जी की चौखट पर आते हैं और श्रद्धा पूर्वक शीश झुका कर अपने रोग को मिटाने की विनती करते हैं। मंदिर की परिक्रमा लगाना भी रोग मुक्ति का एक मार्ग है। मंदिर से उन्हें यह भभूति प्रसाद के रूप में दी जाती है जिसे वह पूर्ण भक्ति भावना से ग्रहण करते हैं और शीघ्र ही रोगमुक्त हो जाते हैं

बाइट- लखन नरेश तिवारी, श्रद्धालु, इटावा (उत्तर प्रदेश)

दंदरौआ धाम के डॉक्टर हनुमान जी के मंदिर में हनुमान जी का एक हाथ कमर पर और एक हाथ सिर पर है यह नृत्य मुद्रा है। उनका चेहरा भी वानर के स्थान पर बाला के रूप में है, उनकी गधा उनके हाथ के बजाय बगल से रखी है, उनका स्वरूप विग्रह वात्सल्य भाव को दर्शाता है। यह तुलसीदास की रामचरितमानस की चौपाई से मेल खाती है, जो कहती है "एक सखी सीए संग बिहाई गई रही देखन फुलवाई" यह प्रसंग तुलसीदास ने पुष्प वाटिका के प्रसंग में भगवान श्री राम से माता जानकी को मिलाने के लिए हनुमान जी को भेष बदलकर जानकी की सखियों में सखी चारूबाला के रूप में बताया है। ज्ञात हो कि जानकी की आठ सखियों में सखी चारूबाला प्रमुख सखी थी इन्होंने ही सर्वप्रथम माता जानकी का परिचय भगवान राम से कराया था। इस प्रकार राम सीता विवाह का मार्ग परास्त हुआ था। दंदरौआ धाम में हनुमान जी का स्वरूप इसी अवधारणा से प्रेरित है। दंदरौआ धाम के अनुयाई संत भी सखी संप्रदाय के हैं। वह बदन में सफेद धोती धारण करते हैं और उसी को ओढ़ते हैं।


Conclusion:दंदरौआ का इतिहास
दंदरौआ ग्राम 900 बीघा कृषि और 900 बीघा रखवा की भूमि रखने वाला छोटा गुर्जर बाहुल्य ग्राम है, जो एक समय में राणा धौलपुर (राजस्थान) के आधिपत्य में था। जब राणा यहां से धौलपुर वापस जाने लगे तो गुर्जर क्षत्रिय वंश के चंदेल राजाओं के वंशज ग्वालियर के अरोरा ग्राम के निवासी कुंवर अमृत सिंह ने खरीद लिया। कहा जाता है कि कुंवर अमृत सिंह (मितबाबा) के आने के समय हनुमान जी की यह प्रतिमा नीम के पेड़ के अंदर छुपी थी। जब किसी निर्माण कार्य के लिए इस नीम को काटा गया तो उस दौरान औजारों से टकराने से तेज आवाज आई, तो सावधानी से पेड़ को हटाने पर गोपी विषधारी हनुमान जी की मूर्ति प्राप्त हुई, जिसे वहां मिट्टी के चबूतरे पर स्थापित करवा दिया गया और आज वह जगह दंदरौआ धाम के नाम से प्रसिद्ध है।

बाइट- श्री रामदास महाराज, महंत, दंदरौआ धाम


नोट- इस पैकेज में मेरा वॉइस ओवर सही नही लगेगा सॉफ्ट और मायथोलोजिकल पैकेज है इसलिए। इनपुट पर भी गोविंद जी बात हुई थी, उनकी सलाह पर पूरे रॉ विजुअल और बाइट फ़ाइल कर रहा हूँ। कृपया एक अच्छा पैकेज बनाया जा सकता है।
धन्यवाद।
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