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दांव पर लगी बच्चों की पढ़ाई: SDM की मनमानी से अंधकार में बच्चों का भविष्य, तानाशाही के खिलाफ सभी चुप - MP में वैक्सीनेशन ड्राइव

भिंड में बच्चों की पढ़ाई दांव पर लगी है, वो भी एक अफसर के मनमाने रवैये के कारण. यहां शिक्षकों की ड्यूटी कोरोना वैक्सीनेशन जागरूकत में लगा दी गई है. (Children education at stake in bhind)ड्यूटी एक दिन के लिए थी, लेकिन अफसर की तानशाही के कारण अभी तक (SDM dictatorship bhind ) टीचर स्कूल नहीं पहुंच सके हैं.

children education at stake
दांव पर लगी बच्चों की पढ़ाई
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Published : Nov 24, 2021, 10:27 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 12:25 PM IST

भिंड। सरकार बच्चों की पढ़ाई लिखाई को लेकर चिंतित है. तभी तो डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद मिडिल स्कूल दोबारा खोले गए हैं. लेकिन ज़िले में शिक्षक और हेडमास्टरों की ड्यूटी शिक्षण कार्य की बजाए वैक्सीन कॉल सेंटर (teachers duty in vaccination awareness call center)के तौर पर लगा दी गयी है. एक दिन के लिए लगाई गई ड्यूटी हफ्ते भर बाद भी जारी है. जिसका खामियाजा पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.

बच्चों की पढ़ाई की किसे है चिंता

भिंड के गोहद में शिक्षकों की ड्यूटी वैक्सीनेशन जागरूकता अभियान में लगा दी गई है. गोहद SDM के एक मौखिक आदेश पर 11 शिक्षकों को कॉल सेंटर में लगा दिया गया है. जिनमें कुछ हेडमास्टर भी शामिल हैं को शिक्षण कार्य की जगह ऐसे( (Children education at stake in bhind)) लोग जिन्होंने अब तक अपना वैक्सीन का पहला या दूसरा डोज़ नही लगवाया है उन्हें कॉल कर वैक्सीन लगवाने के संबंध में जानकारी दें. जिसका सीधा असर उनके स्कूली छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है क्योंकि कॉल सेंटर की ड्यूटी करने की वजह से वे अपना शिक्षण कार्य नही कर पा रहे हैं.

हेडमास्टर देशराज भी SDM की तानाशाही के आगे बेबस हैं
पढ़ाई की जगह 'कॉल सेंटर' बने शिक्षक

10 नवम्बर को प्रदेश में चलाए गए वैक्सीनेशन महा अभियान से पहले गोहद ब्लॉक शिक्षा अधिकारी वीएस अनंत को गोहद एसडीएम शुभम शर्मा ने मौखिक आदेश देकर कुछ शिक्षकों की ड्यूटी कॉल सेंटर में लगाने के लिए सूची मांगी थी. इसमें कुल 11 शिक्षक और हेडमास्टर के नाम हैं. इनकी ड्यूटी एक दिन के लिए लगाई गई थी. इन लोगों को महा अभियान में दूसरा टीका लगवाने के लिए लोगों से फोन पर बात करनी थी.(SDM dictatorship bhind) लेकिन आज तक उनकी ड्यूटी जनपद कार्यालय गोहद में ही चल रही है.

कमलेश कुमार कहते हैं कि दोहरी जिम्मेदीर से हम भी परेशान हैं

SDM सुनने को तैयार नहीं

गोहद के मिडिल स्कूल क्रमांक-2 के हेडमास्टर देशराज सिंह का कहना है कि वे वर्तमान में अपनी स्कूली ज़िम्मेदारी का निर्वहन करने में असमर्थ हैं. क्योंकि उनकी ड्यूटी स्वास्थ्य विभाग में लगा दी गयी है. उन्होंने बताया कि BEO द्वारा उन्हें एक दिवसीय ड्यूटी के लिए कहा गया था. लेकिन एक सप्ताह का समय हो गया और कोई ड्यूटी से हटाने के संबंध में सुनवाई नहीं कर रहा है. उनका मानना है कि इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लेकिन कोई भी अधिकारी इस बात को सुनने के लिए तैयार नही हो रहा है. जबकि एक मीटिंग के दौरान कलेक्टर सतीश कुमार एस ने किसी भी विभाग के कर्मचारी को अन्य ड्यूटी पर ज्यादा समय तक रोकने से मना किया है.

हेड मास्टर हरगोविंद देवेश: 1 दिन की ड्यटूी थी, अभी तक खत्म नहीं हुई

टीचर का अपना दर्द

गोहद के शासकीय मिडिल स्कूल सर्वोदय के प्रभारी हेड मास्टर हरगोविंद देवेश का भी कहना है कि, बीईओ द्वारा उनकी ड्यूटी एक दिन के लिए लगाई थी. लेकिन आज तक चेंज नही हुई. जिसकी वजह से उनका नुकसान हो रहा है. प्रभारी होने की वजह से प्रतिदिन मूल्यांकन, फीडबैक, साप्ताहिक मूल्यांकन जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां विभाग को भेजना होती हैं. लेकिन 9 नवम्बर से यहां बैठने की वजह से विभागीय जानकारियां भी नही भेज पा रहे हैं. उनका कहना है कि BEO और SDM से बात करने की कोशिश भी की लेकिन कोई भी ड्यूटी निरस्त करने को तैयार नही है. स्वास्थ्य विभाग में भी इस संबंध में चर्चा करने पर BMO द्वारा यह कहकर बात टाल दी गयी, कि आपकी ड्यूटी हमने नहीं लगाई है.

बीएलओ को भी कॉलिंग में लगाया

इस ड्यूटी में एक शिक्षक ऐसे भी शामिल है जिनपर बीएलओ की भी ज़िम्मेदारी है. वर्तमान में 30 नवम्बर तक निर्वाचन के लिए वोटर कार्ड सुधार , नए वोटरकार्ड बनाने और हटाने का कार्य भी पूर्ण किया जाना है. जिसमें हायर सेकेंडरी कन्या शाला के शिक्षक कमलेश कुमार वार्ड -1 के BLO हैं. लेकिन उनकी ड्यूटी भी कॉल सेंटर में लगाये जाने से वे निर्वाचन संबंधी कार्य नहीं कर पा रहे हैं.

children education at stake
दांव पर लगी बच्चों की पढ़ाई, शिक्षकों को कॉल सेंटर में लगाया

बीईओ बोले- SDM के मौखिक आदेश पर लगाई ड्यूटी

जब इस संबंध में हमने सबसे पहले BEO वीएस अनंत से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें SDM ने मौखिक आदेश दिया था. जिसके आधार पर उन्हें शिक्षक दिए गए हैं. उनकी ड्यूटी उनका काम खत्म होने के बाद ही पूरी होगी. वहीं बच्चों की पढ़ाई के संबंध में पूछे जाने पर उनका जवाब था, कि बच्चो की पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा. एक या दो दिन में उनका काम खत्म हो जाएगा तो ड्यूटी भी खत्म हो जायेगी. एक दिवसीय ड्यूटी को हफ्ते भर खींचने के सवाल पर उनका कहना था कि हम सिर्फ SDM साहब के आदेश का पालन कर रहे हैं, आप उनसे पूछ सकते हैं.

SDM का बेतुका जवाब, DEO बोले 'समाज नहीं बचेगा तो किस काम की शिक्षा'

गोहद एसडीएम शुभम शर्मा से जब हमने इस संबंध में बात की, तो उनका कहना था कि ड्यूटी हटवाने के संबंध में उनके पास अब तक किसी शिक्षक ने संपर्क नहीं किया है. बच्चों की पढ़ाई यदि प्रभावित होती है तो इसके लिए शिक्षकों को चिंता होनी चाहिए. जब तक किसी शिक्षक के पास कोई वाजिब कारण नहीं होगा तब किसी भी हाल में किसी की भी ड्यूटी नहीं हटाई जाएगी. वैक्सीनशन के नाम पर बच्चो की पढ़ाई से हो रहे इस खिलवाड़ को लेकर हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की, तो उनका कहना था कि वे BLO के संबंध में जानकारी लेकर दिखवा लेंगे. साथ ही कहा कि टीकाकरण अहम अभियान है. इसलिए ज़रूरत के अनुसार और भी शिक्षकों की ड्यूटी इसमे लगाई जाएगी. उनका कहना था कि सबसे पहले समाज को देखना है शिक्षा हमारी जिम्मेदारी है, उसे हम निभा लेंगे. लेकिन जब समाज ही नहीं होगा तो शिक्षा का क्या मतलब रह जाएगा.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन- कालिंग के लिए विकल्प, शिक्षकों की ड्यूटी हटाएंगे

तीन अधिकारियों के इस तरह के बयानों को देखते हुए हमने अंत मे जिले के सबसे बड़े अधिकारी कलेक्टर सतीश कुमार एस से बात की. उन्होंने कहा कि यदि अब तक शिक्षकों की ड्यूटी नहीं हटाई गई है तो वे इस पर जल्द संज्ञान लेकर ड्यूटी खत्म कराएंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि टीकाकरण अभियान के लिए अभी जागरूकता की आवश्यकता है. इसलिए कॉलिंग के लिए अब जिला प्रशासन जनअभियान परिषद और NSS वालेंटियर्स को इन्वॉल्व कर रहे हैं. अगर ज़रूरत नहीं होती तो सभी शिक्षकों को सिर्फ शिक्षण और उनके जिम्मेदारियों के अनुसार कार्य पर वापस भेज दिया जाएगा.

कैसे सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता

मध्यप्रदेश में शिक्षा खासकर सरकारी स्कूलों के रिजल्ट अक्सर चर्चा का विषय बन जाते हैं. खुद मुख्यमंत्री शिक्षा में सुधार के लिए तमाम प्रयोग और योजनाएं चला रहे हैं, शिक्षक और शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए भी सरकार ने परीक्षाएं कराई हैं. लेकिन फिर भी भिंड ज़िला शिक्षा के मामले में लगातार पिछड़ रहा है, जिसका एक बड़ा कारण है कि यहां शिक्षकों को उनके कार्य की बजाए अन्य सभी प्रकार और विभाग के कार्यों में लगा दिया जाता है. फिर चाहे वह जनगणना हो, अलग अलग तरह के सर्वे या वैक्सीनशन के लिए जागरूकता कार्यक्रम. पहले ही कोरोना काल मे बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा है. ऐसे में अगर शिक्षक अपना कार्य यानी शिक्षण पर ही ध्यान नहीं दे पाएगा तो बच्चों को शिक्षा और अच्छा भविष्य की कल्पना कैसे की जा सकती है.

(vaccination drive in mp) (education department mp)

भिंड। सरकार बच्चों की पढ़ाई लिखाई को लेकर चिंतित है. तभी तो डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद मिडिल स्कूल दोबारा खोले गए हैं. लेकिन ज़िले में शिक्षक और हेडमास्टरों की ड्यूटी शिक्षण कार्य की बजाए वैक्सीन कॉल सेंटर (teachers duty in vaccination awareness call center)के तौर पर लगा दी गयी है. एक दिन के लिए लगाई गई ड्यूटी हफ्ते भर बाद भी जारी है. जिसका खामियाजा पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.

बच्चों की पढ़ाई की किसे है चिंता

भिंड के गोहद में शिक्षकों की ड्यूटी वैक्सीनेशन जागरूकता अभियान में लगा दी गई है. गोहद SDM के एक मौखिक आदेश पर 11 शिक्षकों को कॉल सेंटर में लगा दिया गया है. जिनमें कुछ हेडमास्टर भी शामिल हैं को शिक्षण कार्य की जगह ऐसे( (Children education at stake in bhind)) लोग जिन्होंने अब तक अपना वैक्सीन का पहला या दूसरा डोज़ नही लगवाया है उन्हें कॉल कर वैक्सीन लगवाने के संबंध में जानकारी दें. जिसका सीधा असर उनके स्कूली छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है क्योंकि कॉल सेंटर की ड्यूटी करने की वजह से वे अपना शिक्षण कार्य नही कर पा रहे हैं.

हेडमास्टर देशराज भी SDM की तानाशाही के आगे बेबस हैं
पढ़ाई की जगह 'कॉल सेंटर' बने शिक्षक

10 नवम्बर को प्रदेश में चलाए गए वैक्सीनेशन महा अभियान से पहले गोहद ब्लॉक शिक्षा अधिकारी वीएस अनंत को गोहद एसडीएम शुभम शर्मा ने मौखिक आदेश देकर कुछ शिक्षकों की ड्यूटी कॉल सेंटर में लगाने के लिए सूची मांगी थी. इसमें कुल 11 शिक्षक और हेडमास्टर के नाम हैं. इनकी ड्यूटी एक दिन के लिए लगाई गई थी. इन लोगों को महा अभियान में दूसरा टीका लगवाने के लिए लोगों से फोन पर बात करनी थी.(SDM dictatorship bhind) लेकिन आज तक उनकी ड्यूटी जनपद कार्यालय गोहद में ही चल रही है.

कमलेश कुमार कहते हैं कि दोहरी जिम्मेदीर से हम भी परेशान हैं

SDM सुनने को तैयार नहीं

गोहद के मिडिल स्कूल क्रमांक-2 के हेडमास्टर देशराज सिंह का कहना है कि वे वर्तमान में अपनी स्कूली ज़िम्मेदारी का निर्वहन करने में असमर्थ हैं. क्योंकि उनकी ड्यूटी स्वास्थ्य विभाग में लगा दी गयी है. उन्होंने बताया कि BEO द्वारा उन्हें एक दिवसीय ड्यूटी के लिए कहा गया था. लेकिन एक सप्ताह का समय हो गया और कोई ड्यूटी से हटाने के संबंध में सुनवाई नहीं कर रहा है. उनका मानना है कि इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लेकिन कोई भी अधिकारी इस बात को सुनने के लिए तैयार नही हो रहा है. जबकि एक मीटिंग के दौरान कलेक्टर सतीश कुमार एस ने किसी भी विभाग के कर्मचारी को अन्य ड्यूटी पर ज्यादा समय तक रोकने से मना किया है.

हेड मास्टर हरगोविंद देवेश: 1 दिन की ड्यटूी थी, अभी तक खत्म नहीं हुई

टीचर का अपना दर्द

गोहद के शासकीय मिडिल स्कूल सर्वोदय के प्रभारी हेड मास्टर हरगोविंद देवेश का भी कहना है कि, बीईओ द्वारा उनकी ड्यूटी एक दिन के लिए लगाई थी. लेकिन आज तक चेंज नही हुई. जिसकी वजह से उनका नुकसान हो रहा है. प्रभारी होने की वजह से प्रतिदिन मूल्यांकन, फीडबैक, साप्ताहिक मूल्यांकन जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां विभाग को भेजना होती हैं. लेकिन 9 नवम्बर से यहां बैठने की वजह से विभागीय जानकारियां भी नही भेज पा रहे हैं. उनका कहना है कि BEO और SDM से बात करने की कोशिश भी की लेकिन कोई भी ड्यूटी निरस्त करने को तैयार नही है. स्वास्थ्य विभाग में भी इस संबंध में चर्चा करने पर BMO द्वारा यह कहकर बात टाल दी गयी, कि आपकी ड्यूटी हमने नहीं लगाई है.

बीएलओ को भी कॉलिंग में लगाया

इस ड्यूटी में एक शिक्षक ऐसे भी शामिल है जिनपर बीएलओ की भी ज़िम्मेदारी है. वर्तमान में 30 नवम्बर तक निर्वाचन के लिए वोटर कार्ड सुधार , नए वोटरकार्ड बनाने और हटाने का कार्य भी पूर्ण किया जाना है. जिसमें हायर सेकेंडरी कन्या शाला के शिक्षक कमलेश कुमार वार्ड -1 के BLO हैं. लेकिन उनकी ड्यूटी भी कॉल सेंटर में लगाये जाने से वे निर्वाचन संबंधी कार्य नहीं कर पा रहे हैं.

children education at stake
दांव पर लगी बच्चों की पढ़ाई, शिक्षकों को कॉल सेंटर में लगाया

बीईओ बोले- SDM के मौखिक आदेश पर लगाई ड्यूटी

जब इस संबंध में हमने सबसे पहले BEO वीएस अनंत से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें SDM ने मौखिक आदेश दिया था. जिसके आधार पर उन्हें शिक्षक दिए गए हैं. उनकी ड्यूटी उनका काम खत्म होने के बाद ही पूरी होगी. वहीं बच्चों की पढ़ाई के संबंध में पूछे जाने पर उनका जवाब था, कि बच्चो की पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा. एक या दो दिन में उनका काम खत्म हो जाएगा तो ड्यूटी भी खत्म हो जायेगी. एक दिवसीय ड्यूटी को हफ्ते भर खींचने के सवाल पर उनका कहना था कि हम सिर्फ SDM साहब के आदेश का पालन कर रहे हैं, आप उनसे पूछ सकते हैं.

SDM का बेतुका जवाब, DEO बोले 'समाज नहीं बचेगा तो किस काम की शिक्षा'

गोहद एसडीएम शुभम शर्मा से जब हमने इस संबंध में बात की, तो उनका कहना था कि ड्यूटी हटवाने के संबंध में उनके पास अब तक किसी शिक्षक ने संपर्क नहीं किया है. बच्चों की पढ़ाई यदि प्रभावित होती है तो इसके लिए शिक्षकों को चिंता होनी चाहिए. जब तक किसी शिक्षक के पास कोई वाजिब कारण नहीं होगा तब किसी भी हाल में किसी की भी ड्यूटी नहीं हटाई जाएगी. वैक्सीनशन के नाम पर बच्चो की पढ़ाई से हो रहे इस खिलवाड़ को लेकर हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की, तो उनका कहना था कि वे BLO के संबंध में जानकारी लेकर दिखवा लेंगे. साथ ही कहा कि टीकाकरण अहम अभियान है. इसलिए ज़रूरत के अनुसार और भी शिक्षकों की ड्यूटी इसमे लगाई जाएगी. उनका कहना था कि सबसे पहले समाज को देखना है शिक्षा हमारी जिम्मेदारी है, उसे हम निभा लेंगे. लेकिन जब समाज ही नहीं होगा तो शिक्षा का क्या मतलब रह जाएगा.

कलेक्टर ने दिया आश्वासन- कालिंग के लिए विकल्प, शिक्षकों की ड्यूटी हटाएंगे

तीन अधिकारियों के इस तरह के बयानों को देखते हुए हमने अंत मे जिले के सबसे बड़े अधिकारी कलेक्टर सतीश कुमार एस से बात की. उन्होंने कहा कि यदि अब तक शिक्षकों की ड्यूटी नहीं हटाई गई है तो वे इस पर जल्द संज्ञान लेकर ड्यूटी खत्म कराएंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि टीकाकरण अभियान के लिए अभी जागरूकता की आवश्यकता है. इसलिए कॉलिंग के लिए अब जिला प्रशासन जनअभियान परिषद और NSS वालेंटियर्स को इन्वॉल्व कर रहे हैं. अगर ज़रूरत नहीं होती तो सभी शिक्षकों को सिर्फ शिक्षण और उनके जिम्मेदारियों के अनुसार कार्य पर वापस भेज दिया जाएगा.

कैसे सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता

मध्यप्रदेश में शिक्षा खासकर सरकारी स्कूलों के रिजल्ट अक्सर चर्चा का विषय बन जाते हैं. खुद मुख्यमंत्री शिक्षा में सुधार के लिए तमाम प्रयोग और योजनाएं चला रहे हैं, शिक्षक और शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए भी सरकार ने परीक्षाएं कराई हैं. लेकिन फिर भी भिंड ज़िला शिक्षा के मामले में लगातार पिछड़ रहा है, जिसका एक बड़ा कारण है कि यहां शिक्षकों को उनके कार्य की बजाए अन्य सभी प्रकार और विभाग के कार्यों में लगा दिया जाता है. फिर चाहे वह जनगणना हो, अलग अलग तरह के सर्वे या वैक्सीनशन के लिए जागरूकता कार्यक्रम. पहले ही कोरोना काल मे बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा है. ऐसे में अगर शिक्षक अपना कार्य यानी शिक्षण पर ही ध्यान नहीं दे पाएगा तो बच्चों को शिक्षा और अच्छा भविष्य की कल्पना कैसे की जा सकती है.

(vaccination drive in mp) (education department mp)

Last Updated : Nov 25, 2021, 12:25 PM IST
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