भिंड। अब तक आपने कार्डियक अरेस्ट की वजह से कई लोगों की मौत होने की बात तो सुनी होगी लेकिन पहली बार ऐसा हुआ की एक बच्चे की हुई अचानक मौत में कार्डियक अरेस्ट के लक्षण देखने को मिले हैं. ऐसे में डॉक्टर इसे चिंताजनक कहते हुए इसके पीछे कोरोना के आफ्टर इफेक्ट्स मान रहे हैं. मामला भिंड ज़िले से सामने आया है, घटना जिला अस्पताल में मृत अवस्था में आये 12 वर्षीय स्कूली छात्र मनीष जाटव के साथ हुई बताई जा रही है(12 year child sudden death in bhind). जानकारी के मुताबिक भिंड के जामना रोड निवासी कोमल जाटव का बेटा मनीष घर से इटावा रोड स्थित निजी स्कूल पढ़ने गया था. जब वह स्कूल से छुट्टी होने पर घर जाने के लिए बस में चढ़ा तो सीट पर बैठते ही अचानक बेहोश हो कर गिर पड़ा. जिसके बाद बस ड्राइवर ने स्कूल प्रिंसिपल को सूचित किया, उसे होश में लाने की कोशिश भी की गई लेकिन वह होश में नहीं आया तो तुरंत चौथी कक्षा के छात्र मनीष के परिवार को सूचना दी गई. बच्चे को लेकर प्रबंधन और परिजन जिला अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया(child sudden death in bhind).
ज्यादातर कार्डियेक अरेस्ट की वजह से होती है सडन डेथ: जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल गोयल ने बताया कि बच्चे को लेकर कुछ लोग आए थे. उनकी टीम ने बच्चे को सीपीआर दे कर रिकवर करने की कोशिश भी की, लेकिन सारे प्रयास विफल रहे. उन्होंने बताया की अस्पताल आने से पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी थी. चूंकि ये अचानक डेथ का मामला था, जो ज्यादातर कार्डियेक अरेस्ट की वजह से होती है (doctor said cause of death cardiac arrest) . ऐसे में जो भी लक्षण बताये गए वे कार्डियेक अरेस्ट के हैं, इसलिए हार्ट अटैक से उसकी मौत की पूरी संभावना है.
कोविड इन्फेक्शन के बाद बढ़े बायोपैथी के मामले: डॉ अनिल गोयल ने बताया कि कोरोना के बाद से यह स्टडी में भी आया है कि कोरोना से अफेक्टेड हुए मरीजों में बायोपैथी हुई, यानी कार्डियेक या मसल्स को प्रॉब्लम आयी है (biopathy cases increased after covid infection). जिससे कार्डियेक अरेस्ट का खतरा बहुत ज़्यादा है. इसकी वजह से भी ये अटैक आ सकते हैं. हालांकि इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक आना काफ़ी चिंता का विषय है. बच्चे के परिजन ने पोस्टमार्टम तो नहीं कराया लेकिन अब डॉक्टर्स की टीम उनके घर जाकर उनके परिवार से मिलेगी. उनकी फैमिली मेडिकल हिस्ट्री को लेकर स्टडी करेगी.
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नवजात बच्चों में सडन डेथ आम बात, बड़े बच्चे में चिंताजनक: डॉक्टर ने कहा कि जब हमने इस केस को लेकर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ आरके मिश्रा से बात की तो वे कहते हैं कि, इस केस में बच्चा जब आया तो उसकी मौत हो चुकी थी, सडन डेथ के केस नवजात से लेकर बड़े बच्चों में भी देखने को मिलते हैं. छोटे बच्चों में इसे सिट्स कहा जाता है. इसके पीछे का मुख्य कारण बच्चे के सोते समय उसके सांस नली में सलाईवा या दूध चला जाता है. जिसकी वजह से उनकी अचानक मौत हो जाती है.
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ आरके मिश्रा ने कहा सडन डेथ के कोई भी कारण हो सकते हैं.
- उसे कोई एडवांस डिसीज हो जिसके बारे में परिवार को भी पता ना हो.
- कोविड इन्फेक्शन के बाद भी कई कॉम्प्लिकेशन आ रहे हैं, हो सकता है उसे भी कोविड इन्फेक्शन हुआ हो पहले इसी वजह से उसे कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़ा हो.
- कैंसर हो जो अनडिग्नोस्ड रहा हो.
- आखिर में हार्ट से संबंधित कोई बीमारी रही हो क्योंकि इससे संबंधित भी कई बीमारियां है.
बच्चों के बचाव के लिए इन बातों का रखे ध्यान:
- स्कूल भेजते समय घर से कुछ खिलाकर ही भेजे.
- बच्चे ज्यादा समय तक भूखे पेट ना रखें.
- स्कूल में भी शिक्षक इस बात का ध्यान रखे बच्चों को समय रहते लंच करायें, क्योंकि अगर उसे पहले से कोई बीमारी होगी तो भूखा रहने पर ब्लड शुगर कम होगा और स्ट्रोक भी आ सकता है.
- सर्दियों में घर से जब बच्चा स्कूल या बाहर जाए तो सर्दी से पूरी तरह उसका बचाव रहे, उसे गर्म कपड़े ज़रूर पहनायें.
- समय समय पर हेल्थचेकप करना भी अति आवश्यक है.