भिंड। ग्वालियर की बस हाईजैक मामले में लगातार अपडेट मिल रहे हैं. दो आरोपियों और पुलिस के बीच आज मुठभेड़ भी हुई है, जिसमें प्रदीप गुप्ता नाम के आरोपी के पैर में गोली लगी और वो गंभीर रूप से घायल हो गया, लेकिन चौंकाने वाली खबर ये है कि, पुलिस के इस एनकाउंटर से पहले प्रदीप गुप्ता भिंड पहुंचा था. जहां उसने मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए, आगरा में सरेंडर करने की बात कही थी.
प्रदीप गुप्ता के मुताबिक कल्पना ट्रैवल्स के संचालकों ने काफी ज्यादा लोन उसकी कंपनी से ले रखा है, लोन चुकाने के बजाय बहला रहे थे. कई बार मांगने पर पैसे के बजाए बदले में बस देने का भी झांसा दिया गया, पहले भी कल्पना ट्रैवल्स के मालिक द्वारा उसे 3 बसें दी गई हैं. इस बार भी उन्होंने प्रदीप गुप्ता से बस लेने की बात कही थी, उसके बाद ट्रैवल्स के मालिक की मौत की सूचना आई और बस मालिक के बेटे ने लोन नहीं चुकाया, जिसकी वजह से धीरे-धीरे प्रदीप गुप्ता डिप्रेशन में जाने लगा था और इसी डिप्रेशन की वजह से उसने बस हाईजैक का कदम उठाया, लेकिन उसका ये भी कहना था कि, उसने बस को रुकवाकर अपने गांव में खड़ा कर दिया था. उसने किसी भी सवारी को परेशानी नहीं होने दी. यहां तक की बस के ड्राइवर और कंडक्टर को भी परेशान नहीं किया. सिर्फ बस को खड़ा किया था.
सभी सवारियों को दूसरी बसों के जरिए उनके घर तक पहुंचाया. ड्राइवर-कंडक्टर को भी तरीके से रखा, उन्हें परेशान नहीं किया. प्रदीप गुप्ता का कहना है कि, वो बस को हजारों किलोमीटर दूर भेज सकता था, कटवा सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. पैसा न मिलने से परेशान होकर उठाए गए इस कदम को वो अपनी गलती मानता है और इसीलिए उसने ऑन रिकॉर्ड पुलिस के आगे सरेंडर करने और अपना पक्ष रखने की बात कही थी.
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बता दें आगरा बस हाईजैक का मास्टरमाइंड प्रदीप गुप्ता, आरटीओ का दलाल बताया जाता है. मार्च 2018 में एसएसपी इटावा रहे वैभव कृष्ण ने दो एआरटीओ के साथ प्रदीप गुप्ता को जेल भेजा था. परिवहन विभाग के फर्जी प्रपत्र तैयार करने का भी प्रदीप गुप्ता पर आरोप है. गुप्ता फर्जी कागजात से बस का परमिट दिलाने का बड़ा खिलाड़ी माना जाता है. प्रदीप गुप्ता मूल रूप से आगरा के ग्रामीण इलाके का रहने वाला है. 19 मार्च 2018 को इटावा के सिविल लाइन थाने में गुप्ता के खिलाफ क्राइम नंबर 107/18 धारा 419, 420, 467, 488, 471, 34 आईपीसी में एफआईआर दर्ज हुई थी.