भिंड। भिंड जिले में जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस के पहिए एक बार फिर थम गए हैं. जिसका कारण है चिकित्सा हेल्थ केयर कंपनी के खिलाफ जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल. कंपनी द्वारा वेंडर्स पर पेनल्टी लगाई गई है. उनका पेमेंट रोक दिया गया है. जिसकी वजह से अब वेंडर्स ने पेमेंट नहीं होने तक हड़ताल जारी रखने की चेतावनी दे रहे हैं.
जबरन पेनल्टी लगा रही कंपनी
जननी एक्सप्रेस के वेंडर सपोले शर्मा ने बताया कि, ये अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. कंपनी द्वारा लगातार पेनल्टी के नाम पर पेमेंट काटा जा रहा है. जीपीएस चार्ज के नाम पर 2016 में ₹500 लिए गए थे और अचानक कंपनी द्वारा दोबारा से जीपीएस शुल्क लगाया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि, अगर पेशेंट लेट होता है, तो एंबुलेंस को वहां वेट करना पड़ता है. ऐसी कई समस्याएं हैं, जिनको लेकर कंपनी टाइमिंग पेनल्टी उन पर लगा रही है. जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
पेमेंट होने तक जारी रहेगी हड़ताल
सपोले शर्मा ने बताया कि, उन्होंने पिछली बार भी हड़ताल की थी. लेकिन कंपनी के आश्वासन पर दोबारा काम शुरू कर दिया था. हड़ताल के दौरान मरीज परेशान ना हों, इसलिए उन्होंने अपनी जेब से प्राइवेट वाहन करवाकर मरीजों को परेशानी नहीं होने दी थी. अब उनके पास अपने एंबुलेंस कर्मियों और ड्राइवर्स को देने के लिए पैसा भी नहीं बचे हैं. ऐसे में जब तक कंपनी पेमेंट नहीं करती, उनके कर्मचारी भी परेशान होंगे.
एंबुलेंस ड्राइवर हड़ताल में साथ
जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस चलाने वाले ड्राइवरों से बात करने पर उन्होंने बताया कि, उन्हें पिछले 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. अब तक उनकी व्यवस्था वेंडर द्वारा ही की जा रही थी. अब वेंडर का भी भुगतान लंबे समय से रुका हुआ है. जबरन की पेनल्टी लगाई जा रही है. कंपनी कोई बात समझने को तैयार नहीं है. जब तक वेंडर का भुगतान नहीं होता, तब तक ड्राइवर और अन्य कर्मचारी भी उनके साथ हड़ताल जारी रखेंगे.
मरीज हो रहे परेशान
प्रदेश भर में 108 और जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस का संचालन कराने वाली चिकित्सा हेल्थ केयर कंपनी द्वारा प्रत्येक जिले में वेंडर्स निर्धारित कर दिए जाते हैं. जो अपनी एंबुलेंस कंपनी के लिए मुहैया कराते हैं. काफी बार पेमेंट को लेकर दोनों ही पक्षों में टकराव देखा गया है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है. जब दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर टकराव होता है, तो ज्यादातर एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर जाते हैं. ऐसे में मरीजों को नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा के अभाव में प्राइवेट वाहन करने पड़ते हैं.