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58 एकड़ जमीन को लेकर 250 आदिवासी परिवार और वन-विभाग आमने-सामने

बैतूल जिले में 250 से ज्यादा आदिवासी परिवार 58 एकड़ भूमि पर वन विभाग द्वारा कब्जा करने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि यह जमीन उनके पूर्वजों की है इसलिए इसे उन्हें दे दिया जाए.

आदिवासी परिवारों ने मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की दी चेतावनी
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Published : Sep 25, 2019, 12:02 AM IST

बैतूल। जिले में 250 से ज्यादा आदिवासी परिवारों ने मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी हैं. मामला उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले सारणी वन परिक्षेत्र के खैरवानी गांव का है. जहां 6 गांवो के 250 आदिवासी परिवारों ने बीते पांच दिनों से वन विभाग की जमीन पर अपना डेरा डाल रखा है.

58 एकड़ जमीन को लेकर आदिवासी परिवार और वन-विभाग आमने-सामने

आदिवासियों के मुताबिक जिस जंगल की जमीन पर वे आकर बैठे है वहां उनके पूर्वजों द्वारा खेती की जाती थी इसलिए वे यहां बस रहे हैं. वही विभाग के अधिकारी इस भूमि को रिजर्व फारेस्ट की भूमि बतलाकर आदिवासियों की समस्या को वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन पर समझाइश देकर हल करने की बात कह रहे हैं.

बताया जा रहा है कि वन विभाग ने जिस भूमि की मांग आदिवासियों के माध्यम से की जा रही है वह 23 हेक्टेयर है. जबकि इस भूमि को अगर एकड़ में परिवर्तित किया जाए तो यह लगभग 58 एकड़ भूमि होगी. 58 एकड़ भूमि के रकबे को वन विभाग किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं है.

वन विभाग जिस वन भूमि को रिजर्व वन भूमि बतला रहा है. उसी भूमि को आदिवासी वर्षो पहले अपने पूर्वजो द्वारा कृषि कार्य किये जाने वाली भूमि बतलाकर भूमि पर अपना हक जतलाकर उसके पट्टे की मांग कर रहे है. आदिवासियों की माने तो इस जमीन के लिए उनके पूर्वजों ने कोर्ट कचहरी तक लड़ाई लड़ी लेकिन धन के अभाव में आगे की लड़ाई नहीं लड़ सके. जिसका फायदा उठाकर वन विभाग ने ये जमीन अपने कब्जे में कर ली है.

वन विभाग के अधिकारियों कहना है कि जिस वन भूमि का ये मसला है वो रिजर्व फारेस्ट की भूमि है और इस भूमि पर आदिवासियों ने अतिक्रमण कर कोई कब्जा नहीं किया है. बारिश की वजह से उनका जो नुकसान हुआ है, उसका मुवावजा दिलवाने के लिए प्रयास किये जायेंगे. आदिवासियों की समस्या हल करने के लिए सभी वरिष्ठ अधिकारी उनसे बातचीत करने के लिए उनके पास जा रहे हैं. जल्द ही समस्या का हल करवा दिया जाएगा.

बैतूल। जिले में 250 से ज्यादा आदिवासी परिवारों ने मांगें पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी हैं. मामला उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले सारणी वन परिक्षेत्र के खैरवानी गांव का है. जहां 6 गांवो के 250 आदिवासी परिवारों ने बीते पांच दिनों से वन विभाग की जमीन पर अपना डेरा डाल रखा है.

58 एकड़ जमीन को लेकर आदिवासी परिवार और वन-विभाग आमने-सामने

आदिवासियों के मुताबिक जिस जंगल की जमीन पर वे आकर बैठे है वहां उनके पूर्वजों द्वारा खेती की जाती थी इसलिए वे यहां बस रहे हैं. वही विभाग के अधिकारी इस भूमि को रिजर्व फारेस्ट की भूमि बतलाकर आदिवासियों की समस्या को वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन पर समझाइश देकर हल करने की बात कह रहे हैं.

बताया जा रहा है कि वन विभाग ने जिस भूमि की मांग आदिवासियों के माध्यम से की जा रही है वह 23 हेक्टेयर है. जबकि इस भूमि को अगर एकड़ में परिवर्तित किया जाए तो यह लगभग 58 एकड़ भूमि होगी. 58 एकड़ भूमि के रकबे को वन विभाग किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं है.

वन विभाग जिस वन भूमि को रिजर्व वन भूमि बतला रहा है. उसी भूमि को आदिवासी वर्षो पहले अपने पूर्वजो द्वारा कृषि कार्य किये जाने वाली भूमि बतलाकर भूमि पर अपना हक जतलाकर उसके पट्टे की मांग कर रहे है. आदिवासियों की माने तो इस जमीन के लिए उनके पूर्वजों ने कोर्ट कचहरी तक लड़ाई लड़ी लेकिन धन के अभाव में आगे की लड़ाई नहीं लड़ सके. जिसका फायदा उठाकर वन विभाग ने ये जमीन अपने कब्जे में कर ली है.

वन विभाग के अधिकारियों कहना है कि जिस वन भूमि का ये मसला है वो रिजर्व फारेस्ट की भूमि है और इस भूमि पर आदिवासियों ने अतिक्रमण कर कोई कब्जा नहीं किया है. बारिश की वजह से उनका जो नुकसान हुआ है, उसका मुवावजा दिलवाने के लिए प्रयास किये जायेंगे. आदिवासियों की समस्या हल करने के लिए सभी वरिष्ठ अधिकारी उनसे बातचीत करने के लिए उनके पास जा रहे हैं. जल्द ही समस्या का हल करवा दिया जाएगा.

Intro:बैतूल ।। बैतूल जिले में 250 से ज्यादा आदिवासी परिवारों ने उनकी मांगें पूरी नही होने पर परिवार सहित उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है । मामला उत्तर वन मंडल के अंतर्गत आने वाले सारणी वन परिक्षेत्र के खैरवानी गाव का है । जहां 6 गावो के 250 आदिवासीयो ने परिवार सहित बिते 5 दिनों से वन विभाग की जमीन पर अपना डेरा डाल दिया है । आदिवासियों के मुताबिक जिस जंगल की जमीन पर वे आकर बैठे है वहां उनके पूर्वजों द्वारा खेती की जाती थी इसलिए वे यहां बस रहे है । वही विभाग के अधिकारी इस भूमि को रिजर्व फारेस्ट की भूमि बतलाकर आदिवासियों की समस्या को वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन पर समझाईश देकर हल करने की बात कह रहे है।Body:रिजर्व वन भूमि के खसरा नंबर 44 पर बिते 5 दिनों से डेरा डालकर वन भूमि को खेती करने के लिए मांग आदिवासियों के द्वारा की जा रही है। बताया जा रहा है कि वन विभाग के जिस भूमि की मांग आदिवासियों के माध्यम से की जा रही है वह 23 हेक्टेयर है । जबकि इस भूमि को अगर एकड़ में परिवर्तित किया जाए तो लगभग यह 58 एकड़ भूमि होगी। 58 एकड़ भूमि के रकबे को वन विभाग किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं है। अत्यधिक बारिश ने कई लोगो के आशियाने उजाड़ दिए जिले के खैरवानी पंचायत के अंतर्गत आने वाले ढोकली, तीरभाटा, तेंदूखेड़ा, ढकनी,मेहंदी खेड़ा और खैरवानी गांव के दो सैकड़ा आदिवासियों परिवार भी अपने आपको इस बारिश का शिकार मांन रहे है।

वन विभाग जिस वन भूमि को रिजर्व वन भूमि बतला रहा है। उसी भूमि को आदिवासी वर्षो पहले अपने पूर्वजो द्वारा कृषि कार्य किये जाने वाली भूमि बतलाकर भूमि पर अपना हक जतलाकर उसके पट्टे की मांग कर रहे है। उनकी माने तो इस जमीन के लिए उनके पूर्वजों ने कोर्ट कचहरी तक लड़ाई लड़ी लेकिन धन के अभाव में आगे की लड़ाई नही लड़ सके जिसका फायदा उठाकर वन विभाग ने ये जमीन अपने कब्जे में कर ली। आदिवासियों के मुताबिक उनके कई भाइयो के पास जमीन नही है मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री आवास योजना में मकान स्वीकृत हो गए लेकिन जमीन नही है तो कहा बनाये । Conclusion:वन विभाग के अधिकारी की माने तो जिस वन भूमि का ये मसला है वो रिजर्व फारेस्ट की भूमि है और इस भूमि पर आदिवासियों ने अतिक्रमण कर कोई कब्जा नही किया है। बारिश की वजह से उनका जो नुकशान हुआ है उसका मुवावजा दिलवाने के लिए प्रयास किये जायेंगे।आदिवासीयो की समस्या हल करने के लिए सभी वरिष्ठ अधिकारी उनसे बातचीत करने के लिए उनके पास जा रहे है। जल्द ही समस्या का हल करवा दिया जाएगा ।


बाईट -- सुखनन्द धुर्वे ( अतिक्रमणकारी )

बाईट -- रामकाली बाई ( अतिक्रमणकारी )

बाईट -- सुदेश महिवाल ( एसडीओ, उत्तर वन मंडल सारनी )
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