ETV Bharat / state

रिजर्व शटडाउन में सतपुड़ा की दो यूनिट बंद, उत्पादन लुढ़का

author img

By

Published : Mar 6, 2021, 7:40 AM IST

बैतूल जिले के सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट सारनी में दो इकाइयों को रिजर्व शटडाउन (आरएसडी) में बंद कर दिया गया है. सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी का बिजली उत्पादन लुढ़कर 500 मेगावाट के आसपास आ पहुंचा है.

betul
betul

बैतूल। इरीगेशन लोड कम होते ही प्रदेश में बिजली की मांग घटने लगी है. शुक्रवार को प्रदेश में 12 हजार मेगावाट के आसपास बिजली की मांग रही. इसका सबसे ज्यादा असर घोड़ाडोंगरी तहसील सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट सारनी पर पड़ा. यहां की दो इकाइयों को रिजर्व शटडाउन (आरएसडी) में बंद कर दिया गया है.

बताया जा रहा है कि 210 मेगावाट क्षमता की 7 नंबर इकाई और 200 मेगावाट की 6 नंबर इकाई को बंद किया. इन दोनों इकाइयों के बंद होते ही घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी का बिजली उत्पादन लुढ़कर 500 मेगावाट के आसपास आ पहुंचा. फिलहाल सतपुड़ा की 1150 मेगावाट क्षमता की 10 व इतनी ही क्षमता की 11 नंबर इकाई चल रही है. दोनों इकाइयों से क्षमतानुरूप विद्युत उत्पादन हो रहा है, जबकि यहां की 210-210 मेगावाट क्षमता की 8 व 9 नंबर इकाई फरवरी 2020 से कंपनी द्वारा बंद कर दी गई है.

पेंच जल विद्युत गृह की यूनिट बंद होने पर मौके पर पहुंचे ऊर्जामंत्री

इतना ही नहीं इन दोनों इकाइयों के कोयला श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट खंडवा डायवर्ट कर दिया गया है, जबकि इन दोनों इकाइयों को सिंगाजी की यूनिट बंद रहने की स्थिति में चलाया जा सकता था. गौरतलब है कि जब सो दोनों इकाइयों के करोड़ों रुपए की लागत से संधारण किया है. तब से दोनों इकाइयों से बमुश्किल ही उत्पादन लिया गया. इन दोनों इकाइयों को बंद रखकर उस इकाई को चलाना जिसका संधारण हुआ ही नहीं संदेह को जन्म देता है. कंपनी की इकाइयों को बंद रखकर निजी प्लांटों से महंगे दामों पर बिजली खरीदी का मुद्दा हाल ही में विधानसभा में गूंजा था. बावजूद इसके इस मामले को अभी भी हल्के में लिया जा रहा है, जबकि सही जांच हो तो मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरने से इनकार नहीं किया जा सकता.

सतपुड़ा में गहराया कोयला संकट

घोड़ाडोंगरी तहसील सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में एक बार फिर कोयला संकट गहरा गया है. यहां दो इकाइयां चालू रहने की स्थिति में प्रतिदिन करीब छह हजार मैट्रिक टन कोयले की खपत होती है. इन दिनों सतपुड़ा के यार्डों में 72 हजार मीट्रिक टन के आसपास कोल स्टॉक है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोयला संकट किस तेजी से गहरा रहा है. फरवरी माह में सतपुड़ा को रेलवे से 37 रैक, जनवरी में 51 रैक और दिसम्बर में 49 रैक कोयला मिला है, जबकि क्षेत्रीय खदानों से रोजाना करीब 3 हजार मीट्रिक टन कोयला आपूर्ति हो रहा है. यानी कि सतपुड़ा को अभी तक खपत के अनुरूप भी कोयला नहीं मिला. यही वजह है कि स्टॉक घटकर 70 हजार मेगावाट के आसपास आ पहुंचा है.

इनका कहना

सतपुड़ा की 6 व 7 नंबर इकाई को शुक्रवार को रिजर्व शट डाउन में बंद किया गया है, कोयला भी लगातार घट रहा है. स्टॉक 72 हजार मीट्रिक टन के आसपास है- अमित बंसोड़, पीआरओ, सतपुड़ा सारनी.

बैतूल। इरीगेशन लोड कम होते ही प्रदेश में बिजली की मांग घटने लगी है. शुक्रवार को प्रदेश में 12 हजार मेगावाट के आसपास बिजली की मांग रही. इसका सबसे ज्यादा असर घोड़ाडोंगरी तहसील सतपुड़ा थर्मल पॉवर प्लांट सारनी पर पड़ा. यहां की दो इकाइयों को रिजर्व शटडाउन (आरएसडी) में बंद कर दिया गया है.

बताया जा रहा है कि 210 मेगावाट क्षमता की 7 नंबर इकाई और 200 मेगावाट की 6 नंबर इकाई को बंद किया. इन दोनों इकाइयों के बंद होते ही घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी का बिजली उत्पादन लुढ़कर 500 मेगावाट के आसपास आ पहुंचा. फिलहाल सतपुड़ा की 1150 मेगावाट क्षमता की 10 व इतनी ही क्षमता की 11 नंबर इकाई चल रही है. दोनों इकाइयों से क्षमतानुरूप विद्युत उत्पादन हो रहा है, जबकि यहां की 210-210 मेगावाट क्षमता की 8 व 9 नंबर इकाई फरवरी 2020 से कंपनी द्वारा बंद कर दी गई है.

पेंच जल विद्युत गृह की यूनिट बंद होने पर मौके पर पहुंचे ऊर्जामंत्री

इतना ही नहीं इन दोनों इकाइयों के कोयला श्री सिंगाजी पॉवर प्लांट खंडवा डायवर्ट कर दिया गया है, जबकि इन दोनों इकाइयों को सिंगाजी की यूनिट बंद रहने की स्थिति में चलाया जा सकता था. गौरतलब है कि जब सो दोनों इकाइयों के करोड़ों रुपए की लागत से संधारण किया है. तब से दोनों इकाइयों से बमुश्किल ही उत्पादन लिया गया. इन दोनों इकाइयों को बंद रखकर उस इकाई को चलाना जिसका संधारण हुआ ही नहीं संदेह को जन्म देता है. कंपनी की इकाइयों को बंद रखकर निजी प्लांटों से महंगे दामों पर बिजली खरीदी का मुद्दा हाल ही में विधानसभा में गूंजा था. बावजूद इसके इस मामले को अभी भी हल्के में लिया जा रहा है, जबकि सही जांच हो तो मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरने से इनकार नहीं किया जा सकता.

सतपुड़ा में गहराया कोयला संकट

घोड़ाडोंगरी तहसील सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में एक बार फिर कोयला संकट गहरा गया है. यहां दो इकाइयां चालू रहने की स्थिति में प्रतिदिन करीब छह हजार मैट्रिक टन कोयले की खपत होती है. इन दिनों सतपुड़ा के यार्डों में 72 हजार मीट्रिक टन के आसपास कोल स्टॉक है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोयला संकट किस तेजी से गहरा रहा है. फरवरी माह में सतपुड़ा को रेलवे से 37 रैक, जनवरी में 51 रैक और दिसम्बर में 49 रैक कोयला मिला है, जबकि क्षेत्रीय खदानों से रोजाना करीब 3 हजार मीट्रिक टन कोयला आपूर्ति हो रहा है. यानी कि सतपुड़ा को अभी तक खपत के अनुरूप भी कोयला नहीं मिला. यही वजह है कि स्टॉक घटकर 70 हजार मेगावाट के आसपास आ पहुंचा है.

इनका कहना

सतपुड़ा की 6 व 7 नंबर इकाई को शुक्रवार को रिजर्व शट डाउन में बंद किया गया है, कोयला भी लगातार घट रहा है. स्टॉक 72 हजार मीट्रिक टन के आसपास है- अमित बंसोड़, पीआरओ, सतपुड़ा सारनी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.