बैतूल। जिले में आदिवासी महिलाएं होम मेड मास्क तैयार कर रही हैं. दावा है कि यह मास्क कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में 70 प्रतिशत तक सफल है, इसे धोने के बाद कई बार उपयोग किया जा सकता है. इस मास्क को अल्ट्रा वायलेट लाइट तकनीकी से संक्रमित रहित (सेनिटाइज) किया जा रहा है और समूह द्वारा 10 हजार मास्क निर्माण का लक्ष्य रखा गया है.
वितरित किये जा चुके हैं 5000 मास्क
बता दें की 24 मार्च से 2 अप्रैल तक 5000 मास्क निर्माण कर वितरित किए जा चुके हैं. यह मास्क 8 रुपये की दर पर स्थानीय ग्रामीणों को दिया जा रहा है. होम मेड मास्क प्राथमिकता के आधार पर वन अमले, वन सुरक्षा में लगे सुरक्षा श्रमिक और ऐसे ग्रामीण जो गांव से बाहर किसी कार्य से गए थे वे वापस लौटे हैं और ऐसे व्यक्ति, जिन्हें आकस्मिक कार्य से बाहर जाना पड़ता है और मास्क क्रय करने में समर्थ नहीं है, उन्हें विभाग की संयुक्त वन प्रबंध समितियों के माध्यम से मास्क मुफ्त वितरित किए जा रहे हैं. इस काम में वन कर्मचारी व वन समितियां सक्रियता से भाग ले रही हैं.
वही मास्क वितरण का काम सभी वन परिक्षेत्रों में किया जा रहा है. वन समितियों में मास्क वितरण के साथ-साथ हाथ धोने के लिये साबुन भी प्रदान किए जा रहे हैं. ग्रामीणों को समय-समय पर हाथ धोने और मास्क को पुन: उपयोग के पूर्व साबुन से गरम पानी में धोकर पांच घंटे तेज धूप में सुखाने की समझाइश भी दी जा रही है.
प्रतिदिन किया जा रहा है लगभग 1000 मास्क का निर्माण
मास्क के लिये सामग्री की निरंतर उपलब्धता के संबंध में स्थानीय अधिकारी स्थानीय प्रशासन के सम्पर्क में हैं. समूह प्रतिदिन लगभग 1000 मास्क का निर्माण करने की क्षमता रखता है. मास्क निर्माण के माध्यम से स्व-सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ राष्ट्र को इस कठिन परिस्थिति में अपना बहुमूल्य योगदान देने का अवसर प्राप्त हो रहा है.