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आस्था या अंधविश्वास ! छोटे बच्चों को गोबर से बने गोवर्धन पर लिटाने की परंपरा

बैतूल में ग्वाल समाज के लोगों ने सदियों से एक अनूठी परंपरा को निभा रहे हैं. इसमें गाय के ताजे गोबर और गोमूत्र से गोवर्धन पर्वत बनाता है, और पर्वत की पारंपरिक विधि विधान के अनुसार पूजन होता है. पूजा के बाद उस गोबर के पर्वत पर बच्चों को लिटाया जाता है.

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Published : Nov 15, 2020, 5:54 PM IST

Updated : Nov 15, 2020, 6:36 PM IST

Tradition of putting young children on cow dung in betul
छोटे बच्चों को गोबर से बने गोवर्धन पर लिटाने की परंपरा

बैतूल। बैतूल में ग्वाल समाज के लोगों ने सदियों से एक अनूठी परंपरा को संजो कर रखा है. दिवाली के दूसरे दिन यादव समाज गाय के ताजे गोबर और गोमूत्र से गोवर्धन पर्वत बनाता है. पर्वत की पारंपरिक विधि विधान के अनुसार पूजन होता है. पूजा के बाद उस गोबर के पर्वत पर बच्चों को लिटाया जाता है. ग्वाल समाज की मान्यता है कि गोबर से बने गोवर्धन पर्वत पर छोटे बच्चों को लिटाने और इसके स्पर्श से कई रोगों निजात मिल जाती है. अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास मगर रोगों से निजात पाने के लिए लोग आज भी इसे परंपरा को निभा रहे हैं.

बच्चों को गोर्वधन पर लेटाने की परंपरा

दिवाली के दूसरे दिन प्रदेश में धूमधाम से गोवर्धन पूजा की जाती है. ग्वाल समाज के लोग भगवान श्री कृष्ण को अपना आराध्यदेव मानते हैं. उनका मानना है कि 'द्वापर में जब श्री कृष्ण ने इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा तो इंद्रदेव नाराज हो गए. नाराज इंद्रदेव ने गोकुल में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, सब कुछ तबाह होने वाला था उससे पहले श्री कृष्ण ने अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल को तबाह होने से बचाया था. इसके बाद से ग्वाल समाज गोवर्धन की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं'.

Tradition of putting young children on cow dung in betul
छोटे बच्चों को गोबर से बने गोवर्धन पर लिटाने की परंपरा

ग्वाल समाज के लोग कहते हैं कि गोवर्धन से ही उनका घर परिवार चलता है. गाय के दूध से शरीर ताकतवर बनता है. तो वहीं गाय के गोबर और गौमूत्र से काया निरोगी होती है. गाय के गोबर से घरों की लिपाई-पुताई की जाती है. जिसके चलते मच्छर और अन्य कीड़े मकोड़े नहीं पहुंचते है. यही कारण है कि लोग गोवर्धन पूजा के दिन छोटे नन्हे-मुन्ने बच्चों को गोवर्धन पर्वत पर लिटाकर निरोगी रहने के लिए तमाम जतन करते हैं.

बैतूल। बैतूल में ग्वाल समाज के लोगों ने सदियों से एक अनूठी परंपरा को संजो कर रखा है. दिवाली के दूसरे दिन यादव समाज गाय के ताजे गोबर और गोमूत्र से गोवर्धन पर्वत बनाता है. पर्वत की पारंपरिक विधि विधान के अनुसार पूजन होता है. पूजा के बाद उस गोबर के पर्वत पर बच्चों को लिटाया जाता है. ग्वाल समाज की मान्यता है कि गोबर से बने गोवर्धन पर्वत पर छोटे बच्चों को लिटाने और इसके स्पर्श से कई रोगों निजात मिल जाती है. अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास मगर रोगों से निजात पाने के लिए लोग आज भी इसे परंपरा को निभा रहे हैं.

बच्चों को गोर्वधन पर लेटाने की परंपरा

दिवाली के दूसरे दिन प्रदेश में धूमधाम से गोवर्धन पूजा की जाती है. ग्वाल समाज के लोग भगवान श्री कृष्ण को अपना आराध्यदेव मानते हैं. उनका मानना है कि 'द्वापर में जब श्री कृष्ण ने इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा तो इंद्रदेव नाराज हो गए. नाराज इंद्रदेव ने गोकुल में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, सब कुछ तबाह होने वाला था उससे पहले श्री कृष्ण ने अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल को तबाह होने से बचाया था. इसके बाद से ग्वाल समाज गोवर्धन की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं'.

Tradition of putting young children on cow dung in betul
छोटे बच्चों को गोबर से बने गोवर्धन पर लिटाने की परंपरा

ग्वाल समाज के लोग कहते हैं कि गोवर्धन से ही उनका घर परिवार चलता है. गाय के दूध से शरीर ताकतवर बनता है. तो वहीं गाय के गोबर और गौमूत्र से काया निरोगी होती है. गाय के गोबर से घरों की लिपाई-पुताई की जाती है. जिसके चलते मच्छर और अन्य कीड़े मकोड़े नहीं पहुंचते है. यही कारण है कि लोग गोवर्धन पूजा के दिन छोटे नन्हे-मुन्ने बच्चों को गोवर्धन पर्वत पर लिटाकर निरोगी रहने के लिए तमाम जतन करते हैं.

Last Updated : Nov 15, 2020, 6:36 PM IST
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