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मजदूर दिवस : कोल कर्मियों के हौसले से प्रदेश हो रहा रौशन, नहीं घटा कोयले का उत्पादन

बैतूल के सारनी के पाथाखेड़ा क्षेत्र में छह कोल माइंस हैं, जहां लॉकडाउन होने के बावजूद भी माइंस में कोयले का उत्पादन लगातार जारी है, जिसे देखते हुए कोल माइंस के कर्मचारी और मजदूर कोरोना वायरस के संक्रमण को मात देते हुए ड्यूटी पर आ रहे हैं और कोयले का उत्पादन कर रहे हैं.

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Published : May 1, 2020, 9:57 PM IST

The  state is getting bright due to the coal workers
कोल कर्मियों के हौसले से प्रदेश हो रहा रौशन

बैतूल। जिले में सारनी के पाथाखेड़ा क्षेत्र में मजदूर दिवस के दिन कोल माइंस में काम करने वाले मजदूर और कर्मचारियों के हौसले को देखते हुए लॉकडाउन के इन हालातों के बावजूद भी माइंस में कोयले का उत्पादन लगातार जारी है, जो कोल कर्मियों की मेहनत का परिणाम है. वही प्रदेश में गंभीर परिस्थितियों के बावजूद भी लोगों को बिजली की कमी का कोई सामना नहीं करना पड़ा और सम्भवतः ये पहला मौका है, जब सभी सेक्टर लॉकडाउन हैं और कोयले और बिजली का उत्पादन जारी है.

सारनी के पाथाखेड़ा में है 6 कोल माइंस

बता दें की सारनी के पाथाखेड़ा क्षेत्र में छह कोल माइंस हैं और इन माइंस से कोयला निकाला जाता है, इनमें से कुल मैन पावर 4300 के लगभग है और ये कर्मचारी लॉकडाउन के समय से उत्पादन करने में जुटे हुए हैं साथ ही लॉकडाउन की वजह से एक दिन भी उत्पादन कम नहीं हुआ है.

पहले से ज्यादा है मैनपॉवर

कोल कर्मचारियों ने बताया की मैन पॉवर पहले से ज्यादा है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कोई बाहर नहीं जा पा रहे हैं और सब ड्यूटी पर आ रहे हैं. जिससे उत्पादन में कोई कमी नहीं आई है. पाथाखेड़ा की छह माइंस में से निकलने वाले कोयले की सप्लाई सारनी के पावर प्लांट समेत देश-प्रदेश के दूसरे प्लांट को होती है और वर्तमान में 5 हजार टन कोयले का उत्पादन हो रहा है. ग्राउंड स्टॉक मिलाकर इसकी मात्रा बढ़ जाती है और इस तरह से लगातार कोयले का उत्पादन जारी है जहां ये कोयला पावर प्लांट को सप्लाई होता है.

प्रबंधन ने की है हैंड वाश और सेनिटाइजर की व्यवस्था

इसके साथ ही मजदूर और कोलकर्मी कोरोना संक्रमण को मात देकर कोयला उत्पादन में लग हुए हैं, हालांकि प्रबंधन ने कोरोना से बचाव के लिए माइंस में जगह-जगह हैंड वाश की सुविधा और सेनिटाइजर की व्यवस्था भी की है.

बैतूल। जिले में सारनी के पाथाखेड़ा क्षेत्र में मजदूर दिवस के दिन कोल माइंस में काम करने वाले मजदूर और कर्मचारियों के हौसले को देखते हुए लॉकडाउन के इन हालातों के बावजूद भी माइंस में कोयले का उत्पादन लगातार जारी है, जो कोल कर्मियों की मेहनत का परिणाम है. वही प्रदेश में गंभीर परिस्थितियों के बावजूद भी लोगों को बिजली की कमी का कोई सामना नहीं करना पड़ा और सम्भवतः ये पहला मौका है, जब सभी सेक्टर लॉकडाउन हैं और कोयले और बिजली का उत्पादन जारी है.

सारनी के पाथाखेड़ा में है 6 कोल माइंस

बता दें की सारनी के पाथाखेड़ा क्षेत्र में छह कोल माइंस हैं और इन माइंस से कोयला निकाला जाता है, इनमें से कुल मैन पावर 4300 के लगभग है और ये कर्मचारी लॉकडाउन के समय से उत्पादन करने में जुटे हुए हैं साथ ही लॉकडाउन की वजह से एक दिन भी उत्पादन कम नहीं हुआ है.

पहले से ज्यादा है मैनपॉवर

कोल कर्मचारियों ने बताया की मैन पॉवर पहले से ज्यादा है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कोई बाहर नहीं जा पा रहे हैं और सब ड्यूटी पर आ रहे हैं. जिससे उत्पादन में कोई कमी नहीं आई है. पाथाखेड़ा की छह माइंस में से निकलने वाले कोयले की सप्लाई सारनी के पावर प्लांट समेत देश-प्रदेश के दूसरे प्लांट को होती है और वर्तमान में 5 हजार टन कोयले का उत्पादन हो रहा है. ग्राउंड स्टॉक मिलाकर इसकी मात्रा बढ़ जाती है और इस तरह से लगातार कोयले का उत्पादन जारी है जहां ये कोयला पावर प्लांट को सप्लाई होता है.

प्रबंधन ने की है हैंड वाश और सेनिटाइजर की व्यवस्था

इसके साथ ही मजदूर और कोलकर्मी कोरोना संक्रमण को मात देकर कोयला उत्पादन में लग हुए हैं, हालांकि प्रबंधन ने कोरोना से बचाव के लिए माइंस में जगह-जगह हैंड वाश की सुविधा और सेनिटाइजर की व्यवस्था भी की है.

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