बैतूल। जिले की आमला सीट एक बार फिर हॉट सीट के रूप में तब्दील हो गई है, यहां कांग्रेस से चुनाव लडने के लिए डिप्टी कलेक्टर की नौकरी छोड़ चुकी निशा बांगरे ने ऐलान कर दिया है कि वे हर हाल में चुनाव लड़ेंगी, चाहें पार्टी उन्हें टिकट दे या व नहीं दे. इधर कांग्रेस के द्वारा टिकट बदले जाने की संभावना कम ही है, यदि बदली तो यहां से भी फिर बगावत लगभग तय है. ऐसे में इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष के पूरे आसार नजर आ रहे हैं, इस बीच खबर है कि निशा बांगरे बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने छिंदवाड़ा रवाना हो गई है, जो आज गुरुवार को कमलनाथ से मुलाकात करेंगी. दरअसल बुधवार को निशा बांगरे ने मीडिया को दिए बयान में कमलनाथ से सवाल किया था कि "वे अपना स्टैंड स्पष्ट करें."
कमलनाथ और दिग्गी से मिला आश्वासन, फिर भी कटा टिकट: मध्य प्रदेश शासन में डिप्टी कलेक्टर रही निशा बांगरे आमला सुरक्षित सीट से चुनाव लडना चाहती हैं, वे लंबे समय से कांग्रेस से टिकट पाने की जुगत में लगी हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से इस बाबत पुख्ता आश्वासन भी मिल चुका था और कांग्रेस से आमला सीट से निशा का चुनाव लडना लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन बाद में पार्टी ने अन्य प्रत्याशी को मैदान में उतारते हुए निशा का टिकट काट दिया.
यहां उम्मीदवार घोषित, वहां इस्तीफा मंजूर: निशा बांगरे अपनी चुनाव लड़ने की हसरत पूरी करने के लिए काफी पहले से इस्तीफा भी दे चुकी थी, इसके बावजूद कांग्रेस उन्हें अभी तक अपनी उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई थी. इसमें मुख्य पेंच यह आ रहा था कि प्रदेश सरकार ने सोमवार शाम तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था, इसके चलते पार्टी ने सोमवार शाम को ही प्रदेश भर में उम्मीदवार घोषित करने से बची इस इकलौती सीट पर भी मनोज मालवे को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था. संयोग ऐसा बना कि इधर कांग्रेस ने उम्मीदवार का ऐलान किया और उधर निशा का इस्तीफा मंजूर हो गया.
क्या कांग्रेस निशा बांगरे को देगी टिकट: अब इस नए घटनाक्रम से आमला सीट एक बार फिर चर्चाओं के केंद्र में आ गई है, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर है कि इन बदली परिस्थितियों में कांग्रेस अपना उम्मीदवार बदलेगी या फिर घोषित किए जा चुके उम्मीदवार मनोज मालवे को ही बी फॉर्म भी जारी करेगी. लोग अपनी उत्सुकता शांत करने जहां चौक चौराहों पर चर्चाओं में मशगूल हैं, वहीं सियासी जानकारों से भी इस बारे में जानने का प्रयास कर रहे हैं.
इधर पार्टी पदाधिकारियों और राजनीतिक जानकारों का कहना है कि "अब आमला से उम्मीदवार बदले जाने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है, इसकी वजह है कि यदि पार्टी को निशा को ही उम्मीदवार बनाना होता तो वह नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख तक भी इस्तीफा स्वीकार होने की राह देख सकती थी, जिसमें अभी काफी समय था. कांग्रेस नामांकन की अंतिम तारीख तक रास्ता देख सकती थी और आखिरी दिन भी उम्मीदवार को लेकर कोई निर्णय कर सकती थी. लेकिन, पार्टी को निशा को उम्मीदवार बनाए जाने पर बहुत से नुकसान होने का डर था, इसी डर के चलते पार्टी को यह निर्णय लेना पड़ा था."
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कांग्रेस नहीं चाहती नुकसान: दरअसल पार्टी को कुछ ऐसे संकेत मिल रहे थे कि निशा को टिकट दिए जाने पर वहां से टिकट मांग रहे पूर्व नपाध्यक्ष मनोज मालवे बगावत करके किसी और पार्टी से या निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं, साथ ही बड़ी तादाद में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने भी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से मुलाकात कर अपने तेवर दिखा दिए थे कि पैराशूट उम्मीदवार वे बिल्कुल कबूल नहीं करेंगे. इन सभी के बगावती तेवर से पार्टी को होने वाले बड़े नुकसान का अंदेशा साफ दिख रहा था, इसी के चलते पार्टी ने आनन फानन में यह निर्णय लिया. लिहाजा, ऐसी कोई उम्मीद नहीं कि अब पार्टी उम्मीदवार बदलेगी क्योंकि बगावत का डर अभी भी बना है.
निशा बांगरे का ऐलान: मैं चुनाव लडूंगी, त्रिकोणीय संघर्ष तय: इधर इस्तीफा मंजूर होते ही चुनाव लडऩे के लिए पूर्णत: स्वतंत्र हो चुकी निशा बांगरे ने भी ऐलान कर दिया है कि "मैं चुनाव लडूंगी और गुरुवार या शुक्रवार को नामांकन दाखिल करूंगी." इससे यह तय है कि निशा को कांग्रेस से टिकट नहीं मिली तो वे किसी और पार्टी से या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी. इधर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि "टिकट की घोषणा कर दिए जाने के बाद यदि कांग्रेस अब उम्मीदवार बदलकर मनोज की जगह निशा को उम्मीदवार बनाती है तो वे भी इस स्थिति में निश्चित रूप से बागी होने को मजबूर हो जाएंगे. ऐसे में वे भी किसी अन्य पार्टी या फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे, इन हालातों में दोनों ही परिस्थितियों में आमला में त्रिकोणीय संघर्ष तय माना जा रहा है."