बैतूल। अंधविश्वास के चलते खुद की गोदी में लेकर अपने बच्चो को गोबर में बिठाने व लिटाने के दृश्य बैतूल जिले में कहीं भी देखे जा सकते हैं. शहर के कृष्ण पुरा वार्ड में गोवर्धन पूजा के बाद बच्चो को गोबर में इसलिए डाला जाता है कि बच्चे साल भर तंदुरुस्त रहेंगे. लोगों की मान्यता है कि जैसे भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर ग्वालों की रक्षा की थी, तभी से मान्यता हो गई कि गोवर्धन उनकी रक्षा करते हैं. इसी को लेकर बच्चो को गोबर में डाला जाता है.
बच्चों को निरोगी रहने का दे रहे तर्क : दीपावली के बाद बुधवार को गोवर्धन पूजा की गई और इसके लिए पहले से तैयारी की जाती है. ग्वाल समाज के लोग गोबर एकत्रित करते हैं और उससे बड़े आकार में गोवर्धन बनाये जाते हैं. ग्वाल समाज के नरेंद्र यादव का कहना है कि यह परम्परा तब से शुरू हुई, जब से भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था.पूजा के बाद बच्चों को इसलिए डालते हैं जिससे वे निरोगी रहें. गोवर्धन पूजा के दिन पुरुष व महिलाएं विधि-विधान से पूजा करते हैं. उसके बाद फिर बच्चों को गोबर से बने गोबर्धन में डाला जाता है.
खतरनाक है ये परंपरा : इस बारे में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन देशमुख का कहना है कि बच्चों के मामले में थोड़ा सतर्कता बरतनी चाहिए. गोबर में बैक्टीरियल वायरस और अन्य कई तरह के कीड़े होते हैं, जो बच्चों की स्क्रीन में इंफेक्शन फैला सकते हैं. एक स्क्रब टाइपस नाम की खतरनाक बीमारी है, जो जानलेवा है और कीड़े के काटने से होती है. इसके कीड़े गोबर में पाए जाते हैं. (Betul Unique Tradition on Govardhan Puja) (Govardhan Puja 2022) (children are laid in Gobar)