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Nisha Bangre Resignation: डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे पर 23 अक्टूबर तक होगा निर्णय, सरकार ने हाईकोर्ट में दिया जवाब - सरकार ने दिया हाईकोर्ट को जवाब

डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के खिलाफ लंबित विभागीय जांच तथा उनके इस्तीफे पर मध्यप्रदेश सरकार सोमवार शाम तक निर्णय लेगी. सरकार की तरफ से इस संबंध में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष अंडर टेकिंग पेश की गयी. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई दशहरा के अवकाश के बाद निर्धारित की है. Nisha Bangre Resignation

Nisha Bangre Resignation
निशा बांगरे के इस्तीफे पर 23 अक्टूबर तक होगा निर्णय
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 21, 2023, 8:48 AM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर तैनात डिप्टी कलेक्टर बांगरे ने इसी साल 22 जून को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था. सरकार द्वारा इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लेने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका में कहा गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी का इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 दिन के अंदर इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए.

निशा ने आरोप स्वीकार किया : निर्धारित अवधि गुजर जाने के बावजूद भी इस्तीफे पर सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लेने के खिलाफ डिप्टी कलेक्टर ने हाईकोर्ट की पुनः शरण ली. याचिका में कहा गया कि सरकार द्वारा विभागीय जांच के लिए उन्हे नोटिस जारी किया गया था.सरकार की तरफ से विभागीय जांच में लगाये गये आरोप उन्होंने स्वीकार कर लिये हैं. इसके बावजूद उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 10 दिन में इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किये थे.

सरकार ने पहले ये जवाब दिया : सरकार की तरफ से उक्त आदेश के खिलाफ युगलपीठ के समक्ष अपील दायर की गयी. अपील में कहा गया कि विभागीय जांच की सभी औपचारिता 10 दिन में पूर्ण नहीं हो सकती. आरोप के संबंध में पीएससी की अनुमति, संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज करने सहित अन्य कार्रवाई आवश्यक है. युगलपीठ द्वारा सरकार की अपील तथा डिप्टी कलेक्टर की याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई की गयी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उनके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं है. छुट्टी के दुरुपयोग का आरोप है और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया है.

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मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा : डिप्टी कलेक्टर ने सरकार द्वारा इस्तीफा स्वीकार नहीं करने को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को इस्तीफा देने का कारण स्पष्ट करते हुए एक-दो दिन में हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने निर्देश जारी किये थे. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट को निर्देश दिये थे कि याचिकाकर्ता के आवेदन का निर्धारण शीघ्र करें. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरूण तन्खा ने बताया कि हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अंडर टेकिंग दी गई है.

जबलपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर तैनात डिप्टी कलेक्टर बांगरे ने इसी साल 22 जून को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था. सरकार द्वारा इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लेने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी. याचिका में कहा गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी का इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 30 दिन के अंदर इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किए.

निशा ने आरोप स्वीकार किया : निर्धारित अवधि गुजर जाने के बावजूद भी इस्तीफे पर सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लेने के खिलाफ डिप्टी कलेक्टर ने हाईकोर्ट की पुनः शरण ली. याचिका में कहा गया कि सरकार द्वारा विभागीय जांच के लिए उन्हे नोटिस जारी किया गया था.सरकार की तरफ से विभागीय जांच में लगाये गये आरोप उन्होंने स्वीकार कर लिये हैं. इसके बावजूद उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 10 दिन में इस्तीफे पर निर्णय लेने के आदेश जारी किये थे.

सरकार ने पहले ये जवाब दिया : सरकार की तरफ से उक्त आदेश के खिलाफ युगलपीठ के समक्ष अपील दायर की गयी. अपील में कहा गया कि विभागीय जांच की सभी औपचारिता 10 दिन में पूर्ण नहीं हो सकती. आरोप के संबंध में पीएससी की अनुमति, संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज करने सहित अन्य कार्रवाई आवश्यक है. युगलपीठ द्वारा सरकार की अपील तथा डिप्टी कलेक्टर की याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई की गयी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उनके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं है. छुट्टी के दुरुपयोग का आरोप है और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया है.

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मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा : डिप्टी कलेक्टर ने सरकार द्वारा इस्तीफा स्वीकार नहीं करने को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को इस्तीफा देने का कारण स्पष्ट करते हुए एक-दो दिन में हाईकोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने निर्देश जारी किये थे. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट को निर्देश दिये थे कि याचिकाकर्ता के आवेदन का निर्धारण शीघ्र करें. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरूण तन्खा ने बताया कि हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अंडर टेकिंग दी गई है.

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