बैतूल। महाराष्ट्र की सीमा से लगी मध्यप्रदेश की बैतूल संसदीय सीट सूबे के मध्य भारत अंचल की अहम सीट मानी जाती है. जिसे बीजेपी ने अपने अभेद्य किले के रुप में तब्दील कर लिया है. कांग्रेस का हर दांव यहां बेकार जाता है, इस बार बीजेपी ने दुर्गादास उइके को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने युवा चेहरे रामू टेकाम को बीजेपी का गढ़ भेदने की जिम्मेदारी सौंपी है.
बैतूल कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन बदलते दौर में बीजेपी ने कांग्रेस को यहां से लगभग बेदखल ही कर दिया है. आजादी के बाद से अब तक यहां हुए कुल 15 आम चुनावों में 8 बार कमल खिला तो 6 बार पंजे की पकड़ मजबूत हुई, जबकि एक बार लोक दल प्रत्याशी ने भी विजय पताका फहराया था, बीजेपी 1996 से लागातार जीत दर्ज कर रही है.
बैतूल सीट पर इस बार कुल 17 लाख 34 हजार 849 मतदाता वोट डालेंगे. जिनमें 8 लाख 95 हजार 90 पुरुष मतदाता, जबकि 8 लाख 39 हजार महिला मतदाता शामिल हैं. वहीं, अन्य मतदाताओं की संख्या 28 है. बैतूल में इस बार कुल 2355 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं. जिनमें 360 बूथ अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखे गये हैं. जिसके चलते प्रशासन ने यहां सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम करने की बात कही है.
इस संसदीय क्षेत्र में बैतूल, घोड़ाडोंगरी, मुलताई, आमला, भैंसदेही, हरदा, टिमरनी और हरसूद विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें चार पर बीजेपी और चार सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. जिसके चलते इस सीट पर दोनों पार्टियों में बराबरी का मुकाबला नजर आता है. पिछले आम चुनाव में बीजेपी की ज्योति धुर्वे ने यहां कांग्रेस के अजय शाह को 97 हजार 317 वोटों के अंतर से हराया था. हालांकि, इस बार बीजेपी ने धुर्वे का टिकट काटकर दुर्गादास उइके पर दांव लगाया है.
बैतूल सीट दो खेमों में बंटी है, यहां शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अपने-अपने मुद्दे हैं. बेरोजगारी इस क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा है तो ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजागार जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से लोग परेशान हैं. अब जनता की कसौटी पर कौन प्रत्याशी खरा उतरता है, इस पर 23 मई को चुनावी नतीजे ही फाइनल मुहर लगायेंगे.