बड़वानी। बीजेपी से नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी ने ईटीवी भारत को खास इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने सांसद बनने के बाद प्रदेश और निमाण के लिए अपनी प्राथमिकता बताई. और कहा कि उन्हें संगठन के राष्ट्र और समाज हित में काम करना है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की योजनाओं और कामों को धरातल तक ले जाना उनकी प्राथमिकता होगी और बड़वानी में शिक्षा, स्वास्थ्य,रोजगार जैसी समस्याओं से निपटना उनका दायित्व होगा.
बड़े स्तर पर सुधार के लिए चुनी राजनीति
शिक्षा जगत से राजनीति में आने आने के सवाल पर सांसद सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कि शिक्षा जगत में रहते हुए उन्होंने पश्चमी मध्यप्रदेश में जल जंगल जमीन और आदिवासी समाज के लिए काम किया है, जिस पर बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन ने उन्हें ये जिम्मेदारी दी, जिस पर अब क्षेत्र में निकल कर काम करना है, प्रदेश की जनता के जो सवाल होंगे, उसे सदन में उठाना है. वहीं मध्यप्रदेश को उनके सांसद बनने से होने वाले फायदे के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता पश्चिमी मध्यप्रदेश के हालातों में सुधार शिक्षा में परिवर्तन होगा. इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य और कृषी सुधार को अपनी पहली प्राथमिकता बताई.
बड़वानी में रेल और मेडिकल कॉलेज
बड़वानी जिले में विकास कार्यों और वहां के परिवाहन को लेकर उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोग हमेशा से ही रेल की मांग करते रहे हैं. रेल न होने के कारण क्षेत्र का विकास रुका हुआ है, इसलिए सबससे पहले प्रयास करेंगे कि निमाड़ में रेल दौड़े, जिससे यहां लोग रेल में सफर कर पाएं. वहीं सांसद सोलंकी ने इस बात पर भी जोर दिया कि बड़वानी में मेडिकल कॉलेज हो. चूंकि आसपास के 4-5 जिले के छात्र मात्र एक बड़वानी और धार पर ही ज्यादातर निर्भर रहते हैं, वहीं स्थीति बिगड़ने पर बड़े शहरों के अलावा अन्य प्रदेशों की ओर भी जाना पड़ता है. उन्होंने प्रदेश के जिला अस्पतालों को सुधारने की बात कही और कहा कि इसके लिए सरकार पहले से भी कुछ काम कर रही है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी ज्यादातर संमस्याएं लोकल स्तर पर निपटाई जा सकें.
रोजगार के लिए होंगे उपाए
लगातार बढ़ रहे पलायन को रोकने के लिए सांसद सोलंकी ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से बात कर क्षेत्र में उद्योग लगाने के प्रयास करने की बात कही. साथ ही उन्होंने बताया कि जल जंगल और जमीन को लेकर वो खुद काम कर रहे हैं, प्रयास करेंगे कि इस पर एक प्रोजेक्ट बनाया जाए, जिसके जरिए आदिवासियों को सरकार 10 साल के लिए संरक्षण देकर जंगल सुरक्षित करवाए, उसके बाद वहीं जंगल उनके लिए खुद व खुद रोजगार देने लगेगा, जिससे पलायन रुकेगा और लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल जाएगा. उन्होंने आशा जताई की अब जल्द ही निमाड़ को नई सौगातें मिलेंगी.