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ETV भारत की खबर का असर, शहीद भीमा नायक परियोजना की निर्माण एजेंसी होगी ब्लैक लिस्ट, कलेक्टर ने भेजी अनुशंसा

बड़वानी में ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. शहीद भीमा नायक परियोजना में काम के कछुआ चाल से चलने को लेकर निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को ब्लैक लिस्टेड करने के लिए कलेक्टर ने पत्र लिखा है. ईटीवी भारत ने किसानों के हित में इस मुद्दे को अपने स्पेशल रिपोर्ट में उठाया था.

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भीमा नायक परियोजना
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Published : Oct 18, 2020, 12:42 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 2:09 PM IST

बड़वानी। ईटीवी भारत की खबर के पर कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को ब्लैक लिस्ट करने के लिए सरकार को अपनी अनुशंसा भेज दी है. मुख्य सचिव और एनवीडीए उपाध्यक्ष को बांध का कार्य तय समय सीमा में नहीं पूरा कर पाने पर एक्शन लेने के लिए चिट्ठी भेजी गई है. दरअसल, बड़वानी जिले की एकमात्र शहीद भीमनायक सागर परियोजना एक दशक के बाद भी पूरी नहीं हो सकी. इन सालों में अब तक 6 बार समय सीमा बढाई जा चुकी है, वही बांध स्थल से पानी के रिसाव की भी शिकायतें सामने आ चुकी हैं.

ETV भारत की खबर का असर

143.18 एमसीएम जल भरण क्षमता वाली इस परियोजना की नहरें और उपनहरें अभी भी अधूरी हैं. बांध निर्माण में अनियमितता को लेकर पूर्व की कांग्रेस सरकार में मुद्दा उठा था. तब तत्कालीन गृहमंत्री बाला बच्चन ने परियोजना की धीमी गति पर बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया था. बाला बच्चन ने निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्ट करने की बात कई मंचो से दोहराई थी. लेकिन इस बीच सरकार बदल गई और एजेंसी बच निकली.

ईटीवी भारत ने किसानों के हित को लेकर शहीद भीमा नायक परियोजना पर अपनी स्पेशल रिपोर्ट दी थी. जिसके बाद अब कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा बांध स्थल पहुंचे और पूरी जानकारी लेने के बाद निर्माण एजेंसी पर एक्शन के लिए मुख्य सचिव और एनवीडीए के उपाध्यक्ष को बांध का कार्य जल्द पूरा करने या निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने का लिए पत्र लिखा है.

11 साल बाद भी अधूरा है नहरों का काम

साल 2009 में जिले की गोई नदी और अन्य सहायक नदियों को जोड़कर लोअर गोई जल परियोजना की शुरुआत हुई थी. जिसका नाम प्रदेश की बीजेपी सरकार ने बाद में बदल कर शहीद भीमा नायक सागर परियोजना रख दिया. इस परियोजना को पूरा करने के लिए 4 साल 1 माह का समय तय किया गया था. साथ ही निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को तय समय सीमा में काम पूरा करने की जिम्मेदारी सौपीं गई थी. 11 साल बाद भी नहरों का काम अधूरा है, नहर के लिए अब तक जमीन ही नहीं मिल पाई है. वहीं अब तक कुल 6 बार समय सीमा में बदलाव हो चुका है. परियोजना की लागत की बात करें तो यह 332 करोड़ की थी, जिसे बढ़ाकर 360 किया गया.

46 गांव के 9 हजार किसान को होता फायदा

धीमी गति से चलने वाली इस परियोजना की लागत समय के साथ बदलती गई और साल 2018 में 545 करोड़ हो गई. वहीं दो साल में लगातार बढ़ोतरी के चलते और नए टेंडर नहीं होने से फिलहाल काम बंद है. शहीद भीमनायक परियोजना से कुल 46 गांव के लगभग 9 हजार किसान लाभान्वित होकर 13 हजार 760 हेक्टेयर भूमि सिंचित होनी थी. जिसमें जिले के 36 गांव राजपुर, 8 बड़वानी और 2 पानसेमल की कृषि भूमि हरीभरी होती. मुख्य नहर से 18 नहरें निकलनी थीं जिसमें से अभी सिर्फ 4 नहरों के लिए जमीन मिला है. शेष 14 नहरों के लिए जमीन अब तक नहीं मिल पाई है.

इस सीजन खोले गए 5 बार गेट
शहीद भीमनायक सागर परियोजना बांध की लंबाई 2531 मीटर है, वहीं 44.20 मीटर ऊंचाई हैं. जिसमे 12 गेट बनाए गए हैं. मुख्य नहर की लंबाई 27.555 किमी है. 5.50 मीटर सतह की चौड़ाई है. वहीं उपनहरों की लंबाई 221 किमी है. भादो मास में लगातार हो रही बारिश के चलते 75 प्रतिशत बांध का भराव हो चुका है. इस बांध की जल भरण क्षमता 107.463 क्यू-मैक्स है. इस सीजन में 5 बार गेट खोले गए है, लेकिन ज्यादा पानी नही छोड़ा गया है.

ईटीवी भारत की खबर पर जागा प्रशासन
ईटीवी भारत ने किसानों को परियोजना का लाभ नहीं मिलने और अनियमितता का मुद्दा उठाया था. इसके बाद कलेक्टर ने ताबड़तोड़ बांध स्थल का निरीक्षण किया. निर्माण एजेंसी के खिलाफ जल्द कार्य पूरा नहीं करने पर ब्लैक लिस्ट की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा. जिले की एकमात्र सिंचाई परियोजना का लाभ एक दशक बाद भी क्षेत्र के किसानों को मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच इस शहीद भीमनायक सागर परियोजना पर श्रेय लेने की होड़ के चलते लागत दुगनी हो गई है. अधूरी पड़ी इस परियोजना में 2015 में बांध के ऊपरी हिस्से में दरार पड़ गई थी. जिससे पानी का रिसाव होने की शिकायतें भी लगातार सामने आती रही हैं.

बड़वानी। ईटीवी भारत की खबर के पर कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को ब्लैक लिस्ट करने के लिए सरकार को अपनी अनुशंसा भेज दी है. मुख्य सचिव और एनवीडीए उपाध्यक्ष को बांध का कार्य तय समय सीमा में नहीं पूरा कर पाने पर एक्शन लेने के लिए चिट्ठी भेजी गई है. दरअसल, बड़वानी जिले की एकमात्र शहीद भीमनायक सागर परियोजना एक दशक के बाद भी पूरी नहीं हो सकी. इन सालों में अब तक 6 बार समय सीमा बढाई जा चुकी है, वही बांध स्थल से पानी के रिसाव की भी शिकायतें सामने आ चुकी हैं.

ETV भारत की खबर का असर

143.18 एमसीएम जल भरण क्षमता वाली इस परियोजना की नहरें और उपनहरें अभी भी अधूरी हैं. बांध निर्माण में अनियमितता को लेकर पूर्व की कांग्रेस सरकार में मुद्दा उठा था. तब तत्कालीन गृहमंत्री बाला बच्चन ने परियोजना की धीमी गति पर बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया था. बाला बच्चन ने निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्ट करने की बात कई मंचो से दोहराई थी. लेकिन इस बीच सरकार बदल गई और एजेंसी बच निकली.

ईटीवी भारत ने किसानों के हित को लेकर शहीद भीमा नायक परियोजना पर अपनी स्पेशल रिपोर्ट दी थी. जिसके बाद अब कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा बांध स्थल पहुंचे और पूरी जानकारी लेने के बाद निर्माण एजेंसी पर एक्शन के लिए मुख्य सचिव और एनवीडीए के उपाध्यक्ष को बांध का कार्य जल्द पूरा करने या निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्ट करने का लिए पत्र लिखा है.

11 साल बाद भी अधूरा है नहरों का काम

साल 2009 में जिले की गोई नदी और अन्य सहायक नदियों को जोड़कर लोअर गोई जल परियोजना की शुरुआत हुई थी. जिसका नाम प्रदेश की बीजेपी सरकार ने बाद में बदल कर शहीद भीमा नायक सागर परियोजना रख दिया. इस परियोजना को पूरा करने के लिए 4 साल 1 माह का समय तय किया गया था. साथ ही निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को तय समय सीमा में काम पूरा करने की जिम्मेदारी सौपीं गई थी. 11 साल बाद भी नहरों का काम अधूरा है, नहर के लिए अब तक जमीन ही नहीं मिल पाई है. वहीं अब तक कुल 6 बार समय सीमा में बदलाव हो चुका है. परियोजना की लागत की बात करें तो यह 332 करोड़ की थी, जिसे बढ़ाकर 360 किया गया.

46 गांव के 9 हजार किसान को होता फायदा

धीमी गति से चलने वाली इस परियोजना की लागत समय के साथ बदलती गई और साल 2018 में 545 करोड़ हो गई. वहीं दो साल में लगातार बढ़ोतरी के चलते और नए टेंडर नहीं होने से फिलहाल काम बंद है. शहीद भीमनायक परियोजना से कुल 46 गांव के लगभग 9 हजार किसान लाभान्वित होकर 13 हजार 760 हेक्टेयर भूमि सिंचित होनी थी. जिसमें जिले के 36 गांव राजपुर, 8 बड़वानी और 2 पानसेमल की कृषि भूमि हरीभरी होती. मुख्य नहर से 18 नहरें निकलनी थीं जिसमें से अभी सिर्फ 4 नहरों के लिए जमीन मिला है. शेष 14 नहरों के लिए जमीन अब तक नहीं मिल पाई है.

इस सीजन खोले गए 5 बार गेट
शहीद भीमनायक सागर परियोजना बांध की लंबाई 2531 मीटर है, वहीं 44.20 मीटर ऊंचाई हैं. जिसमे 12 गेट बनाए गए हैं. मुख्य नहर की लंबाई 27.555 किमी है. 5.50 मीटर सतह की चौड़ाई है. वहीं उपनहरों की लंबाई 221 किमी है. भादो मास में लगातार हो रही बारिश के चलते 75 प्रतिशत बांध का भराव हो चुका है. इस बांध की जल भरण क्षमता 107.463 क्यू-मैक्स है. इस सीजन में 5 बार गेट खोले गए है, लेकिन ज्यादा पानी नही छोड़ा गया है.

ईटीवी भारत की खबर पर जागा प्रशासन
ईटीवी भारत ने किसानों को परियोजना का लाभ नहीं मिलने और अनियमितता का मुद्दा उठाया था. इसके बाद कलेक्टर ने ताबड़तोड़ बांध स्थल का निरीक्षण किया. निर्माण एजेंसी के खिलाफ जल्द कार्य पूरा नहीं करने पर ब्लैक लिस्ट की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा. जिले की एकमात्र सिंचाई परियोजना का लाभ एक दशक बाद भी क्षेत्र के किसानों को मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच इस शहीद भीमनायक सागर परियोजना पर श्रेय लेने की होड़ के चलते लागत दुगनी हो गई है. अधूरी पड़ी इस परियोजना में 2015 में बांध के ऊपरी हिस्से में दरार पड़ गई थी. जिससे पानी का रिसाव होने की शिकायतें भी लगातार सामने आती रही हैं.

Last Updated : Oct 18, 2020, 2:09 PM IST
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