बड़वानी। मध्यप्रदेश सहित बड़वानी जिले में भी इन दिनों भारी बारिश हो रही है. इससे सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से नर्मदा नदी के किनारे बसे गांवों में डूब का खतरा मंडरा रहा है. सबसे बड़ी त्रासदी बड़वानी जिले के राजघाट, कसरावद, जंगरवा, पिछोडी, कुंडीया, धनोरा, चिपा खेड़ी, अवलदा, भिलखेड़ा, भवती, बिजासन, सहित आसपास के गांवों में हुई है. यहां बाढ़ में 4 से 5 गांव टापू बन गए हैं. रात में ही इन गांवों के लोगों को अपने घर और सामान को छोड़कर अन्य स्थानों पर शरण लेना पड़ी है.
डूब क्षेत्र के बाहर वाले गांवों में भरा पानी : कई गांव तो ऐसे हैं जो डूब क्षेत्र की सीमा से बाहर हैं. वहां भी बाढ़ का पानी घुसना सरकारी सर्वे की पोल खोल रहा है, जबकि इन गांवों को डूब से बाहर बताया गया है. दौरे पर गए कलेक्टर को भी प्रभावित लोगों ने अपनी समस्याओं से अवगत कराया तो कई जगहों पर सरकार के खिलाफ आक्रोश भी नजर आया. बड़वानी जिले की अंजड़ तहसील के छोटाबड़दा को प्रशासन ने खाली कराया है. प्रभावितों को पुनर्वास स्थल भेजा गया, जहां सुविधाएं नहीं मिलने से लोग परेशान हो रहे और पूरी रात सो नहीं पाए. बैक वाटर वाले गांव जलमग्न : बड़वानी के समीप ग्राम भवती के आक्रोशित डूब प्रभावितों ने मुख्यमंत्री के विरोध में प्रदर्शन किया. डूब प्रभावितों का कहना है कि सरदार सरोवर के 17 मीटर ऊंचे गेट बंद हैं. हम लगातार गेट खोलने की मांग कर रहे हैं. बांध के चलते नर्मदा के बैकवाटर से सभी गांव जलमग्न हैं. पुर्नवास स्थलों पर कोई सुविधाएं भी नहीं हैं. जिले के ग्राम भवती में अचानक आई बाढ़ से डूब से नाराज प्रभावितों ने सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. बता दें कि बड़वानी क्षेत्र में नर्मदा नदी में 138.68 मीटर पर डूब क्षेत्र बताया गया था, जबकि आज नर्मदा का जलस्तर 142 मीटर पार है जो खतरे के निशान से 18 मीटर ऊपर है.
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गांवों में बाढ़ का कहर : जो गांव सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर में कभी भी डूब क्षेत्र का हिस्सा नहीं बताए गए, वहां भी बाढ़ का कहर दिखाई दिया. इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र मंडलोई के साथ ही जयस प्रवक्ता संदीप नरगांवे ने डूब प्रभावितों की पीड़ा मीडिया के सामने पश की. इनका कहना है कि नर्मदा नदी के ऊपरी कछार में हुई भारी बारी बारिश का असर बड़वानी जिले में अब दिखाई देने लगा है. सरदार सरोवर बांध के चलते नर्मदा का बैकवाटर उन गांवों तक पहुंच गया, जिनको कभी डूब क्षेत्र का हिस्सा नहीं माना गया. लोग सहमे हुए हैं और बाढ़ के कारण घर छोड़ने को मजबूर हैं. कई गांवों में आक्रोश व्याप्त है.