बालाघाट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने चिन्नौर चावल (Chinnaur Rice) के संरक्षण को लेकर बालाघाट के किसानों को दी बधाई. जिसके बाद अब जिले के किसानों में नई ऊर्जा का संचार देखने मिला है. किसानों ने आने वाले समय में चिन्नौर चावल की खेती का रकबा बढ़ाने की बात कही है. दरअसल मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में होने वाली विशेष किस्म के चिन्नौर चावल को हाल ही में जीआई टैग (GI Tag) मिला है. कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नरेश बिसेन बताते है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने भी इस चावल की डिमांड की थी. उनके लिए बालाघाट से चावल भेजे गए थे.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान जीआई टैग के लिए धन्यवाद दिया था. अब सीएम ने प्रधानमंत्री मोदी को भेंट स्वरूप चिन्नौर चावल भेजे हैं. जिस पर पीएम ने कहा कि किसानों ने अत्यंत प्राचीन और उच्च गुणवत्तापूर्ण भारतीय किस्म के चावल को बचा के रखा है, आगे भी इसका संरक्षण करते रहें, किसान बहन भाइयों को बहुत-बहुत बधाई.
सीएम ने पीएम को बताई चिन्नौर चावल की विशेषता
मुख्यमंत्री चौहान ने ट्विटर के जरिए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान उन्हें बालाघाट में होने वाले विशेष किस्म के प्राचीन और सुगंधित चिन्नौर चावल की विशेषताओं के बारे में बताया था. जिस पर प्रधानमंत्री ने चिन्नौर चावल की किस्म की सराहना की थी. मुख्यमंत्री ने अगले ट्वीट में कहा कि 'प्रधानमंत्री मोदी को मैंने भेंट स्वरूप चिन्नौर चावल भेजे हैं. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि बालाघाट जिले का यह चावल जीआई टैग प्राप्त है और एक जिला एक उत्पाद के रूप में चयनित भी है.'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से प्रदेश के किसान बहन-भाइयों को मिले ऊर्जा और प्रेरणा से भरे वचन एवं केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयास से किसानों की आय को दोगुना करने और वोकल फॉर लोकल के साथ आत्मनिर्भरता के संकल्प को मजबूती प्रदान करेंगे..
देश के पहले राष्ट्रपति ने की थी इसकी डिमांड
बालाघाट के चिन्नोर को मिला जीआई टैग कृषि के क्षेत्र में पहला जीआई टेग है. वैसे तो यह मध्य प्रदेश का आठवां जीआई टैग है, लेकिन कृषि के क्षेत्र में पहला है. जिसका सौभाग्य बालाघाट को मिला है. राजा भोज कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नरेश बिसेन ने बताया कि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भी इस चावल की डिमांड की थी. राष्ट्रपति के लिए बालाघाट से ये चावल भेजे गए थे.
चिन्नौर चावल का बढाएंगे रकबा
राजा भोज कृषि महाविद्यालय वारासिवनी (Raja Bhoj Agricultural College Balaghat) के अधिष्ठाता डॉ. नरेश बिसेन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बालाघाट के किसानों को धन्यवाद दिया है. यह जिले के किसानों के लिए बड़े गर्व की बात है. जिले के किसानों के लिए चिन्नौर चावल बहुमूल्य धरा है, यह आज के ही लिए नहीं अपितु इनकी पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए है.
उन्होंने कहा कि किसान भाई चिन्नोर चावल के बारे में और अच्छे से जाने, अच्छे से खेती करें, अच्छा उत्पादन लें, जिन किसानों के पास चिन्नोर चावल की खेती के लिए उपयुक्त जमीन है, वह अधिक से अधिक चिन्नोर की खेती करें. जिससे जिले का उत्पादन ज्यादा से ज्यादा हो और ज्यादा से ज्यादा चिन्नोर का चावल बाहर जाए. ताकि हमारे जिले के किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके.
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पीएम श्री @narendramodi जी के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री श्री @nstomar जी और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री@PiyushGoyal जी के प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।
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इस #GITag से निश्चय ही किसानों की आय में बढोत्तरी के साथ प्रदेश की समृद्धि का भी पथ प्रशस्त होगा। #BalaghatChinnorपीएम श्री @narendramodi जी के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री श्री @nstomar जी और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री@PiyushGoyal जी के प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 30, 2021
इस #GITag से निश्चय ही किसानों की आय में बढोत्तरी के साथ प्रदेश की समृद्धि का भी पथ प्रशस्त होगा। #BalaghatChinnor
अच्छी खबर : बालाघाट के चावलों को मिला GI Tag, अब विलायत में बिकेंगे ये चावल
बेहतर उपज को लेकर जारी है शोध
राजा भोज कृषि महाविद्यालय में वर्तमान समय में चिन्नौर चावल की खेती की गई है, जो कि पूरी तरह जैविक खेती (Organic Farming) पर आधारित है. चर्चा के दौरान यहां के अधिष्ठाता बिसेन ने बताया कि यहां पर चिन्नौर चावल की खेती को बढ़ावा देने के लिए शोध किए जा रहे हैं, ताकि किसानों को इसका अधिक लाभ मिल सके. क्योंकि वर्तमान समय में 5 से 6 फीट तक चिन्नौर चावल की फसल की ऊंचाई होती है. साथ ही इसका तना भी पतला होता है, जिससे इस फसल के जमीन पर गिरने की ज्यादा सम्भावना बनी रहती है, इससे इसकी उत्पादन क्षमता भी प्रभावित होती है.
बिसेन ने बताया कि वर्तमान समय में इस पर शोध किया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में इसकी ऊंचाई कम की जा सके. साथ ही यह भी शोध किया जा रहा है कि कैसे इसका तना मोटा किया जा सके, ताकि इसकी फसल जल्दी जमीन पर ना गिर सके. वहीं उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि आने वाले समय मे निश्चित ही इस पर शोध कर लिया जाएगा और इसका लाभ किसानों को मिलेगा.