बालाघाट। जिले में नक्सलवाद अपना पैर पसारते दिखाई दे रहा है. वहीं, पुलिस भी इनकी कमर तोड़ने में पिछे नहीं हट रही है. 6 दल के लगभग सैकड़ा भर नक्सली जिले में सक्रिय हैं, लेकिन बालाघाट जिले के निवासी किसी की भी नक्सली दलम में शामिल नहीं होने की जानकारी भी सामने आई है. नक्सली-पुलिस में मुठभेड़ होती रहती है, जहां पुलिस को सफलता भी हाथ लगती है. जिसमें वर्ष 2019 से अब तक 10 नक्सलियों को मार गिराया गया है. वहीं 3 को गिरफ्तार किया गया है. इन 13 नक्सलियों पर कुल 2 करोड़ 53 लाख का इनाम घोषित था.
ज्यादातर नक्सली छत्तीसगढ़ के: बालाघाट पुलिस अधीक्षक समिर सौरभ ने बताया कि ''बालाघाट की सीमा छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र राज्य से लगे होने के कारण दूसरे राज्य में आंतक करने के बाद बालाघाट की सीमाओं में नक्सली घुसपेठ करते हैं. जिसमें मारे गये नक्सलियों में भी देखा गया है कि छत्तीसगढ़ के जिले सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली के पाये गये हैं. लेकिन उसमें भी अधिक संख्या छत्तीसगढ़ राज्य के ही होना पाया गया है.''
नक्सलियों की डॉक्टर थीं सुनीता और सरीता: पुलिस की मानें तो बालाघाट जिले में जब से नक्सलवाद की शुरूआत हुई थी तब दो से तीन नक्सली शामिल हुए थे, जिनकी उम्र अब 50 से 60 वर्ष की हो गई होगी. उसके बाद से अब तक जिले का निवासी कोई भी नक्सल दल में भर्ती नहीं हुआ है. मुठभेड़ में मारी गई महिला नक्सली सुनीता और सरिता दोनों के पास से दवाईयां, इजेक्शन सहित अन्य सामग्री पुलिस ने बरामद किया है. जिसके मालूम होता है कि यह नक्सलियों की डॉक्टर रहीं होंगी.
2014 में दलम में शामिल हुई थी सुनीता: महिला नक्सली सुनीता 2014 में विस्तार दलम में शामिल हुई थी. ठीक एक साल बाद सरिता ने 2015 में विस्तार दलम में शामिल होकर नक्सलवाद का दामन थामा. पुलिस से यह भी जानकारी मिली की सुनीता और सरिता छत्तीसगढ़ से पहली खेप में आए थे और नक्सलियों के विस्तार दलम में एक साथ जुड़े थे और साथ मिलकर काम किया और नक्सली गतिविधियों को अंजाम दिया. मुठभेड़ में मारे जाने के बाद मिली सामग्री में स्वास्थ्य उपचार की सामग्री पाई गई है, जिससे अंदाज लगाया जा रहा है कि यह अनुभव के आधार पर घायल नक्सलियों को उपचार करती थीं. महिला नक्सली सरिता उर्फ बिज्जे भी सुकमा जिले की ही रहने वाली थी और वह भी उपचार करती थी.
6 नक्सली दलम सक्रिय: एसपी समीर सौरभ ने बताया कि ''बालाघाट-मंडला-डिडौरी जोन में 6 नक्सली दलम सक्रिय है. जिसमें जीआरबी डिविजन के अंतर्गत तीन दल और केबी डिविजन के अंतर्गत तीन दलम आते हैं. मलाजखंड दल, टांडा दल, दर्रेकसा दल, खटिया मोचा दल प्लाटून 02 और खटिया मोचा दल प्लाटून 03 शामिल हैं. इन प्रत्येक दल में करीब 7-8 नक्सली शामिल होते हैं. जिसमें लगभग 80 से 100 नक्सली वर्तमान समय में सक्रिय हैं.''
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इन नक्सलियों को मार गिराया: बालाघाट पुलिस, हॉक फोर्स व सीआरपीएफ के द्वारा वर्ष 2019 में दो नक्सली अशोक उर्फ मंगेश व महिला नंदे को देवरबेली के पुजारीटोला में मार गिराया था. उन पर 28 लाख रूपये का इनाम था. वर्ष 2020 में 42 लाख के 3 इनामी नक्सलियों में से शोभा और सावित्री को किरनापुर के बोरबन में मार गिराया. वहीं, एक को गिरफ्तार किया था. वर्ष 2021 में 28 लाख के इनामी दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. वर्ष 2022 में तीन मुठभेड़ में 6 नक्सलियों को मार गिराया था. जिसमें पहली मुठभेड़ 20 जून लोढांगी चौकी के कादला में नागेश उर्फ राजू तुवाली, मनोज और महिला रामे को मार गिराया. दूसरी मुठभेड़ 30 नवंबर को सुपखार के जामसेहरा में हुई, जिसमें दो नक्सली राजे उर्फ नंदना वंजाम और गणेश मेरावी मारे गये थे. 18 दिसंबर को तीसरी मुठभेड़ हर्राटोला में हुई, जिसमें रूपेश को मार गिराया. वर्ष 2023 में 28 लाख के दो इनामी नक्सलियों सरिता व सुनीता को कदला के जंगल में मार गिराया था. इस प्रकार से वर्ष 2019 से अब तक 13 नक्सलियों में से 10 को मार गिराया है, जिन पर 2.16 लाख का इनाम था. वहींं, 3 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया जिन पर भी 42 लाख का इनाम था.
नक्सलियों को पुलिस का जवाब: पुलिस अधिक्षक समीर सौरभ ने कहा कि ''मुठभेड़ में मारी गई दोनों महिलाए नक्सलियों की डॉक्टर थीं. नक्सली क्षेत्र में हॉक फोर्स, सीआरपीएफ और पुलिस बल लगभग 250 से 300 हैं, जो पूरे क्षेत्र में सक्रिय जवाब दे रहा है और सफलता भी मिल रहीं हैं. बस्तर से संघन जंगल होने के कारण वह मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में प्रवेश कर पकड़ बनाते हैं. नक्सलियों का उद्देश्य क्या है यह तो पता नहीं, लेकिन अंजाम मौत है. बावजूद इसके नक्सली इस तरह के वारदातों को अंजाम दे रहें हैं, यह समझ से परे है.''