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फीका रहेगा इस बार मेला: रंग पंचमी पर कोरोना का ग्रहण

कोरोना वायरस के कारण इस साल करीला धाम में लगने वाले मेले का स्वरूप छोटा होगा. करेली मेले में अधिक दुकानें नहीं लगेगी. मेले की पहचान राही नृत्य को भी इस बार प्रतिबंधित किया गया है.

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डीएम कार्यालय में बैठक
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Published : Mar 20, 2021, 12:15 PM IST

अशोकनगर। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण जिला प्रशासन ने इस साल रंग पंचमी पर करीला धाम में लगने वाले मेले का स्वरूप छोटा करने का निर्णय लिया है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वह मेले में कम से कम संख्या में जाए. प्रत्येक वर्ष रंग पंचमी के मौके पर करीला धाम स्थित मां जानकी के मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. हर वर्ष 10-15 लाख श्रद्धालु मां जानकी के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना के बढ़ते प्रकोप प्रशासन ने यह निर्णय लिया है.

  • भीड़ ज्यादा हुई तो होगी दिक्कत: डीएम

जिलाधिकारी अभय वर्मा ने मेले के स्वरुप को कम करने के मद्देनजर समस्त अधिकारियों के साथ-साथ जनता से भी राय ली है, जिसके बाद निर्णय लिया गया है कि करेली मेले में अधिक दुकानें नहीं लगेगी, मेला परिसर में केवल पूजा की सामग्री एवं खाने-पीने की वस्तुओं की दुकानें ही लगाई जा सकेगी. वहीं, दूसरी ओर करीला मेले की पहचान रहे राही नृत्य को भी इस बार प्रतिबंधित किया गया है. मेले के आयोजन को लेकर जिलाधिकारी श्री वर्मा ने कहा कि नियमों का सख्ती से पालन करने से अशोकनगर को कोरोना से बचाया जा सकता है, यदि मेले में 20-25 लाख श्रद्धालु पहुंचे तो यह जिले के लोगों के लिए समस्या का कारण बन सकता है.

मेले में महिलाओं के साथ चेन स्नैचिंग की वारदात

  • करीला धाम में है मां जानकी का मंदिर

बता दें कि करीला धाम में मां जानकी का मंदिर है. मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं द्वारा अपनी मन्नतें पूरी होने पर राई नृत्य कराया जाता है. वहीं, शास्त्रों के अनुसार, यहां भगवान श्री राम माता सीता को छोड़ कर गए थे और माता सीता ने यहीं लव-कुश को जन्म दिया था, तब से ही इस धाम पर लोगों की आस्था बनी हुई है. इस धाम में दर्शन करने के लिए मध्य प्रदेश के अलावा भी कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

अशोकनगर। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण जिला प्रशासन ने इस साल रंग पंचमी पर करीला धाम में लगने वाले मेले का स्वरूप छोटा करने का निर्णय लिया है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वह मेले में कम से कम संख्या में जाए. प्रत्येक वर्ष रंग पंचमी के मौके पर करीला धाम स्थित मां जानकी के मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. हर वर्ष 10-15 लाख श्रद्धालु मां जानकी के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना के बढ़ते प्रकोप प्रशासन ने यह निर्णय लिया है.

  • भीड़ ज्यादा हुई तो होगी दिक्कत: डीएम

जिलाधिकारी अभय वर्मा ने मेले के स्वरुप को कम करने के मद्देनजर समस्त अधिकारियों के साथ-साथ जनता से भी राय ली है, जिसके बाद निर्णय लिया गया है कि करेली मेले में अधिक दुकानें नहीं लगेगी, मेला परिसर में केवल पूजा की सामग्री एवं खाने-पीने की वस्तुओं की दुकानें ही लगाई जा सकेगी. वहीं, दूसरी ओर करीला मेले की पहचान रहे राही नृत्य को भी इस बार प्रतिबंधित किया गया है. मेले के आयोजन को लेकर जिलाधिकारी श्री वर्मा ने कहा कि नियमों का सख्ती से पालन करने से अशोकनगर को कोरोना से बचाया जा सकता है, यदि मेले में 20-25 लाख श्रद्धालु पहुंचे तो यह जिले के लोगों के लिए समस्या का कारण बन सकता है.

मेले में महिलाओं के साथ चेन स्नैचिंग की वारदात

  • करीला धाम में है मां जानकी का मंदिर

बता दें कि करीला धाम में मां जानकी का मंदिर है. मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं द्वारा अपनी मन्नतें पूरी होने पर राई नृत्य कराया जाता है. वहीं, शास्त्रों के अनुसार, यहां भगवान श्री राम माता सीता को छोड़ कर गए थे और माता सीता ने यहीं लव-कुश को जन्म दिया था, तब से ही इस धाम पर लोगों की आस्था बनी हुई है. इस धाम में दर्शन करने के लिए मध्य प्रदेश के अलावा भी कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

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