अशोकनगर। बाबूपुर ग्राम पंचायत में सरपंच-सचिव पर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसकी शिकायत ग्रामीणों ने आला अधिकारियों से की थी. ग्रामीणों की शिकायत के एक महीने बाद जनपद पंचायत एई और पंचायत इंस्पेक्टर गांव के सरपंच के वाहन से गांव पहुंचे. जिस पर ग्रामीणों ने आपत्ति जताई और जांच की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े किए हैं.
ग्रामीणों ने अपनी शिकायत में बताया था कि बाबूपुर पंचायत के ग्राम बिजौरी में दो साल पहले 7 लाख 80 हजार रुपए का आंगनबाड़ी भवन स्वीकृत हुआ था. इसकी राशि ग्राम पंचायत के खाते में ट्रांसफर कर दी गई, जिम्मेदारों ने पैसा निकाल भी लिया, लेकिन आज तक आंगनबाड़ी भवन नहीं बना.
अधिकारियों ने शिकायत के अनुसार गांव की पुलिया, सीसी खरंजा, कुआं, आवास, डैम, शौचालय और आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करते हुए रिपोर्ट भी तैयार की है. दो साल में आंगनबाड़ी केन्द्र बनने के सवाल पर गांव के सरपंच ने कहा कि भवन बनाने अब तक स्थान नहीं मिला है, इसलिए उन्होंने दो लाख रुपए निर्माण सामग्री के लिए राशि निकाल ली है, जिसे वह जमा भी करवा देंगे.
7 लाख की पुलिया से साइकिल तक नहीं निकल पा रही.
गांव में बिजौरी से गर्रोली के रास्ते में 7 लाख रुपए की लागत से पुलिया का निर्माण किया गया, लेकिन आज तक वहां से साइकिल नहीं निकल पा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि दो साल पहले पहली बरसात में ही पुलिया बह गई. इस बार बारिश में आवागमन तक पुलिया पर बंद रहा. इस मामले में सरपंच का कहना है कि मामले की शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंचकर अधिकारियों ने देखा है.
सड़क निर्माण में भी भ्रष्टाचार के आरोप
गांव के शिकायत कर्ता राजभान सिंह यादव, लाखन सिंह यादव, बलराम यादव, हरिओम यादव, भोला यादव, श्रीनंदन यादव आदि ने बताया कि गांव में पांच कुएं स्वीकृत हुए, वहीं स्कूल भवन के पास स्वीकृत हुए हैंडपंप की राशि भी निकाल ली गई. वहीं सीसी खरंजा भी स्कूल तक स्वीकृत हुआ था, लेकिन पूरा खरंजा नहीं डाला गया. इस खरंजा की मोटाई नियमानुसार 9 इंच होना चाहिए, जो जांच के दौरान 2.5 इंच ही निकली.
अधिकारियों का बयान
मौके पर सरपंच की जीप में बैठकर पहुंचे जनपद के एई चंदन सिंह रघुवंशी से जब मीडिया ने पूछा कि जिसके खिलाफ शिकायत है आप उसके वाहन में बैठकर आए हैं, इससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होंगे. इस सवाल पर रघुवंशी ने कहा कि वे हमारे जनप्रतिनिधि हैं. हमारे पास छोटी गाड़ी है, जो यहां नहीं निकल पाती, इसलिए सरपंच के वाहन में बैठकर आए हैं.