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Eco Friendly Ganesh: देसी गाय के गोबर से महिलाओं ने बनाई मूर्तियां, पर्यावरण का करेगी बचाव

अनूपपुर में स्व सहायता समूह की महिलाओं (Self Help Group Women) ने देसी गाय के गोबर से भगवान गणेश की प्रतिमाएं (Making Ganesh Idols from Desi Cow Dung) बनाई है. महिलाओं का कहना है कि इन प्रतिमाओं को मट्टी की मूर्ति के विकल्प में तैयार किया गया है. इससे पर्यावरण सुरक्षित होगा. लोग इन प्रतिमाओं को खरिदने में रुचि भी दिखा रहे है.

ganesh idols made from cow dung
गोबर से बनाई गणेश प्रतिमाएं
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Published : Sep 9, 2021, 7:51 PM IST

अनूपपुर। मिट्टी की मूर्ति (Clay Sculpture) बनाने वाले कलाकार अब देसी गाय के गोबर से गणेश प्रतिमाएं (Making Ganesh Idols from Desi Cow Dung) बना रहे है. जिले के जैतहरी विकासखंड के ग्राम अंजनी में संचालित गंगा आजीविका स्व सहायता समूह (Ganga Aajeevika Self Help Group) की महिलाओं द्वारा गोबर और अनाजों का प्रयोग कर गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है. इन इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं (Eco Friendly Ganesh Idol) की मांग भी बनी हुई है. लोग इन प्रतिमाओं को खरिदने के लिए आ रहे है. स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि इन प्रतिमाओं से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा.

ganesh idols made from cow dung
गोबर से बनाई गणेश प्रतिमाएं

पांच महिलाओं ने गोबर से बनाई गणेश प्रतिमा

जैतहरी क्षेत्र के ग्राम अंजनी में गंगा अजीविका स्व सहायता समूह की पांच महिलाओं ने गोबर से गणेश प्रतिमा बनाने का प्रयोग किया है. इन्होंने मिट्टी के विकल्प के रूप में गोबर को चुना है. मूर्ति से पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे इस उद्देश्य को लेकर समूह ने यह नवाचार किया है. महिलाओं ने मूर्ति बनाने के लिए नागपुर के गायत्री परिवार की मदद ली और वहां से प्रशिक्षण लेकर मूर्ति बनाने का कार्य जून माह से शुरू किया.

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60 से ज्यादा बनाई गणेश प्रतिमा

स्व सहायता समूह ने लगभग 60 से अधिक छोटी-बड़ी मूर्तियां तैयार की गई हैं, जो आठ इंच से एक फीट की ऊंचाई की हैं. अंजनी गोशाला केंद्र के भारत राठौर ने ईटीवी भारत को बताया कि समूह की महिलाएं लगातार कुछ नया करने का प्रयास करती है. इसके पूर्व इन महिलाओं ने गोबर की राखियां बनाई थी. अब गणेश पूजा के लिए इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया. समूह की महिलाओं का यह पहला प्रयास है, जिसे अब आगे और विस्तार दिया जाएगा.

Women making idols of Lord Ganesha
भगवान गणेश की मूर्तियां बनाती महिलाएं

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महिलाओं ने ऐसे बनाईं मूर्तियां

गोबर से बनी मूर्तियों में मुख्य रूप से देसी गाय के गोबर के साथ ही मुल्तानी मिट्टी और अनाजों का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें मेथी पाउडर और चावल का माड (पानी) मूर्ति को मजबूती देने के लिए किया गया. गंगा अजीविका स्व सहायता समूह की महिलाओं ने डिजाइनर दीए और धूपबत्ती भी बनाई है. लोग इन मुर्तियों को खरीद भी रहे है.

गंगा सहायता समूह ग्राम अंजनी की सदस्य इंद्रवती राठौर, रामकली सिंह, सालनी राठौर, मीराबाई और जीवनवती ने कहा कि हमने मिलकर यह पहली कोशिश की है. अधिक लाभ मिले ऐसा नहीं सोचा है, कुछ नया करने का विचार आया. हमें इस बात की भी प्रसन्नता है कि हम जो कर रहे हैं उससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा.

अनूपपुर। मिट्टी की मूर्ति (Clay Sculpture) बनाने वाले कलाकार अब देसी गाय के गोबर से गणेश प्रतिमाएं (Making Ganesh Idols from Desi Cow Dung) बना रहे है. जिले के जैतहरी विकासखंड के ग्राम अंजनी में संचालित गंगा आजीविका स्व सहायता समूह (Ganga Aajeevika Self Help Group) की महिलाओं द्वारा गोबर और अनाजों का प्रयोग कर गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है. इन इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं (Eco Friendly Ganesh Idol) की मांग भी बनी हुई है. लोग इन प्रतिमाओं को खरिदने के लिए आ रहे है. स्व सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि इन प्रतिमाओं से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा.

ganesh idols made from cow dung
गोबर से बनाई गणेश प्रतिमाएं

पांच महिलाओं ने गोबर से बनाई गणेश प्रतिमा

जैतहरी क्षेत्र के ग्राम अंजनी में गंगा अजीविका स्व सहायता समूह की पांच महिलाओं ने गोबर से गणेश प्रतिमा बनाने का प्रयोग किया है. इन्होंने मिट्टी के विकल्प के रूप में गोबर को चुना है. मूर्ति से पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे इस उद्देश्य को लेकर समूह ने यह नवाचार किया है. महिलाओं ने मूर्ति बनाने के लिए नागपुर के गायत्री परिवार की मदद ली और वहां से प्रशिक्षण लेकर मूर्ति बनाने का कार्य जून माह से शुरू किया.

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60 से ज्यादा बनाई गणेश प्रतिमा

स्व सहायता समूह ने लगभग 60 से अधिक छोटी-बड़ी मूर्तियां तैयार की गई हैं, जो आठ इंच से एक फीट की ऊंचाई की हैं. अंजनी गोशाला केंद्र के भारत राठौर ने ईटीवी भारत को बताया कि समूह की महिलाएं लगातार कुछ नया करने का प्रयास करती है. इसके पूर्व इन महिलाओं ने गोबर की राखियां बनाई थी. अब गणेश पूजा के लिए इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया. समूह की महिलाओं का यह पहला प्रयास है, जिसे अब आगे और विस्तार दिया जाएगा.

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भगवान गणेश की मूर्तियां बनाती महिलाएं

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महिलाओं ने ऐसे बनाईं मूर्तियां

गोबर से बनी मूर्तियों में मुख्य रूप से देसी गाय के गोबर के साथ ही मुल्तानी मिट्टी और अनाजों का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें मेथी पाउडर और चावल का माड (पानी) मूर्ति को मजबूती देने के लिए किया गया. गंगा अजीविका स्व सहायता समूह की महिलाओं ने डिजाइनर दीए और धूपबत्ती भी बनाई है. लोग इन मुर्तियों को खरीद भी रहे है.

गंगा सहायता समूह ग्राम अंजनी की सदस्य इंद्रवती राठौर, रामकली सिंह, सालनी राठौर, मीराबाई और जीवनवती ने कहा कि हमने मिलकर यह पहली कोशिश की है. अधिक लाभ मिले ऐसा नहीं सोचा है, कुछ नया करने का विचार आया. हमें इस बात की भी प्रसन्नता है कि हम जो कर रहे हैं उससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा.

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