अनुपपुर। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर घुटरीटोला पर उमरिया जिले के भरेवां थाना निवासी केशव प्रसाद मिश्रा के परिवार को ई-पास जनरेट होने के बाद भी अपने वाहन के जरिए अस्पताल नहीं जाने दिया गया. जानकारी के मुताबिक वे उमरिया से बिलासपुर अपोलो हॉस्पिटल के लिए जा रहे थे, इस दौरान उन्हें घुटरीटोला बॉर्डर पर रोका गया. वहां अधिकारियों ने उनसे तरह-तरह के सवाल भी किए. इस दौरान जब राकेश मिश्रा और नीलेश मिश्रा ने शासन द्वारा जारी ई-पास बॉर्डर पर तैनात जवानों को दिखाया तो जवानों ने यह बोला कि हमें ई-पास देखना नहीं आता, आप इसकी प्रिंट निकाल कर लाएं. इसके अलावा कई तरह के सवाल भी किए. बता दें अधिकारियों ने द्वारा इस परिवार को जाने की अनुमति नहीं देने पर पीड़ित ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
विवेक तंखा ने किया था ट्वीट
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा विधानसभा क्षेत्र से छत्तीसगढ़ का जिला कोरिया क्षेत्र लगा हुआ है. जहां बॉर्डर पर लॉकडाउन के दौरान आने-जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें, छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मध्य प्रदेश सरकार ने जो पास जारी किए हैं, वो नहीं लिया जा रहे हैं, जिसको लेकर विवेक तंखा ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर इस विडंबना पर छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार पर सवाल खड़े किए थे.
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म.प्र से पास मिलने के बाद छ.ग. मे प्रवेश लोगों को नहीं दिया जा रहा है कोतमा ज़िला अनुप्पुर के पास मनेंद्रगढ़ बाडर पर Eपास होने के बाद भी छ.ग शासन अपने नागरिकों को नहीं ले रहा है @bhupeshbaghel @TS_SinghDeo @PIBRaipur @ChhattisgarhCMO
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— Vivek Tankha (@VTankha) May 11, 2020
हॉस्पिटल जाने के लिए हाथ जोड़कर मृतक ने किया था निवेदन
जानकारी के मुताबिक केशव प्रसाद मिश्रा ने वाहन से उतर कर हाथ जोड़ते हुए बॉर्डर पर तैनात जवानों से हॉस्पिटल जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन बॉर्डर पर तैनात जवानों ने बुजुर्ग की बातों को नजर अंदाज करते हुए नहीं जाने दिया. वहीं उनके बेटे राकेश मिश्रा ने बताया कि हम उमरिया से ई-पास लेकर बिलासपुर इलाज के लिए जा रहे थे लेकिन उन्हें बॉर्डर पर लगभग एक से डेढ़ घंटे तक रोका गया और उपचार न मिलने के कारण पिता की बॉर्डर पर ही मौत हो गई.
जानें मामला- अधिकारियों ने नहीं दी अस्पताल जाने की अनुमति, रास्ते में हुई बुजुर्ग की मौत
बता दें, मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ इलाज कराने जा रहे मरीजों के आवागमन को भी छत्तीसगढ़ में रोक दिया गया हैं. यहां तक कि छत्तीसगढ़ प्रशासन के कर्मचारी जो बॉर्डर पर तैनात है उनके द्वारा आवागमन कर रहे लोगों से अभद्रता भी की जाती है. जानकारी के मुताबिक इंदौर से सूरजपुर जा रहे छात्रों के पास ई-पास होने के बावजूद भी बॉडर से जाने नहीं दिया गया था जिस वजह से उन सभी छात्रों ने वहीं पास में स्थित हनुमान मंदिर में रात में आराम किया था.
आखिरकार मौत का जिम्मेदार कौन
इलाज कराने के लिए बिलासपुर जा रहे इस पीड़ित की मौत का जिम्मेदार कौन है. छत्तीसगढ़ बॉर्डर घुटरीटोला में बैठे बॉर्डर प्रभारी राकेश शर्मा और कमांडेंट को ई-पास दिखाने के बावजूद परिवार को नहीं जाने दिया गया. अब इस मौत का जिम्मेदार कौन है.
बॉर्डर प्रभारी राकेश शर्मा ने पीड़ित परिजनों के साथ की थी अभद्रता
पीड़ित परिवार के सदस्य निलेश मिश्रा और राकेश कुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ घुटरीटोला बॉर्डर प्रभारी राकेश शर्मा और कमांडेंट के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि जब ई-पास की जानकारी बॉडर पर तैनाथ जवानों को नहीं है तो फिर उन्हें बॉर्डर पर क्यों बैठा दिया गया है. ई-पास को दिखाने के बावजूद सेंट्रल हॉस्पिटल नहीं जाने दिया गया, जिस वजह से मेरे पिता की मौत हो गई है. आरोपियों के खिलाफा कार्रवाई हो और उन्हें सजा दी जाए.
SDM ने किया प्रभारी एवं कमांडेंट का बचाव
मनेंद्रगढ़, छत्तीसगढ़ SDM आरपी चौहान ने बॉर्डर पर तैनात प्रभारी और कमांडेंट का बचाव करते हुए जानकारी दी कि पीड़ित परिवार के आने के बाद लगभग पांच या सात मिनट बाद ही पीड़ित की मृत्यु होने गई थी. वहीं ये जानकारी अभी भी संदेह के घेरे में हैं.
ई-पास की पूरी प्रक्रिया के बाद बिलासपुर के लिए निकले थे पीड़ित
जबकि परिजनों का आरोप है कि ई-पास की पूरी प्रक्रिया करने के बाद ही वे पीड़ित को लेकर बिलासपुर के लिए निकले थे और बॉर्डर प्रभारी द्वारा ऐसी प्रक्रिया की जा रही थी कि दो घंटे लग गए और पीड़ित की जान चली गई.