आगर मालवा। एक तरफ जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते अस्पतालों में बेड की कमी देखने को मिल रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर आगर मालवा से हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं. निजी चिकित्सकों या झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा खेतों में मरीजों का इलाज किया जा रहा हैं. पेड़ की टहनियों पर सलाइन की बोटल लटकाकर उपचार किया जा रहा हैं.
तस्वीरें बयां करती हैं कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरह चरमरा गई हैं. हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि ग्रामीण अंचल में निजी चिकित्सक या झोलाछाप डॉक्टर खेतों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. पेड़ पर सलाइन की बोटल लटका कर मरीजों को चढ़ाई जा रही हैं.
संतरे के बगीचे में किया जा रहा उपचार
यह चौंकाने देने वाली तस्वीरें धानियाखेडी गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर की हैं, जहां पर मुख्य सड़क से 200 मीटर की दूरी पर स्थित संतरे के एक बगीचे में दरी के ऊपर ही मरीजों को लिटाया जा रहा हैं. पेड़ पर सलाइन की बोटल लटका कर मरीजों का उपचार किया जा रहा हैं. इसी जगह पर आसपास के करीब 10 गांवाें के मरीज बड़ी संख्या में अपना इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं.
यहां इलाज करा रहे मरीजों को न तो काेरोना का खाैफ है और न ही उनके लिए दो गज की दूरी और मास्क जरूरी है. दरअसल, ग्रामीणों को अस्पताल जाने पर कोरोना वार्ड में भर्ती होने का भय सता रहा हैं. इसलिए वो निजी चिकित्सकों या झोलाछाप डॉक्टरों से अपना इलाज करवा रहे हैं.
बीएमओ डॉ. मनीष कुरील ने क्या कहा ?
बीएमओ डॉ. मनीष कुरील का कहना है कि निजी चिकित्सकों या फिर झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किया जा रहा था, जिन पर शासन के निर्देश अनुसार कार्रवाई की गई हैं. वहीं उन्होंने लोगों से अपील की कि खांसी, जुकाम जैसे लक्षण होने पर डॉक्टरों को दिखाए.
खेत में एक साथ कई मरीजों के इलाज की खबर लगते ही प्रशासनिक अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची. सीएमएचओ, एसडीएम और एसडीओपी सहित करीब 15 से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों ने स्थिति का जायजा लेते हुए मौका पंचनामा बनाया.
अधिकारियों के पंहुचने के पहले ही फरार हुआ झोलाछाप
पहले से खबर लग जाने पर निजी चिकित्सक और झोलाछाप डॉक्टर मौके से फरार हो गए. जांच टीम को खेत में बड़ी मात्रा में खाली इंजेक्शन और बोतलें मिली. मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन द्वारा लगातार जांच की जा रही हैं. वहीं सीएमएचओ ने फर्जी चिकित्सक पर एफआईआर दर्ज कराने की बात कही हैं.
प्रशासन को नहीं पता, कौन कर रहा था उपचार ?
इस पूरे मामले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई हैं. खेत में काफी दिनों से इसी तरह उपचार चल रहा था, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इसकी भनक तक नहीं हैं. साथ ही प्रशासन को यह भी नहीं पता है कि मौके पर उपचार करने वाले कथित निजी चिकित्सक कौन थे.