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लॉकडाउन के चलते यात्री बसें पूरी तरह से बंद, 100 लोग हुए बेरोजगार

आगर मालवा जिले के सुसनेर में 30 से 40 बसें लॉकडाउन के चलते पूरी तरह बंद हो गईं हैं, साथ ही इनमें काम करने वाले कई लोग बेरोजगार हो गए हैं.

Passenger buses
यात्री बसें
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Published : Apr 30, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Apr 30, 2020, 4:12 PM IST

आगर मालवा। लॉकडाउन में लोगों की जिंदगी ही थम गई है. सबसे ज्यादा फर्क उन लोगों को पड़ रहा है, जिनका परिवार सड़क पर चलते वाहनों के चक्कों की गति से चलता था. जिले के सुसनेर में नवीन बस स्टैंड से संचालित होने वाली करीब 30 से 40 बसें लॉकडाउन के चलते पिछले एक महीने से भी अधिक समय से बंद हैं. ऐसे में इन बसों पर काम करने वाले 100 से भी अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं, अब इन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

यात्री बसेंयात्री बसें

वर्तमान दौर में केवल 2 से 5 प्रतिशत वाहन ही चल रहे हैं, जिसमें केवल दवा, सब्जी व आवश्यक वस्तुओं के परिवहन से जुडे़ वाहन चल रहे हैं. यात्री वाहनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, यात्री बसों में काम करने वालों के सामने, उनके परिवारों के भरण पोषण की समस्या आ गई है. उनकी जिंदगी का सफर लॉकडाउन के चलते रूका हुआ है.

एक सदी में ट्रांसपोर्ट और परिवहन व्यवसाय और बस संचालकों के लिए इससे खराब दौर कभी नहीं आया होगा. इससे लाखों से करोडों रूपयों का नुकसान परिवहन व्यवसाय करने वालों को हुआ है. एक ओर जहां बस मालिकों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं उनके यहां काम करने वालों के हालत भूखे मरने जैसे हो गए हैं, लेकिन फिर भी सरकार ने अभी तक इनकी सुध नहीं ली है.

आगर मालवा। लॉकडाउन में लोगों की जिंदगी ही थम गई है. सबसे ज्यादा फर्क उन लोगों को पड़ रहा है, जिनका परिवार सड़क पर चलते वाहनों के चक्कों की गति से चलता था. जिले के सुसनेर में नवीन बस स्टैंड से संचालित होने वाली करीब 30 से 40 बसें लॉकडाउन के चलते पिछले एक महीने से भी अधिक समय से बंद हैं. ऐसे में इन बसों पर काम करने वाले 100 से भी अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं, अब इन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

यात्री बसेंयात्री बसें

वर्तमान दौर में केवल 2 से 5 प्रतिशत वाहन ही चल रहे हैं, जिसमें केवल दवा, सब्जी व आवश्यक वस्तुओं के परिवहन से जुडे़ वाहन चल रहे हैं. यात्री वाहनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, यात्री बसों में काम करने वालों के सामने, उनके परिवारों के भरण पोषण की समस्या आ गई है. उनकी जिंदगी का सफर लॉकडाउन के चलते रूका हुआ है.

एक सदी में ट्रांसपोर्ट और परिवहन व्यवसाय और बस संचालकों के लिए इससे खराब दौर कभी नहीं आया होगा. इससे लाखों से करोडों रूपयों का नुकसान परिवहन व्यवसाय करने वालों को हुआ है. एक ओर जहां बस मालिकों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं उनके यहां काम करने वालों के हालत भूखे मरने जैसे हो गए हैं, लेकिन फिर भी सरकार ने अभी तक इनकी सुध नहीं ली है.

Last Updated : Apr 30, 2020, 4:12 PM IST
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