आगर-मालवा। जिले में भक्तों की आस्था का एक ऐसा मंदिर जहां मां के दर्शन मात्र से ही कष्टों का निवारण हो जाता है. यहां भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है. बात कर रहे है आगर मालवा के नलखेड़ा में स्थित मां बगलामुखी मंदिर की. ऐसा कहा जाता है कि यहां माता दिन में तीन बार रूप बदलती हैं.
कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी. मां बगलामुखी की पावन मूर्ति विश्व में केवल तीन स्थानों पर ही विराजित है, एक नेपाल में दूसरी मध्य प्रदेश के दतिया में और तीसरी नलखेड़ा में. ऐसा कहा जाता है कि नेपाल और दतिया में श्री श्री 1008 आदी शंकराचार्य जी ने मां की प्रतिमा स्थापित की थी. लेकिन नलखेडा में इस स्थान पर मां बगलामुखी पीताम्बर रूप में शाश्वत काल से विराजित हैं, जिसके चलते यह मंदिर विश्व शक्ति पीठ के रूप में भी प्रसिद्द है.
भक्ति और उपासना की अनोखी डोर
यहां प्रातःकाल में सूर्योदय से पहले ही सिंह मुखी द्वार से प्रवेश के साथ ही भक्तों का मां के दरबार में हाजरी लगाना और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अर्जी लगाने का यह सिलसिला अनादी काल से चला आ रहा है. वही भक्ति और उपासना की अनोखी डोर भक्तो को मां के आशीर्वाद से बांधे हुए खास द्रश्य को निर्मित करती है.
चमत्कारी मूर्ति की स्थापना
मां बगलामुखी की इस विचित्र और चमत्कारी मूर्ति की स्थापना का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता है, यह मूर्ति स्वयं सिद्ध स्थापित है, काल गणना के हिसाब से यह स्थान करीब पांच हजार साल से भी पहले से स्थापित है. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडव जब विपत्ति में थे तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मां बगलामुखी के इस स्थान की उपासना करने के लिए कहा था. तब मां की मूर्ति एक चबूतरे पर विराजित थी. तब पांडवो ने इस त्रिगुण शक्ति स्वरूपा की आराधना कर विपात्तियों से मुक्ति पायी और अपना खोया हुआ राज्य वापस पा लिया.
तंत्र क्रियाएं
बता दें कि मंदिर के उत्तर दिशा में भेरव महाराज का स्थान है और साथ ही पूर्व में हनुमान जी की प्रतिमा है. मंदिर के चारों दिशाओं में शमशान की मौजूदगी तंत्र क्रियाओं का आभास कराती है. मंदिर में कई बार यहां पर आसपास तांत्रिक तंत्र क्रियाएं करते हुए देख सकते है.