आगर मालवा। थैलेसीमिया से पीड़ित महिला खुद की तकलीफ नजरअंदाज कर बेहद संजीदगी से रतलाम की वर्षा पवार थैलेसीमिया मुक्त अभियान चला रही हैं. आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित मरीज स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और संक्रमण की वजह से लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाता है.
रतलाम की वर्षा पवार (34 साल) को 11 वर्ष की उम्र में ही इस बीमारी के होने का पता चल गया था. जिसके बाद से वर्षा को हर माह शरीर में खून चढ़वाना पड़ता है. इस बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद वह इस रोग से पीड़ित लोगों की मदद करती हैं और उन्हें सामान्य जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करती हैं. वर्षा का कहना है कि ये बीमारी जेनेटिक डिसऑर्डर से होती है, जिसमें अनजाने में थैलेसीमिया से पीड़ित माता-पिता इस बीमारी को अपनी संतान में ट्रांसफर कर देते हैं.
इस बीमारी से लोगों को जागरूक करने के लिए वर्षा स्कूल-कॉलेज और परिचय सम्मेलन में जाकर थैलेसीमिया की जानकारी देती हैं और विवाह से पूर्व जांच कराने की सलाह भी देती हैं. इस बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद वर्षा समाज और महिलाओं के लिए आदर्श स्थापित कर रही हैं. वर्षा का एक मात्र लक्ष्य है कि समाज में जागरूकता फैलाकर इस बीमारी को जड़ से मिटाना है, जिसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही हैं.