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थैलेसीमिया से पीड़ित होकर भी लोगों की मदद कर रही वर्षा पवार, महिलाओं के लिए बनी मिसाल

थैलेसीमिया से पीड़ित महिला खुद की तकलीफ नजरअंदाज कर बेहद संजीदगी से रतलाम की वर्षा पवार थैलेसीमिया मुक्त अभियान चला रही हैं. आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित मरीज स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और संक्रमण की वजह से लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाता है.

थैलेसीमिया से पीड़ित होकर भी लोगों की मदद कर रही वर्षा पवार, महिलाओं के लिए बनी मिसाल
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Published : Mar 8, 2019, 12:34 AM IST

आगर मालवा। थैलेसीमिया से पीड़ित महिला खुद की तकलीफ नजरअंदाज कर बेहद संजीदगी से रतलाम की वर्षा पवार थैलेसीमिया मुक्त अभियान चला रही हैं. आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित मरीज स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और संक्रमण की वजह से लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाता है.

despite-the-suffering-of-the-disease-the-help-the-people
थैलेसीमिया से पीड़ित होकर भी लोगों की मदद कर रही वर्षा पवार, महिलाओं के लिए बनी मिसाल

रतलाम की वर्षा पवार (34 साल) को 11 वर्ष की उम्र में ही इस बीमारी के होने का पता चल गया था. जिसके बाद से वर्षा को हर माह शरीर में खून चढ़वाना पड़ता है. इस बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद वह इस रोग से पीड़ित लोगों की मदद करती हैं और उन्हें सामान्य जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करती हैं. वर्षा का कहना है कि ये बीमारी जेनेटिक डिसऑर्डर से होती है, जिसमें अनजाने में थैलेसीमिया से पीड़ित माता-पिता इस बीमारी को अपनी संतान में ट्रांसफर कर देते हैं.

थैलेसीमिया से पीड़ित होकर भी लोगों की मदद कर रही वर्षा पवार, महिलाओं के लिए बनी मिसाल

इस बीमारी से लोगों को जागरूक करने के लिए वर्षा स्कूल-कॉलेज और परिचय सम्मेलन में जाकर थैलेसीमिया की जानकारी देती हैं और विवाह से पूर्व जांच कराने की सलाह भी देती हैं. इस बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद वर्षा समाज और महिलाओं के लिए आदर्श स्थापित कर रही हैं. वर्षा का एक मात्र लक्ष्य है कि समाज में जागरूकता फैलाकर इस बीमारी को जड़ से मिटाना है, जिसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही हैं.

आगर मालवा। थैलेसीमिया से पीड़ित महिला खुद की तकलीफ नजरअंदाज कर बेहद संजीदगी से रतलाम की वर्षा पवार थैलेसीमिया मुक्त अभियान चला रही हैं. आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित मरीज स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और संक्रमण की वजह से लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाता है.

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थैलेसीमिया से पीड़ित होकर भी लोगों की मदद कर रही वर्षा पवार, महिलाओं के लिए बनी मिसाल

रतलाम की वर्षा पवार (34 साल) को 11 वर्ष की उम्र में ही इस बीमारी के होने का पता चल गया था. जिसके बाद से वर्षा को हर माह शरीर में खून चढ़वाना पड़ता है. इस बीमारी से ग्रसित होने के बावजूद वह इस रोग से पीड़ित लोगों की मदद करती हैं और उन्हें सामान्य जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करती हैं. वर्षा का कहना है कि ये बीमारी जेनेटिक डिसऑर्डर से होती है, जिसमें अनजाने में थैलेसीमिया से पीड़ित माता-पिता इस बीमारी को अपनी संतान में ट्रांसफर कर देते हैं.

थैलेसीमिया से पीड़ित होकर भी लोगों की मदद कर रही वर्षा पवार, महिलाओं के लिए बनी मिसाल

इस बीमारी से लोगों को जागरूक करने के लिए वर्षा स्कूल-कॉलेज और परिचय सम्मेलन में जाकर थैलेसीमिया की जानकारी देती हैं और विवाह से पूर्व जांच कराने की सलाह भी देती हैं. इस बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद वर्षा समाज और महिलाओं के लिए आदर्श स्थापित कर रही हैं. वर्षा का एक मात्र लक्ष्य है कि समाज में जागरूकता फैलाकर इस बीमारी को जड़ से मिटाना है, जिसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही हैं.

Intro:थैलेसीमिया जैसी लाईलाज बीमारी और तकलीफदेह ईलाज के बावजूद थैलेसीमिया से पीड़ित 34 वर्षीय वर्षा पँवार थैलेसीमिया मुक्त भारत अभियान चलाकर नारीशक्ति का उदाहरण पेश कर रही है.खुद की तकलीफ को नजरअंदाज कर जिंदादिली से जीती है रतलाम की वर्षा पँवार .आमतौर पर थैलेसीमिया के मरीज स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव और संक्रमण की वजह से लंबे समय तक सर्वाइव नहीं कर पाते है लेकिन रतलाम की वर्षा न केवल थैलेसीमिया से जिंदगी की जंग हर रोज लड़ती है बल्कि अब उसने थैलेसीमिया मुक्त भारत अभियान चालाया है जिसके लिये वो स्कूल -कॉलेज में जागरूकता अभियान चलाती है और सोशल मीडिया पर भी थैलेसीमिया से बचाव का अभियान चला रही है.


Body:दरअसल 34 साल की वर्षा पँवार को 11 वर्ष की उम्र में थैलेसीमिया मेजर बीमारी का पता चला. जिसके बाद से वर्षा को हर महीने खून चढ़ाना पड़ता है .इसके साथ ही दवाओं के इंजेक्शन पेट में लगाने पड़ते है जो बेहद तकलीफ देह प्रक्रिया होती है.लेकिन अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और जिंदादिली से वर्षा न केवल सामान्य जीवन जी रही है बल्कि थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को मदत भी करती है.वर्षा अपने अनुभव से उन्हें बीमारी से लड़ने और सामान्य जिंदगी जीने के लिये प्रेरित करती है.वर्षा का कहना है कि यह बीमारी जेनेटिक डिसऑर्डर से होती है जिसमें अनजाने में थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित माता -पिता इस बीमारी को अपनी संतान में दे देते है.इसके लिये विवाह पूर्व टेस्ट के माध्यम से यदि यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि लड़का लड़की दोंनो हो थैलेसीमिया माइनर नहीं है तो इस बीमारी को रोका जा सकता है.वर्षा स्कूल -कॉलेज और युवक युवती परिचय सम्मेलनों में जाकर थैलेसीमिया बीमारी की जानकारी देती है और विवाह पूर्व जाँच कराने की सलाह युवाओं को देती है.


Conclusion:थैलेसीमिया जैसी लाईलाज बीमारी के बावजूद वर्षा सोशल वर्क कर समाज और महिलाओं के लिये आदर्श स्थापित कर रही है.थैलेसीमिया से पीड़ित 34 वर्षीय वर्षा के हौसले के आगे थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी भी नतमस्तक हो गई है.अब वर्षा का एकमात्र लक्ष्य समाज मे जागरूकता लाकर इस बीमारी को जड़ से मिटाना है जिसके लिये वो लगातार जुटी हुई है.

बाइट-01& 2 -वर्षा पँवार(थैलेसीमिया पीड़ित मोटिवेटर)
बाइट-03-राजेश राजपुरोहित(समाजसेवी एवं रक्तमित्र ,ब्लड डोनर ग्रुप )
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