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आंखों में पानी, खेतों में पानी, आखिर कैसे गुजर-बसर होगी जिंदगी, मुआवजे पर टिकी निगाहें

जिले में अतिवृष्टि से किसानों की सभी फसलें खराब हो गई हैं. अब किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

अतिवृष्टि से किसानों की सभी फसलें खराब
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Published : Sep 17, 2019, 3:27 PM IST

आगर मालवा। जिले में हो रही लगातार बारिश के चलते एक लाख से अधिक किसानों की फसल खराब हो गई है. जिसके चलते किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

अतिवृष्टि से किसानों की सभी फसलें खराब

कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार आगर जिले में कुल 1 लाख 79 हजार हेक्टेयर में कृषि आधारित फसलें बोई गई थीं. जिसमें से 1 लाख 29 हजार हेक्टैयर में सोयाबीन की फसल थी, जबकि 13 हजार हेक्टेयर में मक्के और 14 हजार 700 हेक्टेयर में उड़द की फसल लगी थी. अन्य किस्मों की फसलें बाकी हेक्टेयर में बोई गई थीं, जो पिछले एक सप्ताह से लगातार हुई बारिश के चलते पूरी तरह से खराब हो गई है.

किसानों ने बताया कि क्षेत्र के ग्राम परसुलिया, धारूखेडी, मोडी, खेरीया, गैलाना, जाख, कडिया, नाहरखेडा, आकली, बडिया, सादलपुर, श्यामपुरा सहित कई अन्य गांवों में सोयाबीन की फसल बोई गई थी, जो अतिवृष्टि से पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. जिसके बाद किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

आगर मालवा। जिले में हो रही लगातार बारिश के चलते एक लाख से अधिक किसानों की फसल खराब हो गई है. जिसके चलते किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

अतिवृष्टि से किसानों की सभी फसलें खराब

कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार आगर जिले में कुल 1 लाख 79 हजार हेक्टेयर में कृषि आधारित फसलें बोई गई थीं. जिसमें से 1 लाख 29 हजार हेक्टैयर में सोयाबीन की फसल थी, जबकि 13 हजार हेक्टेयर में मक्के और 14 हजार 700 हेक्टेयर में उड़द की फसल लगी थी. अन्य किस्मों की फसलें बाकी हेक्टेयर में बोई गई थीं, जो पिछले एक सप्ताह से लगातार हुई बारिश के चलते पूरी तरह से खराब हो गई है.

किसानों ने बताया कि क्षेत्र के ग्राम परसुलिया, धारूखेडी, मोडी, खेरीया, गैलाना, जाख, कडिया, नाहरखेडा, आकली, बडिया, सादलपुर, श्यामपुरा सहित कई अन्य गांवों में सोयाबीन की फसल बोई गई थी, जो अतिवृष्टि से पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. जिसके बाद किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की है.

Intro:आगर- मालवा। आंखो में पानी, खेतो में पानी और आसमान से भी बरस रहा पानी, आखिर अब कैसे गुजर बसर होगी जिंदगी। कुछ इस तरह के ही सवाल आगर जिलें के एक लाख से भी अधिक किसानों के जेहन में उठ रहे है। पिछले एक सप्ताह में आगर जिलें में जिस तरह से बारिश हुई है। उससे अच्छी फसल और उसके उचित दाम पाने की उम्मीद लगाए बैठे किसानों के चेहरे एक बार फिर मायुस हो गए है। अब बस वे सरकार के द्वारा मिलने वाले मुआवजे की ही आस लगाए बैठे है।Body:कृषि विभाग से प्राप्त आकडो के अनुसार आगर जिलें में कुल 1 लाख 79 हजार हैक्टेयर में कृषि आधारित फसलें बोई गई थी। इनमें से 1 लाख 29 हजार हैक्टैयर में सोयाबीन की फसल थी। उसके अलावा 13 हजार हैक्टेयर में मक्का और 14 हजार 700 हैक्टेयर में उड़द की फसल थी। शेष अन्य किस्मों की फसले बाकी हैक्टेयर में बोई गई थी। किन्तु पिछले एक सप्ताह से लगातार हुई बारिश के चलते प्रशासन और किसानों के सारे अनुमान फेल हो गए है।Conclusion:क्षेत्र के किसान बाबूलाल पाटीदार, पुरूषोत्तम बंसीया, राधेश्याम पाटीदार और मनीष यादव सहित कई अन्य ने बताया कि क्षेत्र के ग्राम परसुलिया, धारूखेडी, मोडी, खेरीया, गैलाना, जाख, कडिया, नाहरखेडा, आकली, बडिया, सादलपुर, श्यामपुरा सहित कई अन्य गांवो में जहां सोयाबीन की फसलों में फलिया लगी थी। उनमें दोबारा अंकुरण हो गया है। साथ ही वे सड़ने लगी है इसके चलते भी किसानों के सामने समस्या और बढ गई है। सोयाबीन की फसल बोई थी जो अतिवृष्टि से पुरी तरह बर्बाद हो चुकी है। बेंक से कर्ज लेकर खाद बीज की व्यवस्था की थी । अब ऐसे हालात में यदि शासन तुरत मुवाआजा प्रदान नहीं करता तो किसानो के पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। खेत में भी पानी भरा है, आसमान से भी पानी बरस रहा है, इस स्थिति को देखकर आंखो से भी पानी आ रहा है। अब करें तो क्या करें। साहब सबकुछ नष्ट हो चुका है। अब जिंदगी कैसे गुजर बसर होगी। शासन से मिलने वाला मुआवजा और फसल बीमे पर ही हमारी सारी आस टिकी है।

विज्युअल- इस तरह किसानों के खेतो में भरा है पानी।
बाईट- बाबूलाल पाटीदार, कृषक,
बाईट- पुरूषोत्तम बंसीया, कृषक
बाईट- मनीष यादव।
बाईट- राधेश्याम पाटीदार।
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