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हर परीक्षा में अव्वल आने वाले ये बेटे घर पर भी हैं टॉपर, गली-गली समोसा बेच पिता की करते हैं मदद - उज्जवल भविष्य

एक पिता अपने तीन बेटों की बेहतर शिक्षा के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है. बच्चे भी क्लास में अव्वल आकर पिता का सपना साकार कर रहे हैं और गली-गली समोसे बेचकर पिता का हाथ भी बटा रहे हैं.

बच्चों की पढ़ाई के लिए राजेंद्र कर रहे हैं जी तोड़ मेहनत
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Published : Jun 9, 2019, 8:07 PM IST

आगर-मालवा। मां-बाप अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए क्या कुछ नहीं करते और हर मां-बाप को बच्चों के भविष्य की चिंता भी सताती रहती है. अयोध्या बस्ती में झोपड़ीनुमा मकान में किराये पर रहने वाले राजेंद्र अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं, इस काम में उनके बच्चे भी छुट्टी के दिन हाथ बंटाते हैं और गली-गली घूमकर समोसा बेचते हैं और पाई-पाई जोड़ते हैं, ताकि उनका भविष्य मुकम्मल हो सके.

बच्चों की पढ़ाई के लिए राजेंद्र कर रहे हैं जी तोड़ मेहनत

दरअसल, राजेंद्र अपने बच्चों का भविष्य मुकम्मल करने के लिए समोसा बनाकर घूम-घूम कर बेचते हैं. इस काम में उनके तीनों बेटे भी हाथ बंटाते हैं, बच्चे भी अपने पिता की इस मेहनत का पूरा समर्थन करते हैं और पिता से ज्यादा ऊर्जा पढ़ाई में लगाते हैं. यही वजह है कि हर परीक्षा में 80 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाते हैं. तीनों बच्चे जी तोड़ मेहनत कर पढ़ाई करते हैं और अपने पिता के सपनों को पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं.

यही वजह है कि पढ़ाई के साथ-साथ छुट्टी के दिन तीनों बेटे गली में फेरी लगाकर समोसे बेचते हैं. राजेंद्र इससे होने वाली आय से तीनों बेटों के नाम फंड बना दिए हैं, ताकि उनकी पढ़ाई में कभी कोई रूकावट न आ सके. राजेन्द्र का बड़ा बेटा योगेंद्र कहता है कि पिता का सहारा बनने के लिए वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा.

आगर-मालवा। मां-बाप अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए क्या कुछ नहीं करते और हर मां-बाप को बच्चों के भविष्य की चिंता भी सताती रहती है. अयोध्या बस्ती में झोपड़ीनुमा मकान में किराये पर रहने वाले राजेंद्र अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं, इस काम में उनके बच्चे भी छुट्टी के दिन हाथ बंटाते हैं और गली-गली घूमकर समोसा बेचते हैं और पाई-पाई जोड़ते हैं, ताकि उनका भविष्य मुकम्मल हो सके.

बच्चों की पढ़ाई के लिए राजेंद्र कर रहे हैं जी तोड़ मेहनत

दरअसल, राजेंद्र अपने बच्चों का भविष्य मुकम्मल करने के लिए समोसा बनाकर घूम-घूम कर बेचते हैं. इस काम में उनके तीनों बेटे भी हाथ बंटाते हैं, बच्चे भी अपने पिता की इस मेहनत का पूरा समर्थन करते हैं और पिता से ज्यादा ऊर्जा पढ़ाई में लगाते हैं. यही वजह है कि हर परीक्षा में 80 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाते हैं. तीनों बच्चे जी तोड़ मेहनत कर पढ़ाई करते हैं और अपने पिता के सपनों को पूरा करने की कोशिश में जुटे हैं.

यही वजह है कि पढ़ाई के साथ-साथ छुट्टी के दिन तीनों बेटे गली में फेरी लगाकर समोसे बेचते हैं. राजेंद्र इससे होने वाली आय से तीनों बेटों के नाम फंड बना दिए हैं, ताकि उनकी पढ़ाई में कभी कोई रूकावट न आ सके. राजेन्द्र का बड़ा बेटा योगेंद्र कहता है कि पिता का सहारा बनने के लिए वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा.

Intro:सोच बदलती है तो पीढ़ियां बदलती है और पीढ़ियां बदलती है तो देश भी बदलता है। बेटा हो या बेटी उनको कामयाब बंनाने के लिए माता-पिता दिन-रात मेहनत करते है और हर माता-पिता यही चाहते है कि उनके बच्चे कामयाबी की बुलंदियों को चूमे। आगर शहर में एक पिता ऐसे ही है जो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए दिन-रात गांव-गांव व शहर की गली-गली में घूमकर कर समोसे बेचकर पाई-पाई जोड़ अच्छे स्कूल में दाखिला करवाकर उन्हें अच्छी शिक्षा हासिल करवा रहे है वही इस पिता के तीनों बेटे भी अपने पिता के इस संघर्ष को देखकर पढ़ाई में जीतोड़ मेहनत करते है। तीनो बेटे अपनी कक्षाओं में बिना किसी कोचिंग के हर साल 80 प्रतिशत से अधिक अंक भी लाते है।
बता दे यह तीनों पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता के कार्य मे भी हाथ बटाते है तीनो अवकाश के दिनों में सुबह-शाम तथा प्रतिदिन शाम को शहर में समोसे बेचने के लिए फेरी भी लगाते है और साथ ही अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देते है।


Body:बता दे कि शहर के अयोध्याबस्ति में एक किराए के झोपड़ीनुमा मकान में रहने वाले राजेन्द्र ने 3 साल पहले अपना गांव छोड़कर बच्चों की शिक्षा के आगर में बस गए थे। यहाँ पर कड़े संघर्ष के बाद उन्हें कुछ काम नही मिला तो वे घर पर ही समोसे बनाकर आसपास के गांव तथा शहर में बेचने लगे राजेन्द्र खुद पढ़े-लिखे नही है लेकिन वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाकर पड़े पद पर देखना चाहते है। राजेन्द्र के इस त्याग को देखकर उसके तीनो बेटो ने भी राजेन्द्र का सपना साकार करने की ठानी और पढाई में पूरी तरह से जुट गए। शुरुआती हालात यह है कि राजेन्द्र के तीनों बेटे हर कक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाते है। राजेन्द्र के बड़े बेटे योगेंद्र कक्षा छठी में 83 प्रतिशत बनाकर कक्षा सातवी में पहुंचा इसी तरह चेतन और अजय कक्षा तीसरी में क्रमशः 92 व 86 प्रतिशत हासिल कर कक्षा चौथिबमे पहुंचे। अजय अपनी कक्षा में प्रथम भी आया।
बीच मे एक बार अज्ञात कारणों से राजेन्द्र के किराए के घर मे आग भी लग गई थी जिससे उनका काफी आर्थिक नुकसान हुआ था लेकिन उनके तीनो बेटो ने अपने पिता की हौंसला अफजाई की और हिम्मत से काम लेते हुवे पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता के काम में हाथ बंटाकर उनका सहारा भी बने।



Conclusion:राजेन्द्र के तीनों बेटे जो पढ़ाई के साथ-साथ घर के संचालन में हाथ बटा रहे है इसके लिए उनके भविष्य में पढ़ाई के खर्च के लिए रुपये एकत्रित हो सके इसलिए पिता राजेन्द्र ने तीनों के लिए अलग-अलग फण्ड बना रखे है तीनो भाई के समोसे बेचने से जो आय होती है उसमें प्रति समोसे के 50 पैसे के मान से उनके फण्ड में जमा होंगे।
राजेन्द्र के बड़े पुत्र योगेंद्र ने बताया कि पिता के संघर्ष को देखकर हम भी उनका सपना जरूर पूरा करेंगे साथ ही पिता को एक छोटा सा सहारा मिल सके इसलिए हम तीनो भाई भी उनके कार्य मे हाथ बटा देते है। हम अच्छी पढ़ाई कर बड़े आदमी बनेंगे।
राजेन्द्र ने बताय की तीनों बेटो को अच्छी शिक्षा दिलवाना ही उनका उद्देश्य है। समोसे बेचकर जो रुपये आते ही वे सभी बच्चो की शिक्षा में खर्च होंगे। मेरे बच्चे पड़ने में होशियार है हर साल 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाते है उनकी पढ़ाई में कोई बाधा नही आने दूंगा।

बाइट- बड़ा बेटा योगेंद्र

बाइट- पिता राजेन्द्र
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