आगर मालवा। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में बड़ा दिल दिखाते हुए 137 लोगों ने गौचर के लिए तीन सौ एकड़ जमीन को स्वेच्छा से छोड़ दिया है. बताया यह भी जा रहा है कि यह शासकीय जमीन थी जिसपर लोगों ने कब्जा कर लिया था. अब स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि के आह्वान पर गांव वालों ने इस जमीन पर अपना कब्जा छोड़ दिया है. कब्जाधारियों ने लगभग 300 एकड़ जमीन को गौचर के लिए छोड़ दिया है. अभी तक इस जमीन पर या तो खेती हो रही है या फिर लोगों ने कुछ निर्माण कर लिया है.
अखिलेश्वरानंद गिरि के आह्वान पर मिली जमीन: गौ संवर्धन बोर्ड कार्य परिषद के अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरि (Akhileshwaranand Giri) ने बरगढ़ी गांव के लोगों से आह्वान किया कि वे इस जमीन को गौचर के लिए छोड़ दें. उनके इस आह्वान पर 137 लोगों ने 300 एकड़ शासकीय गौचर भूमि स्वेच्छा से छोड़ दी. स्वामी गिरि ने ग्रामीणों को समझाया था कि गाय का गोबर जंगल का आहार है. गाय जंगल में चरती है और गोबर से जमीन, उर्वरा शक्ति पुन प्राप्त करती है. पेड़-पौधे स्वस्थ विकास, स्वस्थ प्राणवायु देते हैं. इस चक्र से मानव सहित सभी प्राणियों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. बेहतर जंगल से पर्यावरण भी संतुलित रहता है, जो हमारी आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए अच्छा रहेगा. (Agar Malwa Grazing Land Donated)
यूं ही लोग गाय को नहीं कहते 'माता', देखें यह वीडियो
गौशाला का निरीक्षण: अखिलेश्वरानंद गिरि ने श्री कृष्ण योगेश्वर गौशाला का भी निरीक्षण किया. गौशाला में 1200 गौवंश की देखभाल की जा रही है. उन्होंने गौचर भूमि के संरक्षण, गाय और जंगल के समीकरण को विशेष रूप से रेखांकित किया. इससे लोगों पर इतना असर हुआ कि उन्होंने शासकीय भूमि पुन गायों की चरनोई के लिये सौंपने का निर्णय लिया. (Agar Malwa Grazing Land)
(आईएएनएस)