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72 करोड़ की शासकीय भूमि को राजस्व विभाग की टीम ने किया चिन्हित, हाउसिंग बोर्ड को होगी आंवटित - सरस्वती शिशु मंदिर

कमिश्नर आनंद कुमार शर्मा के आदेश के बाद उज्जैन-कोटा हाइवे की 72 करोड़ की शासकीय भूमि को राजस्व विभाग की टीम ने चिन्हित किया है. यह जमीन अब हाउसिंग बोर्ड को आंवटित होगी.

Revenue department team allotted government land
राजस्व विभाग की टीम ने शासकीय जमीन को किया आवंटित
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Published : Dec 1, 2020, 6:34 PM IST

आगर मालवा। उज्जैन-कोटा रोड पर सरस्वती शिशु मंदिर से सटी 72 करोड़ की जमीन को राजस्व विभाग की टीम ने चिन्हित किया है, कमिश्नर आनंद कुमार शर्मा के आदेश के बाद ये कार्रवाई की गई है. वहीं एसडीएम राजेंद्र सिंह रघुवंशी के निर्देश पर जमीन का सीमांकन किया गया. अब यह जमीन हाउसिंग बोर्ड को आवंटित होगी. इस शासकीय जमीन को करीब 9 साल पहले जमीन मालिक ने राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ करने के बाद शासकीय रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा कर कब्जे में ले लिया था. इतना ही नहीं उक्त जमीन मालिक कब्जे में ली गई जमीन का अधिकांश हिस्सा बेच भी चुका है.

72 करोड़ की शासकीय भूमि को राजस्व विभाग की टीम ने किया चिन्हित

कमिश्नर ने दिए थे जमीन को शासकीय किये जाने के आदेश

न्यायालय आयुक्त उज्जैन संभाग ने कलेक्टर आगर द्वारा 12 फरवरी 2020 को भेजे गए प्रतिवेदन के आधार पर जमीन को सरकारी किए जाने का फैसला दिया था. कलेक्टर ने अपने प्रतिवेदन में लिखा था कि तत्कालीन अपर कलेक्टर जिला शाजापुर द्वारा 27 जुलाई 2011 को आदेश पारित किया गया था. जिसमें कस्बा छावनी आगर में स्थित भूमि क्रमांक 210 के नक्शे का रकबा निजी भूमि सर्वे नंबर 67 में मिलाकर भूमि स्वामी सरफराज उद्दीन पिता काजी जमील उद्दीन को लाभ पहुंचाकर शासकीय भूमि की हेराफेरी की गई है.

Government land
शासकीय भूमि

ये भी पढ़ें: PM मोदी से CM शिवराज ने मांगा जीडीपी का एक प्रतिशत अतिरिक्त लोन, वैक्सीनेशन पर भी हुई चर्चा

यह पाए जाने पर प्रश्नाधीन भूमि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों के विरुद्ध नक्शा सुधार करने का प्रकरण प्रकाश आया. जिसके बाद एसडीएम आगर से विस्तृत जांच कराई गई थी. एसडीएम तहसीलदार द्वारा जो प्रतिवेदन दिए गए थे. उसमें लिखा था कि प्रथम दृष्टया शासकीय भूमि की हेराफेरी का है. नक्शा सुधार करने की प्रक्रिया के दौरान शासकीय भूमि को निजी खाते में शामिल कर लिया गया था. संभागायुक्त ने अपर कलेक्टर शाजापुर द्वारा दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया था. साथ ही जमीन के नक्शे पर 2011 की पूर्व स्थिति कायम कर दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद राजस्व अधिकारियों ने राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी करने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी.


90 हजार वर्गफीट जमीन पर 15 से अधिक लोगों का कब्जा

शहरी क्षेत्र में हाइवे से लगी इस जमीन की हेराफेरी करने के बाद जमीन मलिक ने इसे 15 से अधिक लोगों को बेच दी थी. हाउसिंग बोर्ड की इस जमीन पर रेडीमेड कपड़े का एक भव्य शोरूम भी बना हुआ है.

अधीक्षक भू अभिलेख राजेश सरवटे ने बताया कि कमिश्नर के आदेश के बाद भूमि सर्वे क्रमांक 210 का सीमांकन किया गया है. यहां काफी जमीन हाउसिंग बोर्ड की निकली है . जिस पर कुछ लोगों द्वारा कब्जा किया हुआ था. इस जमीन को हाउसिंग बोर्ड को सौंपने की कार्रवाई की जा रही है.

आगर मालवा। उज्जैन-कोटा रोड पर सरस्वती शिशु मंदिर से सटी 72 करोड़ की जमीन को राजस्व विभाग की टीम ने चिन्हित किया है, कमिश्नर आनंद कुमार शर्मा के आदेश के बाद ये कार्रवाई की गई है. वहीं एसडीएम राजेंद्र सिंह रघुवंशी के निर्देश पर जमीन का सीमांकन किया गया. अब यह जमीन हाउसिंग बोर्ड को आवंटित होगी. इस शासकीय जमीन को करीब 9 साल पहले जमीन मालिक ने राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ करने के बाद शासकीय रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा कर कब्जे में ले लिया था. इतना ही नहीं उक्त जमीन मालिक कब्जे में ली गई जमीन का अधिकांश हिस्सा बेच भी चुका है.

72 करोड़ की शासकीय भूमि को राजस्व विभाग की टीम ने किया चिन्हित

कमिश्नर ने दिए थे जमीन को शासकीय किये जाने के आदेश

न्यायालय आयुक्त उज्जैन संभाग ने कलेक्टर आगर द्वारा 12 फरवरी 2020 को भेजे गए प्रतिवेदन के आधार पर जमीन को सरकारी किए जाने का फैसला दिया था. कलेक्टर ने अपने प्रतिवेदन में लिखा था कि तत्कालीन अपर कलेक्टर जिला शाजापुर द्वारा 27 जुलाई 2011 को आदेश पारित किया गया था. जिसमें कस्बा छावनी आगर में स्थित भूमि क्रमांक 210 के नक्शे का रकबा निजी भूमि सर्वे नंबर 67 में मिलाकर भूमि स्वामी सरफराज उद्दीन पिता काजी जमील उद्दीन को लाभ पहुंचाकर शासकीय भूमि की हेराफेरी की गई है.

Government land
शासकीय भूमि

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यह पाए जाने पर प्रश्नाधीन भूमि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से नियमों के विरुद्ध नक्शा सुधार करने का प्रकरण प्रकाश आया. जिसके बाद एसडीएम आगर से विस्तृत जांच कराई गई थी. एसडीएम तहसीलदार द्वारा जो प्रतिवेदन दिए गए थे. उसमें लिखा था कि प्रथम दृष्टया शासकीय भूमि की हेराफेरी का है. नक्शा सुधार करने की प्रक्रिया के दौरान शासकीय भूमि को निजी खाते में शामिल कर लिया गया था. संभागायुक्त ने अपर कलेक्टर शाजापुर द्वारा दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया था. साथ ही जमीन के नक्शे पर 2011 की पूर्व स्थिति कायम कर दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश दिए थे. जिसके बाद राजस्व अधिकारियों ने राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी करने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी.


90 हजार वर्गफीट जमीन पर 15 से अधिक लोगों का कब्जा

शहरी क्षेत्र में हाइवे से लगी इस जमीन की हेराफेरी करने के बाद जमीन मलिक ने इसे 15 से अधिक लोगों को बेच दी थी. हाउसिंग बोर्ड की इस जमीन पर रेडीमेड कपड़े का एक भव्य शोरूम भी बना हुआ है.

अधीक्षक भू अभिलेख राजेश सरवटे ने बताया कि कमिश्नर के आदेश के बाद भूमि सर्वे क्रमांक 210 का सीमांकन किया गया है. यहां काफी जमीन हाउसिंग बोर्ड की निकली है . जिस पर कुछ लोगों द्वारा कब्जा किया हुआ था. इस जमीन को हाउसिंग बोर्ड को सौंपने की कार्रवाई की जा रही है.

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