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उषा और सहयोगिनी संघ ने निकाली रैली, शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग

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Published : Mar 25, 2021, 10:16 PM IST

गुरुवार को आगर मालवा की आशा, उषा और आशा सहयोगिनी संघ ने अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर गुरुवार को तहसीलदार दिनेश सोनी को कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा. इसके माध्यम से महिला कार्यकर्ताओं ने शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की गई.

6-point demands: Women activists take out rally and submit memorandum
6 सूत्रीय मांगे : महिला कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर सौंपा ज्ञापन

आगर मालवा। जिले की उषा और आशा सहयोगिनी संघ की सैकड़ों महिलाओं ने पुरानी कृषि उपज मंडी से एक रैली निकाली, यह रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई सारंगपुर रोड स्थित कलेक्ट्रेट भवन पहुंची, इन महिला कार्यकर्ताओं ने अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर गुरुवार को तहसीलदार दिनेश सोनी को ज्ञापन सौंपा.

  • शासकीय कर्मचारी का मिले दर्जा

ज्ञापन में बताया गया कि आशा, उषा और सहयोगिनी संघ ने शासन से यह मांग की है कि उन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए, सभी कर्मचारियों की तरह उन्हें भी सरकारी योजना का लाभ दिया जाए, महिलाओं का कहना था कि वे पूरे 9 माह तक एक गर्भवती महिला की सेवा करती है उसके बदले उन्हें इंसेंटिव के रूप में केवल 200 रुपए दिए जाते हैं, इतने कम पैसों से घर का गुजारा करना मुश्किल होता है.

आशा कार्यकर्ताओं ने की नियमितीकरण की मांग

महिला कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर रास्ते भर जमकर नारेबाजी की, कई जगह संघ की महिलाओं ने रैली को रोककर नारेबाजी की, वहीं रैली के दौरान संघ की महिलाएं जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय पर भी पहुंची और एक ज्ञापन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजीव बरसेना को भी सौंपा.

आगर मालवा। जिले की उषा और आशा सहयोगिनी संघ की सैकड़ों महिलाओं ने पुरानी कृषि उपज मंडी से एक रैली निकाली, यह रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई सारंगपुर रोड स्थित कलेक्ट्रेट भवन पहुंची, इन महिला कार्यकर्ताओं ने अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर गुरुवार को तहसीलदार दिनेश सोनी को ज्ञापन सौंपा.

  • शासकीय कर्मचारी का मिले दर्जा

ज्ञापन में बताया गया कि आशा, उषा और सहयोगिनी संघ ने शासन से यह मांग की है कि उन्हें शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए, सभी कर्मचारियों की तरह उन्हें भी सरकारी योजना का लाभ दिया जाए, महिलाओं का कहना था कि वे पूरे 9 माह तक एक गर्भवती महिला की सेवा करती है उसके बदले उन्हें इंसेंटिव के रूप में केवल 200 रुपए दिए जाते हैं, इतने कम पैसों से घर का गुजारा करना मुश्किल होता है.

आशा कार्यकर्ताओं ने की नियमितीकरण की मांग

महिला कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर रास्ते भर जमकर नारेबाजी की, कई जगह संघ की महिलाओं ने रैली को रोककर नारेबाजी की, वहीं रैली के दौरान संघ की महिलाएं जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय पर भी पहुंची और एक ज्ञापन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजीव बरसेना को भी सौंपा.

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