उज्जैन(Ujjain)। देशभर में गुरुवार को हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej Vrat) रखा जाएगा. इसे व्रत को सुहाग का व्रत भी माना गया है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहाग की लंबी उम्र की कामना पूरी होती है. परिवार का कल्याण होता है. हरतालिका तीज व्रत (Hartalika Teej Vrat) हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती (Lord Shiv Parwati) की पूजा होती है. महिला अपने अखंड सौभाग्य के लिए ये व्रत निर्जल और बिन अन्न करती हैं. उज्जैन में हरतालिका तीज को लेकर हर साल बड़ी संख्या में महिलाएं पटनी बाजार स्थित सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर (Saubhagyeshwar Mahadev Mandir) पहुंचकर दर्शनों का लाभ लेते हुए कथा सुनती हैं. कहते हैं कि इस मंदिर में जो भी महिला अपने सुहाग के लिए पूजा करती है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
हर साल कथा सुनने पहुंचती हैं महिलाएं
हर साल बड़ी संख्या में महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर मंदिर पंहुचती हैं. मंदिर में विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा के बाद महिलाएं कथा सुनती हैं. जिस कारण मंदिर में काफी भीड़ बढ़ जाती है. मंदिर के पंडित आनंद शंकर व्यास ने बताया कि भाद्र पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाए जाने वाले हरतालिका तीज पर महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं. अखंड सौभाग्य के लिए उपवास, रात्रि जागरण, कथा सुनकर पुण्य लिया जाता है.
84 महादेव मंदिरों में शामिल है सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर
सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर की एक खास विशेषता है. यह मन्दिर उज्जैन के 84 महादेव मंदिरों में शामिल है और हरतालिका तीज पर्व पर यहां दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस मंदिर में हरतालिका तीज व्रत शुरू होते ही रात 12 बजे से महिला श्रद्धालुओं के दर्शन का सिलसिला शुरू हो जाता है. ये व्रत सर्वप्रथम मां पार्वती ने किया था, इसलिए ये बेहद खास व्रत माना गया है. सुहागिनों को ये व्रत करने से भगवान शिव-पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है. चूंकि मां पार्वती ने ये व्रत करते हुए अन्न-जल त्याग दिया था, इसलिए इस व्रत को करने वाली महिलाएं अन्न-जल ग्रहण नहीं करती हैं.
सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर की प्रचलित कहानी
उज्जैन का सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर काफी प्रचलित है. मान्यता है कि काफी समय पहले अश्वाहन नामक एक राजा हुआ करते थे. उनकी पत्नी मदनमंजरी थीं, वह अत्यंत सुंदर और गृहकार्य में निपुण थीं. मदनमंजरी अपने पति का हमेशा हित चाहती थीं. लेकिन पूर्व कर्म के कारण वह दुर्भगा थी, इसलिए राजा अश्वाहन को वह प्रिय नहीं थीं. रानी के स्पर्श मात्र से राजा का शरीर जलने लगता था. एक बार राजा ने क्रोध में आकर आदेश दिया कि रानी को वन में छोड़कर आ जाएं. रानी वन में अपने भाग्य को कोसने लगीं.
इसी समय एक तपस्वी उन्हें नजर आया. रानी ने उनसे अपनी पूरी व्यथा कही और पूछा कि उसे सौभाग्य कैसे प्राप्त होगा. तपस्वी ने ध्यान कर कहा कि तुम अंवतिका नगरी में स्थित महाकाल वन में जाओ, वहां सौभाग्येश्वर महादेव का पूजन करो, तुम्हारे पूर्व इंद्राणी ने भी उनका पूजन कर इंद्र को प्राप्त किया था. इसके बाद रानी ने अंवतिका नगरी में महाकाल वन पहुंचकर भगवान शिव के दर्शन किए. रानी के दर्शन मात्र से राजा को रानी का स्मरण आया और राजा ने जमदग्नि मुनि से रानी का पता पूछा.
मुनि ने कहा कि रानी महाकाल वन में सौभाग्येश्वर महादेव का पूजन कर रही हैं. राजा वहां पहुंचे और रानी को पाकर बेहद प्रसन्न हुए. राजा-रानी के मिलन से उनका एक पुत्र हुआ. जिसका नाम व्रत रखा गया. मान्यता है कि जो भी सौभाग्येश्वर महादेव के दर्शन कर पूजन करता है उसपर ग्रहदोष नहीं लगता है.
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प्रशासन ने लगाई धारा-144
उज्जैन हरतालिका तीज पर्व के अवसर पर गुरुवार रात 12 बजे से ही सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर में महिला श्रद्धालुओं की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से जिला प्रशासन ने धारा-144 लगा दी है. जिसके चलते इस बार भीड़ नहीं लगने दी जाएगी. सीएसपी पल्ल्वी शुक्ला ने बताया कि महिला श्रद्धालुओं को कोरोना के कारण समझाइश दी जाएगी कि वह घर में रहकर ही पूजा-अर्चना करें. अगर मंदिर आना है तो भीड़ नहीं लगाएं और कोरोना गाइड लाइन का पालन करें.