उज्जैन (Ujjain News)। शिप्रा नदी के पास गधों का मेला (Gadhon Ka Mela) लगता है. देशभर में प्रसिद्ध गधों का मेला इस बार उज्जैन के कार्तिक मेला ग्राउंड के पास लगा है. जिसमें प्रदेश भर से सैकड़ों गधे और घोड़े बिकने आए हैं. लेकिन इस बीच दो गधों की खूब चर्चा हो रही है. कंगना और आर्यन नाम के गधे की जोड़ी काफी सुर्खियां बटोर रही है (donkey kangana Aryan). इस जोड़ी को हाथों-हाथ एक व्यापारी ने 34 हजार में खरीद भी लिया है.
34 हजार में बिके कंगना-आर्यन!
शिप्रा नदी के पास देवउठनी ग्यारस से लेकर पूनम तक गधों का मेला लगता है. शिप्रा नदी किनारे बड़नगर रोड पर करीब 100 से अधिक गधे और घोड़े बेचने के लिए लाए गए. गुरुवार को गधों के मेले का अंतिम दिन होने के चलते रौनक दिखाई दी. यहां कई बड़े-छोटे गधे और घोड़े के खरीदार आए. जिसमें सबसे ज्यादा सुर्खिया कंगना और आर्यन नाम के गधे के जोड़े ने बटोरी. गधे के इस जोड़े को हाथों-हाथ एक व्यापारी ने 34 हजार रुपए में खरीद भी लिया (Donkey Kangana Aryan Sold At 34000 Rupees). इसके अलावा कोरोना का संदेश देते एक वैक्सीन नाम का गधा को भी मेले में लाया गया था. जिसे 14 हजार में खरीद लिया गया (Donkey Vaccine Sold Out At 14000 Rupees).
ट्रेंड में चल रही खबरों और व्यक्तियों के नाम रखने से गधों की पहचान और बिक्री जल्दी होती है. इसी वजह से गधे-घोड़ों के नाम इस तरह रखे जाते हैं, ताकि खरीदने वाले उन पर ज्यादा ध्यान दे सकें. वैक्सीन नाम का गधा भी इसलिए इस बार मेले में रखा गया ताकि जो भी व्यापारी आए तो वैक्सीन लगवाने का प्रण लेकर जाए और दूसरों को भी प्रोत्साहित करे. - हरिओम प्रजापति, मेला सरंक्षक
गधों के मेले में घोड़े भी बिकने आए
शिप्रा नदी के पास लगाने वाले गधों के मेले में इसी तरह घोड़े भी बिकने के लिए आए हैं. जिसमें सबसे महंगी घोड़ी भूरी की कीमत 2 लाख रुपए तय की गई. इसके अलावा बादल नाम का घोड़ा डेढ़ लाख रुपए में बिकने के लिए उपलब्ध है.
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इस बार भी गधों के मेले में रौनक नहीं रही, जिससे धंधा नहीं हो पाया. देश के गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्य से खरीदार मेले में आते हैं. लेकिन इस बार प्रदेश के व्यापारी और खरीददार ही पहुंच पाए हैं. हर साल देशभर के व्यापारी उज्जैन के मेले में गधों की बिक्री-खरीदी करने के लिए आते हैं. 100 से अधिक गधे शाजापुर, सुसनेर, राजस्थान, महराष्ट्र, जीरापुर, भोपाल, मक्सी, सारंगपुर सहित अन्य जगह से मेले में पहुंचे. - कमल प्रजापत, गधों के व्यापारी