उज्जैन। मध्यप्रदेश में प्री-मॉनसून ने दस्तक दे दी है, लेकिन पहली ही बारिश ने विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्थाओं को संभालने वाले जिम्मेदारों की पोल खोल कर रख दी है. रविवार शाम हुई तेज बारिश से ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के गणेश मंडपम में पानी भर गया. इसके अलावा गर्भ गृह के सामने नंदी हॉल बारिश के पानी से लाबालब हो गया. पूजा भी खड़े होकर की गई. नंदी हॉल को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे नंदी देव गहरे पानी में हों और पुजारी नौका में सवार हों. वैसे तो मंदिर समिति श्रद्धालुओं की सुरक्षा का ध्यान रखती है, लेकिन प्री-मॉनसून कि जानकरी होने व मंदिर में मार्बल, ग्रेनाइट जैसे पत्थरों पर श्रद्धालुओं के बारिश में फिसलन जैसी समस्या को ध्यान में नहीं रखना एक बड़ी लापरवाही दर्शाता है.
बारिश के कारण कुछ देर श्रद्धालुओं को रुकना पड़ा: बारिश का पानी गणेश मंडपम के पास श्रद्धालुओं के कतार वाले मार्ग के ऊपर से बहता रहा. मंदिर समिति के सफाई कर्मी जगह-जगह वाईपर व झाड़ू लिए आनन-फानन में पानी को निकालते भी नजर आए. यदि पानी नहीं निकाला जाता तो किसी भी श्रद्धालु का पैर फिसल सकता था. इस दौरान कुछ देर के लिए कार्तिक मंडपम से होते हुए गणेश मंडपम तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को थोड़ी परेशानी आई. उन्हें रोका गया व अन्य बैरिकेडिंग से रास्ता दिया गया.
जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर: बारिश को लेकर मौसम विभाग के अलर्ट के बाद हर कोई सतर्क है. मंदिर समिति को पता था कि बारिश में ऐसी स्थिति हमेशा बनती है. इसके बावजूद जिम्मेदारों ने ध्यान क्यों नहीं दिया, यह बड़ा सवाल है. क्योंकि इतनी बड़ी लापरवाही से श्रद्धालु हादसे का शिकार हो सकते हैं. मंदिर में ग्रेनाइट मार्बल जैसे पत्थर लगे हुए हैं और बारिश में उस पर फिसलने का डर बना रहता है. मंदिर में बच्चे, युवा, बुजुर्ग हर तरह के श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. (Pre monsoon rain in Ujjain) (Negligence of Mahakaleshwar temple committee) (Water filled in Mahakaleshwar temple) (Temple Committee did not make arrangements even after alert)