सतना। रैगांव विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, जिसको लेकर अब सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. कांग्रेस ने दोबारा से पूर्व प्रत्याशी कल्पना वर्मा पर भरोसा जताया, और उन्हें चुनावी रण में उतार दिया. 1977 में गठित हुई रैगांव विधानसभा सीट पर अब तक 10 बार चुनाव हो चुके हैं. नतीजों पर नजर डालें तो यहां बीजेपी का पलड़ा भारी है. इस सीट में 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने अपना कब्जा जमाया था. इसके अलावा 2 बार अन्य दलों का कब्जा भी रहा है. हालांकि कांग्रेस का मार्जिन भी कुछ कम नहीं है. यही वजह है कि रैगांव विधानसभा सीट पर पेंच थोड़ा फंसा हुआ है.
कांग्रेस के लिए कल्पना वर्मा क्यों जरूरी
सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट की अगर बात करें तो आदिवासी और दलित मतदाता यहां पर सबसे अधिक हैं. कल्पना को रैगांव में कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा माना जाता है, वो चौधरी समाज से आती हैं. उन्हें कमलनाथ समर्थित माना जा रहा है. बसपा से चुनाव हारकर कांग्रेस में आई ऊषा चौधरी भी रैगांव सीट से टिकट की दावेदारी कर रहीं थीं. कल्पना और ऊषा दोनों ही चौधरी समाज से हैं लेकिन कल्पना को तवज्जो मिली. बताया जाता है कि कमलनाथ ने पहले ही कल्पना को चुनावी तैयारी के संकेत दे दिए थे.
विधानसभा 2018 परिणाम
विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2018 में कांग्रेस की पूर्व प्रत्याशी रहीं कल्पना वर्मा पर फिर से पार्टी ने भरोसा जताते हुए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. कल्पना वर्मा वर्तमान समय में 32 वर्ष उम्र की है. इनका निवास स्थान कपूरी ग्राम, देरुहा नागौद हैं. शैक्षणिक योग्यता मैथमेटिक्स एमएससी ग्रेजुएट है. कल्पना सतना जिला पंचायत वार्ड नंबर 2 से जिला पंचायत सदस्य भी रह चुकी हैं. वर्ष 2018 में कल्पना वर्मा रैगांव विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार रही है.
उपचुनाव पर बोले गृह मंत्री: कांग्रेस की हालत बिना तैयारी परीक्षा में बैठने वाले स्टूडेंट जैसी
2018 में रैगांव विधानसभा से बीजेपी दिवंगत विधायक जुगुल किशोर बागरी ने कांग्रेस की कल्पना वर्मा को 17421 वोटों से हराया. जुगुल किशोर बागरी 65910 वोट और कल्पना वर्मा को 48489 वोट मिले थे. कल्पना का विधानसभा चुनाव का यह पहला मौका था, जब वह रैगांव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी. जबकि बसपा की उषा चौधरी को 16677 मत मिले थे.