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सतना में ईद का जश्न, लोगों ने गले लगाकर एक-दूसरे को दी मुबारकबाद

सतना में बकरीद का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. ईदगाह मुस्लिम समाज के लोगों ने नमाज अदा की और एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दी.

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Published : Aug 12, 2019, 3:31 PM IST

मुस्लिम समाज के लोगों ने नमाज अदा कर एक दूसरे को गले लगाकर बकरीद की बधाई दी

सतना। जिले में ईद-उल-अजहा की धूम है. इस पर्व पर मुस्लिम समाज के लोगों ने ईदगाह चौक पर ईदगाह मस्जिद में नमाज अदा कर एक दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद दी. बकरीद के मौके पर सतना पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल भी नमाज अदा करने पहुंचे और गले लगाकर सभी को बधाई दी.

मुस्लिम समाज के लोगों ने नमाज अदा कर एक दूसरे को गले लगाकर बकरीद की बधाई दी

ईद-उल-अजहा कुर्बानी का त्योहार होता है. इस्लाम धर्म के लोगों का यह प्रमुख त्योहार है जो रमजान के पवित्र महीने के 70 दिनों बाद मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुक्म पर उनकी की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, लेकिन अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया. जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.

अरबी में बकर का अर्थ है बड़ा जानवर जो काटा जाता है. उसी से बिगड़कर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में इसे बकरीद बोलते हैं. ईद-ए-कुर्बा का मतलब बलिदान की भावना होता है. ईद-उल-अजहा के दो संदेश हैं. पहला परिवार के बड़े सदस्यों को स्वार्थ के परे देखना चाहिए और खुद को मानव उत्थान के लिए लगाना चाहिए.

सतना। जिले में ईद-उल-अजहा की धूम है. इस पर्व पर मुस्लिम समाज के लोगों ने ईदगाह चौक पर ईदगाह मस्जिद में नमाज अदा कर एक दूसरे को गले लगाकर मुबारकबाद दी. बकरीद के मौके पर सतना पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल भी नमाज अदा करने पहुंचे और गले लगाकर सभी को बधाई दी.

मुस्लिम समाज के लोगों ने नमाज अदा कर एक दूसरे को गले लगाकर बकरीद की बधाई दी

ईद-उल-अजहा कुर्बानी का त्योहार होता है. इस्लाम धर्म के लोगों का यह प्रमुख त्योहार है जो रमजान के पवित्र महीने के 70 दिनों बाद मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुक्म पर उनकी की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, लेकिन अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया. जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.

अरबी में बकर का अर्थ है बड़ा जानवर जो काटा जाता है. उसी से बिगड़कर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में इसे बकरीद बोलते हैं. ईद-ए-कुर्बा का मतलब बलिदान की भावना होता है. ईद-उल-अजहा के दो संदेश हैं. पहला परिवार के बड़े सदस्यों को स्वार्थ के परे देखना चाहिए और खुद को मानव उत्थान के लिए लगाना चाहिए.

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आज ईद के त्यौहार पर सतना शहर के ईदगाह चौक में ईदगाह मस्जिद मैं मुस्लिम समाज के लोगों ने नमाज अदा की। इस मौके पर सतना पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल भी नमाज अदा करने पहुंचे साथी सभी लोगों को गले लग कर एक दूसरे को बधाई दी ।


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ईद-उल-अजहा (बकरीद) जिसका मतलब कुर्बानी की ईद । इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है ।रमजान के पवित्र महीनों की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद से मनाया जाता है । इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इस दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे । तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया । जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है । इस शब्द का बकरों से कोई संबंध नहीं है। ना ही या उर्दू का शब्द है । असल में अरबी में बकर का अर्थ है बड़ा जानवर जो (जिबह) काटा जाता है । उसी से बिगड़कर का आज भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश में इसे बकरीद बोलते हैं ।ईद-ए-कुर्बा का मतलब है बलिदान की भावना ।ईद उल अजहा के दो संदेश है पहला परिवार के बड़े सदस्यों को स्वार्थ के परे देखना चाहिए और खुद को मानव उत्थान के लिए लगाना चाहिए ।ईद उल अजहा यह याद दिलाता है कि कैसे एक छोटे से परिवार में एक नया अध्याय लिखा गया ।


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