सागर। जिले के रेहली विकासखंड के रानगिर में भरपूर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच पहाड़ी पर मां हरसिद्धि (Maa Harsiddhi) का मंदिर स्थापित है. मंदिर के चारों तरफ भरे पूरे जंगल है और बीच से देहार नदी गुजर रही है. मां की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि यह स्वयंभू प्रकट प्रतिमा है. मंदिर को लेकर भी तरह-तरह की किवदंतियां हैं. कोई सती के योग बल से शरीर त्याग की कहानी से जोड़ता है, तो किसी का कहना है कि जंगल से एक छोटी बालिका बच्चों के साथ खेलने आती थी और किसी चरवाहे ने जब बालिका का पता पूछा, तो बालिका यहीं बस गई. मां हरसिद्धि के बारे में कहा जाता है कि मां दिन में तीन रूप बदलती हैं. रानगिर मंदिर की महिमा के बारे में कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से एक नारियल अर्पण कर मनोकामना मांगता है तो जरूर पूरी होती है.
जानेंं हरसिद्धि माता के मंदिर के बारे में: सागर रहली मार्ग 5 मील से मां हरसिद्धि मंदिर के लिए रास्ता जाता है, मां हरसिद्धि के मंदिर को लेकर कोई ठोस प्रमाण या दस्तावेज मौजूद नहीं है. लोग कहते हैं कि रानगिर में छत्रसाल बुंदेला और धामोनी के मुगल फौज के बीच युद्ध हुआ था, युद्ध में राजा छत्रसाल बुंदेला विजयी हुए थे. इसके बाद उन्होंने मां हरसिद्धि की महिमा से प्रभावित होकर मंदिर का निर्माण कराया था. पहाड़ी पर मंदिर होने के पहुंचना काफी मुश्किल था, लेकिन समय के साथ और स्थानीय विधायक मंत्री गोपाल भार्गव के प्रयासों के चलते रानगिर पहुंचना सुगम हुआ है.Maha Navami 2022
मां हरसिद्धि के मंदिर को लेकर किवदंतियां: मां हरसिद्धि के मंदिर को लेकर किवदंती है कि, दक्ष प्रजापति के अपमान से दुखित होकर सती ने योग बल से अपना शरीर त्याग दिया था, सती के शरीर त्यागने से नाराज भगवान शंकर ने सती के शव को लेकर विकराल तांडव किया था. जब भगवान शिव के कोप से पूरे विश्व में हाहाकार मच गया, तब भगवान विष्णु ने सती के शव को अपने चक्र से अंगों में बांटा और यह अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्ति पीठ स्थापित हैं. कहा जाता है कि सती माता की रान यानि जांघ इसी जंगल में गिरी थी, इसीलिए ये इलाका रानगिर कहलाया. Sagar Harsiddhi Mata Temple Rangir
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दिन में तीन रूप बदलती है मां हरसिद्धि: रानगिर स्थित मंदिर में स्थापित मां हरसिद्धि की प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि मां हरसिद्धि तीन रूपों में अपने भक्तों को दर्शन देती हैं, सुबह के समय मां बालिका रूप में दर्शन देती हैं, तो दोपहर में मां प्रोढ़ रूप में दर्शन देती हैं और संध्या के समय वृद्धा के रूप में मां दर्शन देते हैं. मां के रूप बदलने के लिए कृत्रिम रूप से कोई सिंगार नहीं किया जाता है. स्थानीय लोग कहते हैं कि पहर के साथ मां का रूप अपने आप बदल जाता है.
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु, हर मनोकामना होती है पूरी: रानगिर में मां हरसिद्धि का नवरात्र में मेला आयोजित नहीं हो रहा है, सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार चैत्र की नवरात्रि में रानगिर में आयोजित मेले में करीब 20 लाख श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए थे. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के लोगों की आस्था का केंद्र ये मंदिर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करता है. कहा जाता है कि सच्ची श्रद्धा के साथ जो भी श्रद्धालु मां के लिए नारियल अर्पण कर मनोकामना मांगता है, उसकी कामना जरूर पूरी होती है.