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Janmashtami 2022 कान्हा जी के जन्म की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम, जानें कब मनाएं जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में कई सारे सवाल थे, कि कब भगवान का पूजन किया जाए, कब जन्माष्टमी मनाई जाए. बुंदेली पंचांग का निर्माण करने वाले ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार 18 अगस्त को सप्तमी तिथि 9:25 तक है, उसके बाद 18 अगस्त को अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी क्योंकि वह अर्धव्यापिनी रहेगी.

Janmashtami 2022
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022
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Published : Aug 18, 2022, 10:54 PM IST

सागर। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तिथि के कारण एक बार फिर मतभेद की स्थिति बनी है. जन्माष्टमी तिथि अनुसार 18 अगस्त को शाम के वक्त प्रारंभ हो रही है, और 19 अगस्त को भी अष्टमी तिथि रहेगी. ऐसी स्थिति में भगवान श्री कृष्ण के भक्त भ्रम में हैं कि जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाए या फिर 19 अगस्त को मनाई जाए. इस परिस्थिति के चलते विद्वानों में मतभेद है, लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी मनाए जाने को लेकर विभिन्न विद्वानों का मत है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को अर्ध रात्रि में हुआ था. इसलिए भगवान का जन्म कब मनाया जाना चाहिए जब रात्रि में अष्टमी तिथि का योग बन रहा है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022

जन्माष्टमी को लेकर क्यों बनी भ्रम की स्थिति: श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भ्रम की स्थिति बनने की वजह जन्माष्टमी की तिथि 18 अगस्त को रात्रि 9:25 से शुरू हो रही है, और दूसरे दिन 19 अगस्त को भी अष्टमी तिथि रहेगी. 19 अगस्त को 11:01 तक अष्टमी का योग है. अब 18 और 19 अगस्त को अष्टमी तिथि होने के कारण जन्माष्टमी आयोजन को लेकर लोगों में भ्रम बन गया है. कई लोग 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाए जाने की बात कर रहे हैं, तो कई लोगों का कहना है कि 19 अगस्त को दिनभर जन्माष्टमी का योग रहेगा. इसलिए जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाया जाना चाहिए. दूसरी तरफ यह भी सवाल है कि 18 अगस्त को अष्टमी तिथि शुरू हो रही है और श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि में हुआ था. 18 अगस्त की अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि है, लेकिन 19 अगस्त को अर्धरात्रि के पहले नवमी लग रही है, इसलिए 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाया जाना चाहिए.

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विद्वानों का क्या कहना है: बुंदेली पंचांग का निर्माण करने वाले ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार चाहे श्रीमद् भागवत पुराण, भविष्य पुराण हो या फिर वायु पुराण, इनमें बताया गया है कि श्री कृष्ण के जन्म में बुधवार के दिन वृष लग्न में अर्धरात्रि को हुआ था. अष्टमी का व्रत अर्धव्यापिनी व्रत रखा जाता है. इस बार जो स्थिति बनी है, उसके कारण मतभेद हो रहा है. 18 अगस्त को सप्तमी तिथि 9:25 तक है, उसके बाद 18 अगस्त को अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी क्योंकि वह अर्धव्यापिनी रहेगी. 18 अगस्त की रात में अष्टमी रहेगी, 19 अगस्त को 11:01 पर खत्म हो जाएगी, इसलिए अर्धव्यापिनी ना होने के कारण 19 अगस्त को जन्माष्टमी नहीं मनाई जाएगी. लेकिन वैष्णव संप्रदाय उदया तिथि को मानते हैं और श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाते हैं, इसलिए मथुरा वृंदावन में जन्मोत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा.

सागर। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तिथि के कारण एक बार फिर मतभेद की स्थिति बनी है. जन्माष्टमी तिथि अनुसार 18 अगस्त को शाम के वक्त प्रारंभ हो रही है, और 19 अगस्त को भी अष्टमी तिथि रहेगी. ऐसी स्थिति में भगवान श्री कृष्ण के भक्त भ्रम में हैं कि जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाए या फिर 19 अगस्त को मनाई जाए. इस परिस्थिति के चलते विद्वानों में मतभेद है, लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी मनाए जाने को लेकर विभिन्न विद्वानों का मत है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को अर्ध रात्रि में हुआ था. इसलिए भगवान का जन्म कब मनाया जाना चाहिए जब रात्रि में अष्टमी तिथि का योग बन रहा है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022

जन्माष्टमी को लेकर क्यों बनी भ्रम की स्थिति: श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भ्रम की स्थिति बनने की वजह जन्माष्टमी की तिथि 18 अगस्त को रात्रि 9:25 से शुरू हो रही है, और दूसरे दिन 19 अगस्त को भी अष्टमी तिथि रहेगी. 19 अगस्त को 11:01 तक अष्टमी का योग है. अब 18 और 19 अगस्त को अष्टमी तिथि होने के कारण जन्माष्टमी आयोजन को लेकर लोगों में भ्रम बन गया है. कई लोग 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाए जाने की बात कर रहे हैं, तो कई लोगों का कहना है कि 19 अगस्त को दिनभर जन्माष्टमी का योग रहेगा. इसलिए जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाया जाना चाहिए. दूसरी तरफ यह भी सवाल है कि 18 अगस्त को अष्टमी तिथि शुरू हो रही है और श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि में हुआ था. 18 अगस्त की अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि है, लेकिन 19 अगस्त को अर्धरात्रि के पहले नवमी लग रही है, इसलिए 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाया जाना चाहिए.

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विद्वानों का क्या कहना है: बुंदेली पंचांग का निर्माण करने वाले ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार चाहे श्रीमद् भागवत पुराण, भविष्य पुराण हो या फिर वायु पुराण, इनमें बताया गया है कि श्री कृष्ण के जन्म में बुधवार के दिन वृष लग्न में अर्धरात्रि को हुआ था. अष्टमी का व्रत अर्धव्यापिनी व्रत रखा जाता है. इस बार जो स्थिति बनी है, उसके कारण मतभेद हो रहा है. 18 अगस्त को सप्तमी तिथि 9:25 तक है, उसके बाद 18 अगस्त को अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. शास्त्रों के अनुसार 18 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी क्योंकि वह अर्धव्यापिनी रहेगी. 18 अगस्त की रात में अष्टमी रहेगी, 19 अगस्त को 11:01 पर खत्म हो जाएगी, इसलिए अर्धव्यापिनी ना होने के कारण 19 अगस्त को जन्माष्टमी नहीं मनाई जाएगी. लेकिन वैष्णव संप्रदाय उदया तिथि को मानते हैं और श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाते हैं, इसलिए मथुरा वृंदावन में जन्मोत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा.

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