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Sagar Old Tradition: शहर को बुरी बलाओं से बचाने के लिए MP की महिलाओं ने लूटा बाजार, जानिए क्यों 181 साल से कर रहीं हैं तंत्र मंत्र - 181 years old Tradition played to protect sagar

सागर में एक अनोखी परंपरा पिछले 181 साल से चली आ रही है. केशरवानी समाज के लोग शहर को बुरी बलाओं से बचाने के लिए तिशाला माता की पूजा करते हैं. महिलाएं शहर की चारों दिशाओं में जल छोड़कर नाकेबंदी करती हैं. इस परंपरा के अनुसार महिलाएं बाजार को लूटती हैं और बकरे माता का रथ खींचने का काम बकरे करते थे. हालांकि यह बकरे सांकेतिक होते हैं. इस बार भी यह परंपरा धूमधाम से निभाई गई. (Worship of Tishala Mata in Sagar)

Sagar Old Tradition
Sagar Old Tradition
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Published : Jul 23, 2022, 8:21 AM IST

Updated : Jul 23, 2022, 9:11 AM IST

सागर। मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड इलाका अपनी अनूठी लोककला,संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है. बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में ऐसी ही एक परंपरा पिछले 181 सालों से चली आ रही है. जिसमें स्थानीय केशरवानी समाज के लोग तिशाला की पूजा करते हैं. इस पूजा का उद्देश्य शहर को बुरी बला से दूर रखना और शहर की सुख समृद्धि की कामना करना है. खास बात ये है यह एक तरह का तांत्रिक अनुष्ठान होता है. जिसमें शहर की नाकेबंदी तांत्रिक क्रिया द्वारा की जाती है. इस पूजा के लिए महिलाएं सांकेतिक तौर पर बाजार को लूटती हैं और पूजा के बाद सांकेतिक तौर पर बकरे तिशाला माता का रथ खींचते हैं.

शहर के लिए तिशाला माता की पूजा करते हैं लोग

शहर को काली ताकतों से बचाने का अनुष्ठान: देवशयनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु विश्राम पर चले जाते हैं और तमाम मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. इसी एकादशी के दूसरे दिन से इस 11 दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत होती है. यह एक तरह का पारंपरिक तांत्रिक अनुष्ठान होता है, जो केशरवानी समाज द्वारा सागर में पिछले 181 सालों से लगातार आयोजित किया जा रहा है. अनुष्ठान के जरिए बुरी बलाओं और शैतानी ताकतों को भगाने के लिए तंत्र मंत्र क्रिया की जाती है. अनुष्ठान की शुरुआत के पहले दिन से लगातार पांच दिनों तक केशरवानी समाज की महिलाएं एकत्रित होकर तांबे के बर्तन में जल और अभिमंत्रित पूजा सामग्री शहर की सभी दिशाओं में छिड़कती हैं.

Sagar Old Tradition
त्र-मंत्र के साथ बाजार लूटती हैं महिलाएं

पूजन के लिए महिलाएं लूटती हैं बाजार: शैतानी ताकतों से शहर को बचाने के लिए महिलाएं शहर की तांत्रिक क्रिया द्वारा नाकेबंदी करती हैं. इसके बाद अनुष्ठान शुरू होता है. अनुष्ठान की परंपरा है कि समाज के लोग अपने खुद के पैसों से अनुष्ठान नहीं करते हैं. इसलिए इस परंपरा के अनुसार छठवें दिन महिलाएं सांकेतिक तौर पर बाजार लूटती हैं। हालांकि यह एक परंपरा होती है और रिश्तेदारों और समाज के लोगों द्वारा स्वयं पैसा और गेहूं महिलाओं को अनुष्ठान के लिए दिया जाता है.

sagar 181 year old tradition
शहर के लिए तिशाला माता की पूजा करते हैं लोग

Unique tradition of tribals: आदिवासियों की अनोखी परंपरा, बारिश से पहले करते हैं बेदरी पूजा, जानिये कैसे मिट्टी के चार पत्थरों से लगा लेते हैं बरसात का अनुमान

बकरे खींचते हैं मां तिशाला का रथ: मां त्रिशाला पूजा के 11 वें और आखिरी दिन पूजा के बाद मां त्रिशाला की रथयात्रा निकाली जाती है. जिसमें माता का रथ बकरे खींचते हैं. बताया जाता है कि जब शुरुआत में यह अनुष्ठान होता था, तो बाकायदा माता का रथ खींचने का काम बकरे करते थे. हालांकि ये परंपरा सांकेतिक तौर पर बनाई जाती है. जिसमें माता के रथ के सामने बकरे की आकृति बनाई जाती है. जिनका काम सांकेतिक तौर पर रथ खींचना होता है. लेकिन असल में केशरवानी समाज के लोग रथ खींचते हैं. माता की शोभायात्रा में भजन और नृत्य का आयोजन भी होता है. इसके बाद बुरी बला से मुक्ति पाने के लिए केशरवानी समाज के लोग नींबू और नारियल से बलायें उतारकर पूजन समाप्त करते हैं.
(Worship of Tishala Mata in Sagar) (Women rob market with Tantra Mantra) (Unique tradition in Sagar)

सागर। मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड इलाका अपनी अनूठी लोककला,संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है. बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में ऐसी ही एक परंपरा पिछले 181 सालों से चली आ रही है. जिसमें स्थानीय केशरवानी समाज के लोग तिशाला की पूजा करते हैं. इस पूजा का उद्देश्य शहर को बुरी बला से दूर रखना और शहर की सुख समृद्धि की कामना करना है. खास बात ये है यह एक तरह का तांत्रिक अनुष्ठान होता है. जिसमें शहर की नाकेबंदी तांत्रिक क्रिया द्वारा की जाती है. इस पूजा के लिए महिलाएं सांकेतिक तौर पर बाजार को लूटती हैं और पूजा के बाद सांकेतिक तौर पर बकरे तिशाला माता का रथ खींचते हैं.

शहर के लिए तिशाला माता की पूजा करते हैं लोग

शहर को काली ताकतों से बचाने का अनुष्ठान: देवशयनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु विश्राम पर चले जाते हैं और तमाम मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. इसी एकादशी के दूसरे दिन से इस 11 दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत होती है. यह एक तरह का पारंपरिक तांत्रिक अनुष्ठान होता है, जो केशरवानी समाज द्वारा सागर में पिछले 181 सालों से लगातार आयोजित किया जा रहा है. अनुष्ठान के जरिए बुरी बलाओं और शैतानी ताकतों को भगाने के लिए तंत्र मंत्र क्रिया की जाती है. अनुष्ठान की शुरुआत के पहले दिन से लगातार पांच दिनों तक केशरवानी समाज की महिलाएं एकत्रित होकर तांबे के बर्तन में जल और अभिमंत्रित पूजा सामग्री शहर की सभी दिशाओं में छिड़कती हैं.

Sagar Old Tradition
त्र-मंत्र के साथ बाजार लूटती हैं महिलाएं

पूजन के लिए महिलाएं लूटती हैं बाजार: शैतानी ताकतों से शहर को बचाने के लिए महिलाएं शहर की तांत्रिक क्रिया द्वारा नाकेबंदी करती हैं. इसके बाद अनुष्ठान शुरू होता है. अनुष्ठान की परंपरा है कि समाज के लोग अपने खुद के पैसों से अनुष्ठान नहीं करते हैं. इसलिए इस परंपरा के अनुसार छठवें दिन महिलाएं सांकेतिक तौर पर बाजार लूटती हैं। हालांकि यह एक परंपरा होती है और रिश्तेदारों और समाज के लोगों द्वारा स्वयं पैसा और गेहूं महिलाओं को अनुष्ठान के लिए दिया जाता है.

sagar 181 year old tradition
शहर के लिए तिशाला माता की पूजा करते हैं लोग

Unique tradition of tribals: आदिवासियों की अनोखी परंपरा, बारिश से पहले करते हैं बेदरी पूजा, जानिये कैसे मिट्टी के चार पत्थरों से लगा लेते हैं बरसात का अनुमान

बकरे खींचते हैं मां तिशाला का रथ: मां त्रिशाला पूजा के 11 वें और आखिरी दिन पूजा के बाद मां त्रिशाला की रथयात्रा निकाली जाती है. जिसमें माता का रथ बकरे खींचते हैं. बताया जाता है कि जब शुरुआत में यह अनुष्ठान होता था, तो बाकायदा माता का रथ खींचने का काम बकरे करते थे. हालांकि ये परंपरा सांकेतिक तौर पर बनाई जाती है. जिसमें माता के रथ के सामने बकरे की आकृति बनाई जाती है. जिनका काम सांकेतिक तौर पर रथ खींचना होता है. लेकिन असल में केशरवानी समाज के लोग रथ खींचते हैं. माता की शोभायात्रा में भजन और नृत्य का आयोजन भी होता है. इसके बाद बुरी बला से मुक्ति पाने के लिए केशरवानी समाज के लोग नींबू और नारियल से बलायें उतारकर पूजन समाप्त करते हैं.
(Worship of Tishala Mata in Sagar) (Women rob market with Tantra Mantra) (Unique tradition in Sagar)

Last Updated : Jul 23, 2022, 9:11 AM IST
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