रीवा। बालीवुड के चिंटू यानि ऋषि कपूर साहब सभी को छोड़कर चले गए. उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा रह-रहकर लोगों को याद आ रहा है. ऋषि कपूर का रीवा से गहरा नाता था. रीवा उनका ननिहाल था. जैसे ही उनके निधन की खबर रीवा पहुंची, हर किसी की आंखें नम हो गईं. ऋषि कपूर की मां कृष्णाराज कपूर रीवा की बेटी थीं. उनके पिता करतार सिंह तब विंध्य प्रदेश के आईजी हुआ करते थे. आईजी रहते हुए ही रीवा में कृष्णा का विवाह उन्होंने राजकपूर के साथ कराया था. ये शादी आज भी यहां के लोगों को याद है, अपने मां-बाप के साथ ऋषि कपूर ने अपने बचपन का लंबा वक्त रीवा में बिताया. जिससे पूरा रीवा उन्हें याद कर रहा है.
रीवा में बना है कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम
ऋषि कपूर के माता-पिता की यादों को रीवा में सहेजने के लिए 2 जून 2018 को कृष्णा राज कपूर के नाम से एक बड़ा ऑडिटोरियम बनाया गया. जिसका लोकापर्ण ऋषि कपूर के बड़े भाई रणधीर कपूर ने किया था. इस आयोजन में ऋषि कपूर नहीं पहुंच पाए, जिसका उन्हें बहुत मलाल रहा. रीवा के वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ला बताते हैं, जब ऋषि कपूर को रीवा में कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम बनाने की बात बताई तो वे वेहद खुश हुए. उस वक्त वो लंदन में अपना इलाज करा रहे ऋषि कपूर ने अपने बड़े भाई रणधीर कपूर से कहा था, कि भाई तुम बहुत लकी हो क्योंकि तुम अपनी मां की जन्म भूमि पर जा रहे हो.
बॉबी के दीवाने हो गए थे लोग
जयराम शुक्ला बताते हैं कि जब ऋषि कपूर की पहली फिल्म बॉबी आई. तो रीवा के लड़के-लड़कियां दीवाने हो गए. थिएटर में लंबी-लंबी लाइनें लगी रहती थीं. हर लड़का तब ऋषि की स्टाइल कॉपी करता और बेल बॉटम पहनकर झूमने लगता. जयराम शुक्ला कहते हैं आज ऋषि हम सभी को छोड़कर चले गए. उनके निधन से रीवा में भी एक रिक्तता आ गई है. जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी.
वाकई आज पूरा देश गमगीन है, क्योंकि हम सब के प्यारे चिंटू हमे छोड़कर चले गए. हर कोई ऋषि साहब को नम आखों से श्रद्धांजलि दे रहा है. लेकिन वो हमेशा देश और रीवा के दिल में जिंदा रहेंगे.