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आस्था का केंद्र है भगवान शिव का ये मंदिर, एक ही रात में विश्वकर्मा ने किया था निर्माण

भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित शिव मंदिर में जल चढ़ाए बिना चार धाम का पुण्य नहीं मिलता है, एक ही पत्थर से बने इस मंदिर का निर्माण भी एक रात में ही किया गया था. जहां साल में तीन बार आस्था का मेला लगता है.

देवतालाब शिव मंदिर
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Published : Aug 11, 2019, 1:27 PM IST

रीवा। विंध्य क्षेत्र तीर्थयात्रियों के लिए आस्था और पूजा-पाठ का केन्द्र माना जाता है, रीवा में स्थित देवतालाब शिव मंदिर का निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. जिसके चलते इसका काफी महत्व है और यहां सावन भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर भगवान शंकर के पास हाजिरी लगाते हैं.

देवतालाब शिव मंदिर
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर देवतालाब का शिव मंदिर आज भी लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में किया था, सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर एक विशाल मंदिर बना हुआ था, लेकिन इसका निर्माण कैसे हुआ किसी ने नहीं देखा. पूर्वजों के बताए अनुसार मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी. ये शिवलिंग रहस्यमयी है, जिसकी खासियत है कि इसका रंग दिन में चार बार बदलता है.बुजुर्ग बताते हैं कि शिव मंदिर में पांच बार जल लेकर पांचों मंदिर में चढ़ाया जाता है, लेकिन वर्तमान के हालात इतने बद से बदतर हो गए हैं कि इन तालाबों में मंदिर का गंदा पानी भी मिलने लगा है, लेकिन आस्था के चलते लोग तालाब के गंदे पानी को ही शिवलिंग पर चढ़ाते हैं.देवतालाब शिव मंदिर का इतिहासइस मंदिर की खास बात ये है कि ये मंदिर एक ही पत्थर से बना है. भगवान शिव के परम भक्त महर्षि देव तालाब पर आराधना में लीन थे. महर्षि को दर्शन देने के लिए शिवजी ने विश्वकर्मा भगवान को देवतालाब पर मंदिर बनाने के लिए आदेशित दिया था. उसके बाद रातों-रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई.मंदिर की विशेषता देवतालाब के शिव मंदिर के आसपास कई तालाब हैं. इतने सारे तालाबों का होना यहां की विशेषता भी है. शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब हैं, वो शिव कुंड के नाम से प्रसिद्ध हैं. शिव कुंड से जल लेकर सदा शिव भोलेनाथ के पंच शिवलिंग विग्रह पर चढ़ाने की परंपरा रही है. माना जाता है कि अगर आप ने चारों धाम के दर्शन कर लिए हैं तो देवतालाब के इस मंदिर में जल चढ़ाए बिना आपको उन चारों धाम का पुण्य नहीं मिलता. शिव के इस मंदिर में जल चढ़ाने के बाद ही चारों धाम की यात्रा पूरी होती है.मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर मान्यता ये भी है कि मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है और इसमें चमत्कारी मणि मौजूद है. वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छू के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया था. इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराज ने यहीं पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया था.

रीवा। विंध्य क्षेत्र तीर्थयात्रियों के लिए आस्था और पूजा-पाठ का केन्द्र माना जाता है, रीवा में स्थित देवतालाब शिव मंदिर का निर्माण खुद भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था. जिसके चलते इसका काफी महत्व है और यहां सावन भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर भगवान शंकर के पास हाजिरी लगाते हैं.

देवतालाब शिव मंदिर
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर देवतालाब का शिव मंदिर आज भी लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में किया था, सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर एक विशाल मंदिर बना हुआ था, लेकिन इसका निर्माण कैसे हुआ किसी ने नहीं देखा. पूर्वजों के बताए अनुसार मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी. ये शिवलिंग रहस्यमयी है, जिसकी खासियत है कि इसका रंग दिन में चार बार बदलता है.बुजुर्ग बताते हैं कि शिव मंदिर में पांच बार जल लेकर पांचों मंदिर में चढ़ाया जाता है, लेकिन वर्तमान के हालात इतने बद से बदतर हो गए हैं कि इन तालाबों में मंदिर का गंदा पानी भी मिलने लगा है, लेकिन आस्था के चलते लोग तालाब के गंदे पानी को ही शिवलिंग पर चढ़ाते हैं.देवतालाब शिव मंदिर का इतिहासइस मंदिर की खास बात ये है कि ये मंदिर एक ही पत्थर से बना है. भगवान शिव के परम भक्त महर्षि देव तालाब पर आराधना में लीन थे. महर्षि को दर्शन देने के लिए शिवजी ने विश्वकर्मा भगवान को देवतालाब पर मंदिर बनाने के लिए आदेशित दिया था. उसके बाद रातों-रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई.मंदिर की विशेषता देवतालाब के शिव मंदिर के आसपास कई तालाब हैं. इतने सारे तालाबों का होना यहां की विशेषता भी है. शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब हैं, वो शिव कुंड के नाम से प्रसिद्ध हैं. शिव कुंड से जल लेकर सदा शिव भोलेनाथ के पंच शिवलिंग विग्रह पर चढ़ाने की परंपरा रही है. माना जाता है कि अगर आप ने चारों धाम के दर्शन कर लिए हैं तो देवतालाब के इस मंदिर में जल चढ़ाए बिना आपको उन चारों धाम का पुण्य नहीं मिलता. शिव के इस मंदिर में जल चढ़ाने के बाद ही चारों धाम की यात्रा पूरी होती है.मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर मान्यता ये भी है कि मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है और इसमें चमत्कारी मणि मौजूद है. वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छू के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया था. इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराज ने यहीं पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया था.
Intro:रीवा जिले से करीब 40 किलोमीटर दूर आस्था और विश्वास का केंद्र देवतालाब का शिव मंदिर एक रात में बनाया गया था खुद भगवान विश्वकर्मा ने इस मंदिर का निर्माण किया था इसी मान्यता के साथ यहां श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है जिले के देव तालाब में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में सावन माह में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है लाखों लोग मंदिर में दूरदराज से आकर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं देवतालाब मंदिर की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में हुआ था और यह पूरा का पूरा मंदिर एक ही पत्थर में बना है ऐसा कहा जाता है कि सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर एक विशाल मंदिर बना हुआ था लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि मंदिर का निर्माण कैसे हुआ पूर्वजों के बताए अनुसार मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी यह शिवलिंग रहस्यमई है इस शिवलिंग की खास बात यह है कि इसका रंग दिन में चार बार बदलता रहता है. ऐसी भी मान्यता है कि अगर आप ने चारों धाम के दर्शन कर लिए हैं तो देवतालाब के इस मंदिर में जल चढ़ाएं भी ना आपको उन चारों धाम का पुण्य नहीं मिलता..


Body:रीवा जिले का या मंदिर चमत्कारी ही है एक मान्यता यह भी है कि मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है और इसमें चमत्कारी मणि मौजूद है कई वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छू के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया था मंदिर के ठीक सामने एक घड़ी भी मौजूद है इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराज ने यहीं पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया है ऐसा भी माना जाता है कि देवतालाब के दर्शन से चार धाम की यात्रा पूरी होती है इस मंदिर से भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है इसलिए यहां प्रतिवर्ष 3 मेले लगते हैं और इसी आस्था से प्रति हजारों श्रद्धालु रोजाना दर्शन के लिए आते रहते हैं..

बता दे कि शिव की नगरी यह देवतालाब ही तलाब के नाम से जाना जाता है देवतालाब का शिव मंदिर के आसपास कई तालाब है वैसे देवतालाब में कई तालाबों का होना यहां की विशेषता भी है शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब है यह शिव कुंड के नाम से प्रसिद्ध है शिव कुंड से जल लेकर ही श्रद्धालु सदा शिव भोलेनाथ के पंच शिवलिंग विग्रह में चढ़ाने की परंपरा रही है मंदिर के आसपास के क्षेत्र के बुजुर्गों के अनुसार शिव मंदिर में 5 बार जल लेकर पांचो मंदिर में चढ़ाया जाता है लेकिन वर्तमान के हालात इतने बद से बदतर हो गए हैं कि इन तालाबों में मंदिर का गंदा पानी भी मिलने लगा है लेकिन आस्था ऐसी है कि फिर भी लोग उस तालाब के पानी को ही शिवलिंग पर चढ़ाते हैं..




Conclusion:इस मंदिर की खास बात यह भी है कि यह मंदिर एक ही पत्थर से बना है शिव के परम भक्त महर्षि मार्केट तक देवतालाब स्थित शिव मंदिर के दर्शन के हक में आराधना में लीन थे महर्षि को दर्शन देने के लिए भगवान यहां पर मंदिर बनाने के लिए विश्वकर्मा भगवान को आदेशित किया था उसके बाद रातों-रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई यह भी कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही पत्थर पर बना हुआ अद्भुत है जो कि सिर्फ देवतालाब में ही स्थित है..


byte- श्रद्धालु।
byte- पुजारी।
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