रीवा। मध्यप्रदेश के पूर्व पंचायत एवं ग्रमीण विकास मंत्री ने स्थानीय राजनिवास में पत्रकारवार्ता का आयोजन किया. इस दौरान उन्होंने पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया को लेकर आरएसएस व भाजपा पर जमकर हमला बोला. पूर्व मंत्री ने कहा कि पंचायत और नगरीय निकाय का चुनाव जिस परिस्थिति में कराया जा रहा, ये काफी विसंगति पूर्ण व मिले हुए अधिकारों को छीनकर मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा आरएसएस के इशारे पर कूट रचित तरीके से जिस तरह कराया गया, उसकी हम घोर निंदा करते है.
पंचायत और नागरीय निकाय चुनाव को लेकर घमासान जारी: मध्यप्रदेश में होने वाले पंचायत व नगरीय निकाय चुनावों का रास्ता अब साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के साथ चुनाव कराने के निर्देश भी जारी कर दिए है. ऐसे में ओबीसी वर्ग को साधने में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां जुटी हुई हैं. एक तरफ जहां भाजपा आरक्षण को लेकर चुनाव कराने में खुशी जाहिर कर रही है, तो वहीं दूसरी और कांग्रेस पुराने रोटेशन के आधार पर ही चुनाव कराने की बात कह रही है. ऐसे में दोनों ही पार्टियो के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप गढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं.
पूर्व मंत्री ने पत्रकारवार्ता में भाजपा पर साधा निशाना: मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को घेरने पहुंचे रीवा के स्थानीय राजनिवास में पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल पहुंचे और पत्रकारवार्ता का आयोजन किया. उन्होनें बीजेपी सरकार के साथ ही आरएसएस पर जमकर हमला बोला. पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि पंचायत व निकाय चुनाव को लेकर इन दिनों मध्यप्रदेश में बड़ा महत्वपूर्ण विषय चल रहा है. पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर बिगुल बज चुका है. लेकिन जिस परिस्थिति में यह चुनाव कराए जा रहे हैं, यह काफी विसंगति पूर्ण है.
पुराने रोटेशन के आधार पर चुनाव कराने की कही बात: पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि एक तरफ पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के सपनों को साकार करने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन करते है. पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों के लिए 73वां 74वां संशोधन विधेयक लाते हैं, अधिकार सम्पन्न बनाते हैं और केन्द्रीयकरण करने की व्यवस्था करते हैं. उसी 73वां 74वां संशोधन विधेयक के आधार पर 1993 और वर्ष 1994 में मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के दौरान पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर एक्ट बना है. मध्यप्रदेश में चुनाव कराने के लिए जो भारतीय संविधान में प्रवधान था, उसमे कोई भी राज्य जनसंख्या के आधार पर अपना एक्ट बनाकर और रोटेशन में आरक्षण कर के चुनाव कराए जाने थे. यह भारतीय संविधान में भी प्रदत्त है कि 5 वर्षो में रोटेशन होगा, पर आज मध्यप्रदेश में होने जा रहे पंचायत व नगरीय चुनावों में विषम परिस्थियां पैदा हुई. उसमें मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नया अध्यादेश लाकर पुराने रोटेशन पर पुराने आरक्षण की व्यवस्था के साथ ही चुनाव कराने का बिगुल बजाते है.
आरएसएस प्रमुख के इशारे पर बदली गई व्यवस्था: पूर्व मंत्री ने कहा कि लोग न्याय पाने के लिए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं. हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से सही पक्ष नहीं रखा जाता है और सरकार अपनी गलती मानने के लिये तैयार नहीं होती है. हार 5 सालों में लोगों को इंतजार रहता है कि पुराने रोटेशन के आधार पर चुनाव हो और आरक्षण की जो भी प्रक्रिया है वह पूरी हो. पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि मैं स्वयं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए हमने पंचायत चुनाव को लेकर ग्राम पंचायत स्तर से लेकर वार्ड, ग्राम पंचायत वार्ड, पंचायत, जिला पंचायत, जनपद सदस्य व जनपद अध्यक्ष तक का आरक्षण रोटेशन में होने की व्यवस्था कर ली गई थी. सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण नहीं हो पाया था, अगर मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार की नीयत साफ होती तो जिला पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण एक दिन में कराकर बिना नया अध्यादेश लाये पुराने रोटेशन के आधार पर चुनाव की घोषणा कर सकते थे. लेकिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इशारे पर ताना-बाना बुना गया और बनी बनाई व्यवस्था को तहस-करने का काम किया गया.