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MP की सियासी फिजा में 'कोरोना इफेक्ट', थम गई राज्यसभा की राह, टल सकते हैं उपचुनाव

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Published : Apr 4, 2020, 9:09 PM IST

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते प्रदेश की सियासी गतिविधियां भी रुक गई है. प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव रद्द हो चुके हैं तो विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव भी टल सकते हैं. इसके अलावा मंत्रिमंडल का गठन भी अभी तक नहीं हो पाया. ऐसे में आने वाले कुछ महीनें प्रदेश के लिए अहम साबित हो सकते है.

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MP की सियासी फिजा

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना के कहर से जहां पूरे प्रदेश परेशान है, लॉकडाउन के चलते सबकुछ थम गया है. प्रदेश की सियासी गतिविधिया भी थम गई है. शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का गठन तक नहीं हो पाया. जिससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले ही कोरोना महामारी से लड़ाई में मोर्चा संभाले हुए हैं. राज्यसभा चुनाव रद्द होने के बाद जौरा और आगर सहित प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव भी आगे बढ़ने की पूरी संभावना है. प्रदेश में अगले आने वाले कुछ महीनों में बहुत उठापठक की संभावना है.

विश्वव्यापी समस्या से मध्य प्रदेश अछूता नहीं है, इस वक्त सभी का ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं पर है. लेकिन प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन न होने के कारण स्वास्थ्य मंत्री तक प्रदेश में मौजूद नहीं है. ऐसे में प्रदेश में 14 अप्रैल के बाद मंत्रिमंडल का गठन किया जा सकता है. क्योंकि प्रदेश में अब मंत्रियों की जरुरत महसूस हो रही है जो अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर इस महामारी से निपटने के लिए अधिकारियों के साथ काम करते.

प्रदेश के सियासी माहौल में क्या गुल खिलाएगा कोरोना

खास बात यह कोरोना वायरस के पहले तक प्रदेश की सियासी स्थितियां अलग थी. लेकिन अब प्रदेश में कोरोना वायरस एक बड़ा मामला बना गया है. जो उपचुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आएगा. कांग्रेस जहा इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरेगी. तो बीजेपी भी इसी मुद्दे पर किए गए कामों को भुनाने का काम कर सकती है. खास बात यह है कि उपचुनावों में होने वाली रैलियों में भीड़ जुटने लिए भी गाइडलाइन जारी हो सकती है. कि एक नेता की रैली में कितने लोग इक्ठठे होंगे. जबकि नेताओं की रैलियों के लिए भी गाइडलाइन जारी होगी. ऐसे में प्रदेश के सियासी माहौल में कोरोना भी अब बड़ा सियासी मुद्दा बनकर सामने आने वाला है.

टल सकते हैं विधानसभा के उपचुनाव

मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते यह यह उपचुनाव आगे बढ़ सकते हैं. जौरा विधानसभा सीट पर तो 21 जून से पहले विधायक चुना जाना है. जबकि अन्य 23 विधानसभा सीटों की जनता भी अपने जनप्रतिनिधि की राह देख रही है. लेकिन जिस तरह से चुनाव आयोग ने राज्यसभा के चुनाव टाले है उसी तरह विधानसभा के उपचुनाव भी टाले जा सकते हैं.

अगर स्थितियां सुधरती है तो चुनाव आयोग चुनावों का ऐलान भी कर सकता है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस को दोनों को रणनीति बनाने का टाइम नहीं मिल पाएगा. खास बात यह है कि प्रदेश में बनी नई नवेली शिवराज सरकार का भविष्य भी इन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के परिणामों पर ही टिका है.

14 अप्रैल के बाद हो सकता है मंत्रिमंडल का गठन

शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में बीजेपी की सरकार तो बन गई. लेकिन मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया. 14 अप्रैल तक देश में लॉक डाउन है. यानि मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन अब 14 अप्रैल के बाद ही होने की संभावना है. यानि प्रदेश में खाली पड़े विभागों में काम अभी शुरु होने की कोई संभावना नहीं है.

न शिवराज पहुंचे दिल्ली, न सिंधिया आ सके भोपाल

प्रदेश में शिवराज सरकार की वापसी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे अहम भूमिका निभाई. लेकिन कोरोना के कहर ऐसा आया कि न तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंच पाए और न ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली से भोपाल आ पाए. क्योंकि बीजेपी में इन दोनों नेताओं को ही उपचुनाव की रणनीति बनानी है. क्योंकि शिवराज तो मुख्यमंत्री बन गए हैं. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक पूर्व विधायकों की जिम्मेदारी अभी बीजेपी में नहीं बन पाई है. ऐसे में इन नेताओं की नयी भूमिका का भी सबके इंतजार है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना के कहर से जहां पूरे प्रदेश परेशान है, लॉकडाउन के चलते सबकुछ थम गया है. प्रदेश की सियासी गतिविधिया भी थम गई है. शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का गठन तक नहीं हो पाया. जिससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अकेले ही कोरोना महामारी से लड़ाई में मोर्चा संभाले हुए हैं. राज्यसभा चुनाव रद्द होने के बाद जौरा और आगर सहित प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव भी आगे बढ़ने की पूरी संभावना है. प्रदेश में अगले आने वाले कुछ महीनों में बहुत उठापठक की संभावना है.

विश्वव्यापी समस्या से मध्य प्रदेश अछूता नहीं है, इस वक्त सभी का ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं पर है. लेकिन प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन न होने के कारण स्वास्थ्य मंत्री तक प्रदेश में मौजूद नहीं है. ऐसे में प्रदेश में 14 अप्रैल के बाद मंत्रिमंडल का गठन किया जा सकता है. क्योंकि प्रदेश में अब मंत्रियों की जरुरत महसूस हो रही है जो अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर इस महामारी से निपटने के लिए अधिकारियों के साथ काम करते.

प्रदेश के सियासी माहौल में क्या गुल खिलाएगा कोरोना

खास बात यह कोरोना वायरस के पहले तक प्रदेश की सियासी स्थितियां अलग थी. लेकिन अब प्रदेश में कोरोना वायरस एक बड़ा मामला बना गया है. जो उपचुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आएगा. कांग्रेस जहा इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरेगी. तो बीजेपी भी इसी मुद्दे पर किए गए कामों को भुनाने का काम कर सकती है. खास बात यह है कि उपचुनावों में होने वाली रैलियों में भीड़ जुटने लिए भी गाइडलाइन जारी हो सकती है. कि एक नेता की रैली में कितने लोग इक्ठठे होंगे. जबकि नेताओं की रैलियों के लिए भी गाइडलाइन जारी होगी. ऐसे में प्रदेश के सियासी माहौल में कोरोना भी अब बड़ा सियासी मुद्दा बनकर सामने आने वाला है.

टल सकते हैं विधानसभा के उपचुनाव

मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते यह यह उपचुनाव आगे बढ़ सकते हैं. जौरा विधानसभा सीट पर तो 21 जून से पहले विधायक चुना जाना है. जबकि अन्य 23 विधानसभा सीटों की जनता भी अपने जनप्रतिनिधि की राह देख रही है. लेकिन जिस तरह से चुनाव आयोग ने राज्यसभा के चुनाव टाले है उसी तरह विधानसभा के उपचुनाव भी टाले जा सकते हैं.

अगर स्थितियां सुधरती है तो चुनाव आयोग चुनावों का ऐलान भी कर सकता है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस को दोनों को रणनीति बनाने का टाइम नहीं मिल पाएगा. खास बात यह है कि प्रदेश में बनी नई नवेली शिवराज सरकार का भविष्य भी इन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के परिणामों पर ही टिका है.

14 अप्रैल के बाद हो सकता है मंत्रिमंडल का गठन

शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में बीजेपी की सरकार तो बन गई. लेकिन मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया. 14 अप्रैल तक देश में लॉक डाउन है. यानि मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन अब 14 अप्रैल के बाद ही होने की संभावना है. यानि प्रदेश में खाली पड़े विभागों में काम अभी शुरु होने की कोई संभावना नहीं है.

न शिवराज पहुंचे दिल्ली, न सिंधिया आ सके भोपाल

प्रदेश में शिवराज सरकार की वापसी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सबसे अहम भूमिका निभाई. लेकिन कोरोना के कहर ऐसा आया कि न तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली पहुंच पाए और न ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली से भोपाल आ पाए. क्योंकि बीजेपी में इन दोनों नेताओं को ही उपचुनाव की रणनीति बनानी है. क्योंकि शिवराज तो मुख्यमंत्री बन गए हैं. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक पूर्व विधायकों की जिम्मेदारी अभी बीजेपी में नहीं बन पाई है. ऐसे में इन नेताओं की नयी भूमिका का भी सबके इंतजार है.

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